इन 15 सवालों में फंस गया आशीष, पूछताछ में वीआईपी ट्रीटमेंट मिला फिर भी सहयोग नहीं किया; आखिरकार जाना पड़ा जेल

पूछताछ के वक्त आशीष मिश्रा के वकील अवधेश सिंह और मंत्री अजय मिश्र टेनी के प्रतिनिधि अरविंद सिंह संजय के अलावा भाजपा के सदर विधायक योगेश वर्मा भी अंदर मौजूद रहे।  

 
Lakhimpur Kheri Violence Case: लखीमपुर हिंसा में 4 किसानों और एक पत्रकार का हत्यारोपी और गृह राज्यमंत्री का बेटा आशीष मिश्रा जेल भेज दिया गया है। शनिवार को करीब 12 घंटे सख्त पूछताछ के बाद डीआईजी उपेंद्र कुमार ने कहा कि आशीष जांच में सहयोग नहीं कर रहा है इसीलिए उसे जेल भेजा जा रहा है। देर रात ही उसका मेडिकल कराया गया और फिर रात साढ़े 12 बजे के आसपास उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया। अब 11 अक्टूबर को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। 

 

मिला वीआईपी ट्रीटमेंट, पूछताछ के दौरान पिता के प्रतिनिधि से लेकर विधायक तक मौजूद

मंत्री से बेटे से पूछताछ की कमान मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रभारी डीआईजी उपेंद्र कुमार को सौंपी गई थी। एसआईटी के साथ ही क्राइम ब्रांच की टीम भी पूछताछ के लिए मौजूद रही। एसडीएम सदर भी पूछताछ कक्ष में थे। 12 घंटे की पूछताछ के दौरान 14 बार चाय और नाश्ता भी मंत्री के बेटे की खातिरदारी के लिए मंगवाया गया, लेकिन इसके बावजूद सत्ता की अकड़ में बैठे आशीष मिश्रा ने जांच में जरा सा भी सहयोग नहीं किया और इनवेस्टिगेशन कर रही टीम को भी अपने दबाव में लेने की कोशिश की। पूछताछ के वक्त आशीष का वकील अवधेश सिंह और मंत्री अजय मिश्र टेनी का प्रतिनिधि अरविंद सिंह संजय के अलावा भाजपा के सदर विधायक योगेश वर्मा भी अंदर मौजूद रहे।  Read Also : Delhi Police on High Alart: स्थानीय बदमाशों, गैंगस्टरों की मदद से दिल्ली में हमला कर सकते हैं आतंकी, हाई अलर्ट पर पुलिस

 

पहले दिन से आशीष को बचाने में लगी योगी सरकार और यूपी पुलिस

घटना के पहले दिन से ही लखीमपुर खीरी की आईजी लक्ष्मी सिंह और स्थानीय पुलिस आशीष के बचाव में लगे हुए थे। आशीष खुलेआम लखीमपुर में बैठकर मीडिया में बयानबाजी कर रहा था, लेकिन इसके बावजूद आईजी ने उसे फरार बता दिया। इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने यह कह दिया कि इस मामले में मंत्री के परिवार की कोई भूमिका सामने नहीं आ रही है, बिना सबूत के आशीष की गिरफ्तारी नहीं होगी। जिसके चलते पुलिस कार्रवाई से पीछे हटती रही। पुलिस ने यह तक नहीं पता किया कि आशीष के पास कितने फोन है और घटना के वक्त उसके फोन की लोकेशन कहां थी। इतना ही नहीं पुलिस ने घटना स्थल की बैरिकेटिंग तक नहीं की। 

 

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से करनी पड़ी कार्रवाई

पुलिस से लेकर योगी सरकार ने आशीष को बचाने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद यूपी सरकार और उनकी पुलिस बैकफुट पर आ गई। आशीष पर मर्डर, एक्सीडेंट में मौत, आपराधिक साजिश और लापरवाही से वाहन चलाने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है, लेकिन इसके बावजूद आशीष को गिरफ्तार करने की बजाय पूछताछ के लिए नोटिस दिया गया। पहले दिन तो आशीष ने इस नोटिस को भी धता बता दी और पूछताछ के लिए नहीं पहुंचा, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट और विपक्ष का दबाव बढ़ा तो किसी बड़े नेता ने आशीष के मंत्री पिता पर आशीष को पेश करने का दबाव बनाया, जिसके बाद शनिवार सुबह आशीष पूछताछ के लिए पहुंचा। पूछताछ में आशीष ने अपने बचाव में 10 एफिडेविट और एक पेन ड्राइव के साथ दो मोबाइल पेश किए गए। इनसे SIT संतुष्ट नहीं दिखी। बताया जा रहा है कि 13 वीडियो SIT को दिए गए हैं। इनकी जांच फॉरेंसिक एक्सपर्ट करेंगे। Read Also : जम्मू-कश्मीर में NIA की ताबड़तोड़ कार्रवाई, 16 ठिकानों पर छापेमारी

 

पूछताछ के दौरान भी दिखाया रसूख

आशीष मिश्रा से करीब 12 घंटे की पूछताछ में क्राइम ब्रांच तथा एसआइटी का फोकस सिर्फ 15 सवालों पर था। एसआइटी के लगातार एक ही प्रश्न का जवाब मांगने पर आशीष बुरी तरह झल्ला रहा था और अपने पिता के राजनीतिक रसूख के चलते पूछताछ कर रही टीम को दबाव में लेने की कोशिश भी कर रहा था, लेकिन एसआईटी टीम और क्राइम ब्रांच के अफसर उसके दबाव में नहीं आए और देर रात उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

 

एसआइटी के इन 15 सवालों पर आशीष का जवाब  

  • 1- सवाल: हिंसा के समय तुम कहां थे?
जवाब -दंगल में 
  • 2- सवाल: प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हिंसा के समय तुम घटनास्थल पर ही एक वाहन में थे। तुम्हारे काफिले में कितने वाहन थे।
जवाब- मैं दंगल में ही था। काफिले में कौन कार्यकर्ता थे मालूम नहीं।  
  • 3- सवाल: तुम्हारे वाहन में और कौन-कौन लोग बैठे हुए थे?
जवाब- चालक हरिओम था। उसके साथ और कौन था मुझे नहीं मालूम, हम तो दंगल में थे।
  • 4- सवाल: जिस वाहन में तुम थे, वह किसका था?
जवाब- थार मेरी थी, लेकिन मैं उसमें नहीं था। आप लोग एक ही बात कितनी बार पूछेंगे।
  • 5- सवाल: वाहन में तुम किधर बैठे थे। वाहन को कौन चला रहा था।
जवाब- मुझे नहीं मालूम, मैं नहीं था बस।
  • 6- सवाल: जब तुम्हारा वाहन घटनास्थल पर पहुंचा तो भीड़ कितनी थी।                   
जवाब- आप लाख बार पूछ लीजिए हम एक ही जवाब देंगे घटनास्थल पर हम मौजूद नहीं थे। वहां क्या हुआ कुछ नहीं पता। जो जानकारी हुई बाद में हुई।
  • 7- सवाल : भीड़ सड़क पर क्या कर रही थी। क्या भीड़ तुम्हारे वाहनों का रास्ता रोक रही थी।
जवाब- पता नहीं।  
  • 8- सवाल: जब पहला आदमी वाहन से टकराया तो वाहन रोका क्यों नहीं।          
जवाब- मैं होता तो गाड़ी रोकता। जब था ही नहीं तो कैसे रोकता। चालक ने ऐसा किन परिस्थितियों में किया पता नहीं।
  • 9- सवाल: तुम्हारे पास लाइसेंसी हथियार है या नहीं है। तुम्हारे साथ वाहन में किस-किस के पास लाइसेंसी हथियार थे।
जवाब- नहीं पता।
  • 10- सवाल: फायरिंग की आवाज वाहनों से कैसे आ रही थी।
जवाब- हमको नहीं पता, बार-बार एक ही सवाल क्यों पूछ रहे आप लोग।                  
  • 11- सवाल: सोशल मीडिया पर कई वीडियो हैं जो घटनास्थल पर तुम्हारी उपस्थिति साबित कर रहे हैं।
जवाब- गलत हैं, मैंने जो वीडियो दिए वो सही हैं। घटना स्थल पर मैं नहीं था।
  • 12- सवाल: अगर यदि घटनास्थल पर नहीं थे तो एफआइआर होने के बाद तुम अंडरग्राउंड क्यों हुए। नोटिस जारी होने के बाद भी पेश क्यों नहीं हुए।
जवाब- मैं दिल्ली में था और मीडिया से भी लगातार बात कर रहा था। पहले नोटिस की जानकारी समय से नहीं हुई। उस समय थोड़ी तबीयत भी ठीक नहीं थी। जानकारी होते ही आज इसलिए समय से पहले पेश हुआ।                    
  • 13- सवाल: तुम किस आधार पर दावा करते हो कि हिंसा के दौरान तुम घटनास्थल पर नहीं थे।
जवाब- दंगल के कार्यक्रम और गांव के वीडियो फुटेज और गांव वालों के हलफनामा इसके सबूत है। आप लोग इसकी जांच करा सकते हैं।
  • 14- सवाल: तुम घटनास्थल पर न होने के दावे के समर्थन में जो वीडियो दिखा रहे हो, उनकी सत्यता का आधार क्या है।
जवाब- सभी सही हैं। आप फॉरेंसिक जांच करा सकते हैं या फिर भौतिक सत्यापन। जिससे साफ हो जाएगा कि मैं गांव पर था।    
  •  15- सवाल: तुम्हारे दावे और उपलब्ध कराए गए साक्ष्य पर पुलिस भरोसा क्यों करे, जब तुमने अब तक कोई सहयोग हीं नहीं किया।
जवाब- पुलिस ने जैसे ही बुलाया मैं हाजिर हो गया। इसके साथ ही जब भी मेरे सहयोग की जरूरत पड़ेगी दूंगा। मैं कोई अपराधी नहीं हूं। एक राजनेता का बेटा और मेरा खुद का व्यवसाय है।  

 

अधिवक्ता ने कहा-जांच में सहयोग न करने का आरोप गलत  

आशीष मिश्र के वकील अवधेश सिंह ने का कहना है कि12 घंटे की पूछताछ में आशीष से 150 से ज्यादा सवाल पूछे गए। आशीष ने जांच को पूरा सहयोग किया। यह आरोप बिल्कुल गलत है कि आशीष ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया। उन्होंने कहा कि एसआइटी के वो सवाल ही नादानी भरे थे जिनपर उन्होंने आशीष पर सहयोग न करने का आरोप लगाया है। एसआइटी ने पूछा था कि दोपहर दो बजे से लेकर 2: 38 बजे तक आशीष के मोबाइल पर किसी का फोन क्यों नहीं आया। इसका जवाब कोई भी कैसे दे सकता है।