Delhi High Court : ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं रह सकते, CM पद से हटाने वाली याच‍िका की खार‍िज

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर इसे राष्ट्रपति के पास भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। आपको बता दें कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 
 
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। कोर्ट ने कहा, अगर संवैधानिक संकट की स्थिति होगी तो एलजी या राष्ट्रपति अपने हिसाब से फैसला लेंगे। इस मामले में अदालती हस्तक्षेप की गुंजाइश कहां है?Read Also:-जल्द खत्म हो जाएगा FASTag का झंझट, NHAI अब इस तरह वसूलेगा टोल; केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया..

 

राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकते
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, हम अपनी ओर से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकते। कोई भी हाई कोर्ट ऐसा नहीं कर सकता। इस मामले में कोर्ट के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है। अदालत के मंच का इस्तेमाल राजनीतिक बहस के लिए नहीं किया जा सकता। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हिरासत से सरकार चलाने में व्यावहारिक दिक्कतें आ सकती हैं लेकिन हमें आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है। एलजी या राष्ट्रपति देखेंगे। हमें उन्हें निर्देश देने की जरूरत नहीं है। 

 


याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस
दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया था। ट्रायल कोर्ट द्वारा बिना कोई तत्काल राहत दिए दिए गए ईडी रिमांड को भी चुनौती दी गई थी।

 

ईडी को हाई कोर्ट के नोटिस पर आतिशी ने बुधवार को कहा था, 'माननीय हाई कोर्ट ने आज के आदेश में जो कहा है, वह बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी है। अभी तक सिर्फ आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्ष व इंडिया अलायंस के सदस्यों ने ही बार-बार सवाल उठाए हैं और कहा है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी, अलोकतांत्रिक और राजनीति से प्रेरित नहीं है। लेकिन आज हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस बात की जांच करने की जरूरत है कि क्या यह गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह गिरफ्तारी अलोकतांत्रिक और अवैध हो सकती है और इसीलिए हाई कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया है।