चंद्रयान-5 मिशन को मिली हरी झंडी, 2028 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा भारत
ISRO चेयरमैन ने बताया - जापान के साथ मिलकर भेजा जाएगा 250 किलो का रोवर, 2027 में चंद्रयान-4 से आएंगे मिट्टी के नमूने, गगनयान 2025 में।
Mar 18, 2025, 09:30 IST

बेंगलुरु/मेरठ: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर एक बड़ा अपडेट दिया है। ISRO के अध्यक्ष वी नारायणन ने रविवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। बेंगलुरु में ISRO चीफ का पदभार संभालने के बाद एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की आगामी योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी।READ ALSO:-iPhone 17 Air: एप्पल का सबसे पतला iPhone, बिना सिम ट्रे और चार्जिंग पोर्ट के साथ हो सकता है लॉन्च
वी नारायणन ने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन के लिए स्वीकृति हमें अभी तीन दिन पहले ही प्राप्त हुई है। यह मिशन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा, क्योंकि इसमें जापान हमारा महत्वपूर्ण सहयोगी होगा। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को याद करते हुए बताया कि उस मिशन में चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 25 किलोग्राम का रोवर (प्रज्ञान) भेजा गया था। चंद्रयान-5 मिशन इससे कहीं अधिक उन्नत होगा और चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम वजनी एक बड़ा रोवर लेकर जाएगा। यह रोवर चंद्रमा की सतह पर अधिक व्यापक और विस्तृत वैज्ञानिक अनुसंधान करने में सक्षम होगा।
ISRO के अध्यक्ष ने आगे आने वाले अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2027 में लॉन्च होने वाले चंद्रयान-4 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की मिट्टी के मूल्यवान नमूने एकत्र करके उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। यह मिशन चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अतिरिक्त, भारत अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए कई अन्य मिशनों पर भी तेजी से काम कर रहा है, जिनमें मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम गगनयान भी शामिल है। नारायणन ने यह भी बताया कि भारत अंतरिक्ष में अपना स्वयं का एक अत्याधुनिक स्पेस स्टेशन स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर भी काम कर रहा है।
आपको बता दें कि चंद्रयान-4 मिशन को पिछले साल सितंबर 2024 में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई थी। इस मिशन पर कुल 2104 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। चंद्रयान-4 का स्पेसक्राफ्ट तकनीकी रूप से भी काफी उन्नत होगा और इसमें पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे, जबकि 2023 में चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 में केवल तीन मॉड्यूल (प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर) थे। चंद्रयान-4 के स्टैक 1 में चंद्रमा से नमूने एकत्र करने के लिए एसेंडर मॉड्यूल और सतह पर नमूने एकत्र करने के लिए डिसेंडर मॉड्यूल होगा। वहीं, स्टैक 2 में थ्रस्ट प्रदान करने के लिए एक प्रपल्शन मॉड्यूल, एकत्र किए गए नमूनों को सुरक्षित रखने के लिए ट्रांसफर मॉड्यूल और नमूनों को पृथ्वी के वायुमंडल में वापस लाने के लिए री-एंट्री मॉड्यूल शामिल रहेगा। इस जटिल मिशन को पूरा करने के लिए दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा - भारत का शक्तिशाली हैवी-लिफ्टर LVM-3 और ISRO का भरोसेमंद वर्कहॉर्स PSLV, जो मिशन के विभिन्न चरणों में अलग-अलग पेलोड लेकर जाएंगे। चंद्रयान-4 मिशन कई चरणों में पूरा होगा, जिसमें चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद मुख्य स्पेसक्राफ्ट से दो मॉड्यूल अलग होकर सतह पर लैंड करेंगे और नमूने एकत्र करेंगे। फिर एक मॉड्यूल चांद की सतह से लॉन्च होकर चांद की कक्षा में मुख्य स्पेसक्राफ्ट से जुड़ जाएगा और नमूनों को धरती पर वापस आने वाले स्पेसक्राफ्ट में ट्रांसफर करके भेजा जाएगा। ISRO के वैज्ञानिक चांद की सतह से मिट्टी के नमूने उठाने के लिए एक विशेष रोबोट भी विकसित कर रहे हैं और गहराई तक ड्रिल करने की तकनीक पर भी काम तेजी से चल रहा है। नमूनों को इकट्ठा करने के लिए विशेष कंटेनर और डॉकिंग मैकेनिज्म की तकनीक भी विकसित की जा रही है।
ISRO के भविष्य के अन्य महत्वपूर्ण प्लान:
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गगनयान (2025): भारत 2025 में अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान को लॉन्च करने की तैयारी में है। इस मिशन के तहत तीन भारतीय एस्ट्रोनॉट तीन दिनों के लिए पृथ्वी की कक्षा में 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजे जाएंगे। ISRO ने अगस्त 2024 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक वीडियो भी जारी किया था, जिसमें एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष जैसी परिस्थितियों में प्रशिक्षण लेते हुए दिखाया गया था।
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भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2028): भारत 2028 तक अपना पहला अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अंतरिक्ष में भारत का अपना ठिकाना होगा, जिसमें पांच मॉड्यूल शामिल होंगे। पहले मॉड्यूल का डिज़ाइन कार्य पूरा हो चुका है और रिपोर्ट मंजूरी के लिए सरकार को सौंप दी गई है। यह स्टेशन अंतरिक्ष में भारतीय एस्ट्रोनॉट्स के रहने और अनुसंधान करने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा।
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चांद पर भारतीय एस्ट्रोनॉट (2040 तक): ISRO का लक्ष्य 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना है। यदि यह लक्ष्य पूरा होता है, तो भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने चंद्रमा पर मानव को भेजा है। वर्तमान में केवल अमेरिका ही ऐसा देश है जिसने यह उपलब्धि हासिल की है, और चीन भी 2030 तक अपने एस्ट्रोनॉट को चांद पर पहुंचाने पर काम कर रहा है।
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वीनस ऑर्बिटर मिशन (मार्च 2028): ISRO ने शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) की भी योजना बनाई है, जिसके लिए 1,236 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इस मिशन को मार्च 2028 में लॉन्च किया जाना है। VOM का प्राथमिक उद्देश्य शुक्र की सतह और वायुमंडल के साथ-साथ शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाना है।
ISRO के इन महत्वाकांक्षी योजनाओं से भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।