पत्नी का शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना 'मानसिक क्रूरता', दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी, जानिए कोर्ट ने तलाक देने से क्यों किया इनकार

तलाक केस: तलाक मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि शादी के बाद अपने पार्टनर को सेक्स से इनकार करना क्रूरता है। सेक्स के बगैर शादी अभिशाप है। 
 
पत्नी का सेक्स से इनकार करना 'क्रूरता' है। ये कहना है दिल्ली हाई कोर्ट का। हाई कोर्ट तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहा था। पति ने इस आधार पर तलाक मांगा था कि उसकी पत्नी ने यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया था। और तो और, वह उसे घर जमाई बनाकर रखना चाहती है।READ ALSO:-देश के इस राज्य में सबसे सस्ता LPG गैस सिलेंडर, कीमत महज 474 रुपये

 

हाई कोर्ट ने साफ कहा कि पति या पत्नी का अपने साथी के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करना मानसिक क्रूरता है। हालांकि, कोर्ट ने आगे कहा कि पति/पत्नी का शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना मानसिक क्रूरता है लेकिन इसे क्रूरता तभी माना जा सकता है जब किसी पार्टनर ने जानबूझकर लंबे समय तक ऐसा किया हो। 

 

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने पति को तलाक लेने की इजाजत देने से भी इनकार कर दिया। तलाक की इजाजत देने वाला फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया गया। 

 

इस मामले में ऐसा नहीं है, इसलिए कोर्ट ने पति के पक्ष में निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उसने दोनों के तलाक को मंजूरी दी थी.

 

“ये बहुत संवेदनशील मामले हैं। अदालतों को ऐसे मामलों से निपटने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। विवाहित जोड़ों के बीच मामूली मतभेद और विश्वास की कमी को मानसिक क्रूरता नहीं कहा जा सकता है।''
इस जोड़े की शादी 1996 में हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। साल 1998 में उनकी एक बच्ची भी हुई। पति ने मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की थी। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी को उसके साथ ससुराल में रहने में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह चाहती है कि पति उसके साथ मायके में 'घर जमाई' बनकर रहे।

 

फैमिली कोर्ट ने पति को तलाक की इजाजत दे दी थी। इसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। पत्नी की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हालांकि संभोग से इनकार करना मानसिक क्रूरता का एक रूप माना जा सकता है, केवल तभी जब यह लगातार, जानबूझकर और लंबे समय तक हो।

 

कोर्ट ने कहा- पाया गया कि पति अपनी ओर से किसी भी मानसिक क्रूरता को साबित करने में विफल रहा है और वर्तमान मामला केवल वैवाहिक बंधन में सामान्य कलह का मामला है।

 

ऐसे मामलों में कोर्ट पहले क्या कह चुका है?
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में यह बात कही थी. तलाक मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि शादी के बाद अपने पार्टनर को सेक्स से इनकार करना क्रूर है। सेक्स के बिना शादी अभिशाप है। शादी के बाद यौन संबंधों में लगातार निराशा से ज्यादा घातक कुछ नहीं हो सकता। ऐसे में पत्नी के विरोध के कारण शादी का मकसद पूरा नहीं हो सका है। 

 

कर्नाटक हाई कोर्ट ने जून 2023 में एक मामले की सुनवाई के दौरान यही कहा था. हाई कोर्ट ने कहा था- अगर कोई पार्टनर शादी के बाद शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो यह क्रूरता है, लेकिन यह IPC की धारा 498ए के तहत अपराध नहीं है।