Ayushman scheme : एक ही मोबाइल नंबर, 7.5 लाख रजिस्ट्रेशन, मरने वालों को भी किया 'ठीक', आयुष्मान योजना में गड़बड़ी पर CAG का खुलासा

'आयुष्मान भारत योजना' में अनियमितताओं को लेकर 'भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक' (CAG) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि कैसे इस स्कीम के जरिए फर्जीवाड़ा हुआ है। 
 
भारत सरकार की स्वास्थ्य योजना 'आयुष्मान भारत योजना' में बड़ी खामियां उजागर हुई हैं। सरकार के खर्चों का हिसाब-किताब करने वाली संस्था भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने इस योजना में अनियमितताओं को सामने रखा है।  CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत सिर्फ एक फोन नंबर पर करीब 7.5 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। इसके अलावा एक और फोन नंबर है जिस पर 1.39 लाख रजिस्ट्रेशन रजिस्टर्ड हो चुके हैं। READ ALSO:-UP : 'भारत का दोबारा बंटवारा नहीं होने देंगे', सेल्फी लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की मेरी माटी-मेरा देश अभियान की शुरुआत

 

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस योजना के तहत कई ऐसे लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जो रजिस्ट्रेशन के पात्र नहीं हैं। इन लोगों ने भी योजना का लाभ उठाया है। सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग रजिस्ट्रेशन के पात्र नहीं हैं, उन्होंने 22 करोड़ रुपये का फायदा उठाया है। जिन 7.5 लाख लाभार्थियों ने आयुष्मान भारत का लाभ उठाया है, उनका रजिस्ट्रेशन 9999999999 नंबर से किया गया था। मंगलवार को संसद में CAG से जुड़ी एक रिपोर्ट रखी गई, जिसमें यह जानकारी मिली है। 

 

मृत लोगों को मिला योजना का लाभ
इतना ही नहीं रिपोर्ट में आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया गया है। सीएजी रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कुछ राज्यों में लाभार्थियों से अलग से पैसे भी वसूले गए हैं। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 2017 से 2021 के बीच 2103 लाभार्थी ऐसे थे जिनकी मृत्यु हो गई थी, लेकिन फिर भी उन्हें योजना का लाभ मिल रहा था। छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश ऐसे राज्य रहे जहां सबसे ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं। 

 

6.97 करोड़ का भुगतान किया गया
ऑडिट में सबसे बड़ी खामी यह सामने आई है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीजों को इलाज मिल रहा है, जिन्हें पहले 'मृत' दिखा दिया गया था। लेकिन उनकी मौत के बाद भी उनका इलाज चलता रहा। TMS में मौत के मामलों के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज के दौरान 88,760 मरीजों की मौत हो गई। 

 

इन रोगियों के संबंध में नए उपचार से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त दावों में शामिल करीब 3,903 मामलों में अस्पतालों को दावा राशि का भुगतान कर दिया गया। इनमें से 3,446 मरीजों से संबंधित भुगतान 6.97 करोड़ रुपये था।

 

इन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा धांधली हुई
मृत व्यक्तियों के इलाज का दावा करने के सबसे ज्यादा मामले देश के पांच राज्यों में देखे गए हैं। इनमें छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं। CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा अपेक्षित परीक्षणों की पुष्टि किए बिना ऐसे दावों का सफल भुगतान एक बड़ी चूक का संकेत देता है। ऑडिट में आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह भी पता चला कि इस योजना के एक ही लाभार्थी को एक ही समय में कई अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. जुलाई 2020 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी इस मुद्दे पर प्रकाश डाला था। 

 

NHA ने कहा था कि ये मामले ऐसे परिदृश्यों में सामने आते हैं जहां एक बच्चा एक अस्पताल में पैदा होता है और उसे मां की PMJAY आईडी का उपयोग करके नवजात देखभाल के लिए दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित किया जाता है। लेकिन सीएजी की जांच में पता चला है कि डेटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे ऐसे पाए गए, जिनमें पहले इलाज के लिए इन मरीजों के डिस्चार्ज की तारीख उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की तारीख के बाद की थी। ऐसे मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं।

 

आयुष्मान भारत योजना क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। इसका उद्देश्य प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत 12 करोड़ गरीब परिवार आते हैं जिनकी जनसंख्या लगभग 55 करोड़ है। इस प्रकार आयुष्मान योजना देश की 40 प्रतिशत आबादी को कवर करती है।