ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले हो जाएं सावधान! मांगा जा रहा है ग्राहकों का डेटा, जानिए क्या है सरकार की योजना?

 ऑनलाइन शॉपिंग डेटा: घर का सामान ऑनलाइन खरीदना बहुत आम बात है। लेकिन अब कंपनियों से ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों का डेटा मांगा जा रहा है। इसके पीछे की वजह कोई और नहीं बल्कि भारत सरकार है।
 
ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। शहरों में ज्यादातर लोग क्विक सर्विस के लिए ब्लिंकिट, जेप्टो, इंटा मार्ट जैसे ऐप का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब सरकार कंपनियों से उनके ग्राहकों का डेटा लेने की तैयारी कर रही है। इससे सरकार ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों पर नजर रख सकेगी। इसके जरिए सरकार देश की जीडीपी को समझने की कोशिश करेगी।READ ALSO:-UP Military School: उत्तर प्रदेश को मिली 16 सैनिक स्कूलों की सौगात, मेरठ, आगरा और प्रयागराज समेत इन जिलों में रास्ता साफ

 

सरकार की क्या योजना है?
सरकार ब्लिंकिट, जेप्टो, इंस्टामार्ट जैसे प्लेटफॉर्म से शॉपिंग करने वालों पर नजर रख रही है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, भारत सरकार जीडीपी को समझने के लिए ग्राहकों का डेटा मांग सकती है। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इससे सरकार के लिए ग्राहकों के कंजप्शन पैटर्न और उसके आर्थिक बदलाव को समझना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी कंपनियों से बात की जाएगी, ताकि ग्राहकों का डेटा लिया जा सके। इससे देश की जीडीपी को समझना आसान हो जाएगा।

 

ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ा चलन
पिछले दो सालों में भारत में ऑनलाइन शॉपिंग में काफी तेजी देखी गई है। कोरोना के समय में जब लोग घरों से बाहर नहीं निकले तो इसका चलन बढ़ गया। अनुमान लगाया गया कि देश में ऑनलाइन ग्रॉसरी बिक्री में इसका योगदान करीब 40 फीसदी है। वित्त वर्ष 2021-23 के दौरान इस सेगमेंट में 230 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। जिसमें सबसे ज्यादा खरीदारी ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट और जेप्टो से की गई। 

 

रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में कुल घरेलू ग्रॉसरी खर्च में क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की हिस्सेदारी फिलहाल 5 से 6 फीसदी है। इसे देखते हुए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय इस मामले को राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी पर सलाहकार समिति के समक्ष रख सकता है। इसके अलावा क्विक कॉमर्स के अलावा माल एवं सेवा कर (GST) के आंकड़ों को भी देखने की योजना बनाई जा रही है।