सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों ने ली शपथ, इनमें 3 महिलाएं
सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) के न्यायाधीश (supreme court judges) के रूप में नौ नवनिर्वाचित जजों को पद एवं गोपनीयता की शपथ (nine judges take oath) मंगलवार को दिलाई गई।
Aug 31, 2021, 15:37 IST
सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) के लिए मंगलवार 30 नवंबर का दिन ऐतिहासिक रहा। यहां न्यायाधीश (supreme court judges) के रूप में नौ नवनिर्वाचित जजों को पद एवं गोपनीयता की शपथ (nine judges take oath) मंगलवार को दिलाई गई। खास बात यह है कि इनमें 3 महिला जज हैं। इनमें से जस्टिस पीएस नरसिम्हा बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंट हुए हैं। ऐसा पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट में एक साथ नौ जजों ने शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग में बने ऑडिटोरियम में नवनिर्वाचित जजों को शपथ ग्रहण कराया गया। Read Also: सबसे लंबे युद्ध का 2 दशक बाद अंत : तालिबान को भगाने से शुरू तालिबान की वापसी से खत्म; अफगानिस्तान में अमेरिका का सफर
अब शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है। उच्चतम न्यायालय में सीजेआइ समेत कुल 34 न्यायाधीश हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने कुछ दिनों पहले इन नामों को सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा था जिसे हरी झंडी दी गई। Read Also : अफगानिस्तान छोड़ने वाले आखिरी अमेरिकी सैनिक बने मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू, नाम हुआ इतिहास में दर्ज; जाने कौन हैं यें
ये हैं सुप्रीम कोर्ट के नौ नए जज
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरथना, जस्टिस सीटी रविकुमार, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी एवं जस्टिस पीएस नरसिम्हा को शपथ दिलाई गई। जस्टिस नागरत्ना 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बन सकती हैं, जबकि जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी 2028 में चीफ जस्टिस बन सकते हैं।
जानिए, 9 नए जजों (supreme court judges) के बारे में...
जस्टिस बीवी नागरत्ना
जस्टिस नागरत्ना 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त की गई थीं, 2010 में उन्हें परमानेंट जज नियुक्त कर दिया गया। 2012 में फेक न्यूज के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए जस्टिस नागरत्ना और अन्य जजों ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वे मीडिया ब्रॉडकास्टिंग को रेगुलेट करने की संभावनाओं की जांच करें। हालांकि, उन्होंने मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के खतरों से भी आगाह किया था।
जस्टिस हिमा कोहली
तेलंगाना हाईकोर्ट की जज थीं। वे इस हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बनने वाली पहली महिला जज भी थीं। दिल्ली हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं। जस्टिस कोहली को भारत में लीगल एजुकेशन और लीगल मदद से जुड़े अपने फैसलों के लिए जाना जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट के अपने कार्यकाल के वक्त उन्होंने दृष्टि बाधित लोगों को सरकारी शिक्षण संस्थानों में सुविधाएं दिए जाने का फैसला सुनाया था। इसके अलावा नाबालिग आरोपियों की पहचान की सुरक्षा को लेकर भी फैसला दिया था।
जस्टिस बेला त्रिवेदी
गुजरात हाईकोर्ट में 9 फरवरी 2016 से जज थीं। 2011 में इसी हाईकोर्ट में एडिशनल जज थीं और इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट में भी एडिशनल जज रह चुकी हैं। इनका पूरा नाम बेला मनधूरिया त्रिवेदी है। Read Also : मेरठ : पूर्व ब्लॉक प्रमुख के बेटे की गोली मारकर हत्या, मेहमान बनकर आए हत्यारे, साथ बैठकर चाय भी पी
जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका
बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल और परमानेंट जज रह चुके हैं। 2019 में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अपॉइंट किए गए। जस्टिस ओका सिविल, कॉन्स्टिट्यूशनल और सर्विस मैटर्स के स्पेशलिस्ट माने जाते हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहते हुए उन्होंने लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा और राज्यों की ज्यादतियों को लेकर फैसले दिए हैं और राज्यों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है।
जस्टिस विक्रम नाथ
गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। इससे पहले उनका नाम आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिसकी तरह रिकमेंड किया गया था, पर तब केंद्र ने इस सिफारिश को नामंजूर कर दिया था। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान वे देश के पहले चीफ जस्टिस थे, जिन्होंने हाईकोर्ट में वर्चुअल कार्यवाही शुरू की थी।
जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी
सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। इससे पहले वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी जज रह चुके हैं। उनका जन्म भी मध्य प्रदेश के जौरा में ही हुआ है। हाईकोर्ट की बेंच के लिए प्रमोट होने से पहले वे ग्वालियर में ही वकील थे। उन्होंने मध्य प्रदेश की मेडिकल फैसिलिटीज में खामियों पर PhD भी की है।
जस्टिस सीटी रवि
केरल हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। उनके पिता मजिस्ट्रियल कोर्ट में बेंच क्लर्क थे। उन्होंने केसों के स्पीड ट्रायल को लेकर बड़ा कमेंट किया था। उन्होंने कहा था कि कानून की उम्र लंबी होती है, पर जिंदगी छोटी होती है। ये कमेंट उन्होंने 2013 में करप्शन के एक मामले में दिया था और दो केसों को अलग किया था, ताकि उनके ट्रायल तेजी से हो सकें।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा
बार से सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंट होने वाले पहले जज हैं। बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंट होने वाले वे देश के नौंवें जज हैं और 2028 में चीफ जस्टिस भी बन सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो बार से अपॉइंट होने के बाद चीफ जस्टिस बनने वाले वे तीसरे न्यायाधीश होंगे। 2014 से 2018 तक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। इटली नौसेना मामले, जजों से जुड़े NJAC केस से भी जुड़े रहे। उन्हें BCCI के प्रशासनिक कार्यों से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ भी नियुक्त किया गया था।
जस्टिस एमएम सुंदरेश
केरल हाईकोर्ट के जज हैं। 1985 में वकालत शुरू की थी। चेन्नई से BA किया और मद्रास लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री ली।