तलाकशुदा और विधवा महिलाएं भी बन सकेंगी मां, सरकार ने सरोगेसी कानून में किया संशोधन

सरोगेसी को अगर सरल शब्दों में समझा जाए तो अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है। ऐसे जोड़े जो माता-पिता बनना चाहते हैं लेकिन बच्चे पैदा नहीं कर सकते, वे सरोगेसी अपनाते हैं। केंद्र सरकार ने सरोगेसी कानून में बदलाव करते हुए अब एकल महिलाओं (Divorced And Widowed) को इस प्रक्रिया के जरिए मां बनने का अधिकार दे दिया है।
 
इस दुनिया में सबसे बड़ा और खूबसूरत रिश्ता एक माँ का अपने बच्चे के साथ होता है। हमारे यहां कहा जाता है कि एक महिला तभी संपूर्ण होती है जब वह मां बनती है। लेकिन जब किसी महिला का तलाक हो जाए या उसके पति की मौत हो जाए तो महिला का ये सपना कैसे पूरा हो सकता है? लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसकी व्यवस्था कर दी है। READ ALSO:-किसान आंदोलन : 26 फरवरी को किसान अमृतसर से शंभू बॉर्डर तक निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च, 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी महापंचायत

 

केंद्र सरकार ने सरोगेसी कानून में बदलाव कर अकेली महिला (Divorced And Widowed) को मां बनने का अधिकार दे दिया है। विधवा या तलाकशुदा (Divorced And Widowed) महिलाएं अब सरोगेसी प्रक्रिया के माध्यम से यह लाभ प्राप्त कर सकती हैं, और सरकार ने चिकित्सा शर्तों के आधार पर इच्छुक जोड़ों को दाता युग्मक (Donor Gametes) का उपयोग करने की अनुमति भी दी है।

 

पति या पत्नी में से किसी एक की जरूरत पड़ेगी
सरकार ने सरोगेसी कानून में संशोधन कर अकेली महिला को मां बनने का अधिकार दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सरोगेसी के दोनों पहलुओं में बदलाव करने को कहा था, जिसके बाद सरकार ने सरोगेसी एक्ट-2022 में संशोधन कर दिया है। बता दें, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 44 साल की अविवाहित महिला की सरोगेसी के जरिए मां बनने की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद सरोगेसी पर फिर से चर्चा होने लगी। इस मामले पर कोर्ट ने कहा था कि अविवाहित महिला को यह अधिकार देना भारत के सामाजिक ताने-बाने के लिए ठीक नहीं है। 

 

लेकिन यह अधिकार विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को दिया गया है। इसके अलावा, किसी मेडिकल बीमारी से पीड़ित जोड़े के लिए दोनों युग्मक (Gametes) का होना अनिवार्य नहीं है, यानी सीधे शब्दों में कहें तो पति या पत्नी में से एक का होना जरूरी है, जबकि दूसरे दाता युग्मक (Donor Gametes) का उपयोग किया जाएगा। हालाँकि, ऐसे मामले में आपको जिला मेडिकल बोर्ड से अनुमति लेनी होगी।

 

अकेली महिलाओं के लिए क्या होंगे नियम?
विधवा या तलाकशुदा एकल महिला के मामले में किया गया बदलाव भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सरोगेसी (Regulation) एक्ट की धारा 2 (सी) की वैधता को चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने सरकार से इसमें बदलाव करने को कहा था। अब एकल महिलाओं (Divorced And Widowed) को सरोगेसी प्रक्रिया का लाभ उठाने के लिए दाता शुक्राणु का उपयोग करने की अनुमति दी गई है। बशर्ते उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए। लिव-इन कपल्स के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है।