पेट्रोल-डीजल के बाद अब खाने का तेल जल्द होने वाला है सस्ता, सरकार ने उठाया यह कदम, देखें
सरकार ने दो साल के लिए शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी। जिससे सोयाबीन, सूरजमुखी आदि तेल की कीमतों में काफी कमी आएगी।
Updated: May 25, 2022, 12:49 IST
पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बाद अब खाद्य तेल बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार ने एक कदम उठाया है। जिससे खाने के तेलों की कीमतों में काफी कमी हो जाएगी। कीमत कम होने से लोगों को राहत जरूर मिलेगी। एक हफ्ते के अदर कीमतों में कमी देखी जा सकेगी।
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने खाने के तेल पर टैक्स कटौती का फैसला किया है।सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क तथा कृषि अवसंरचना उपकर को मार्च, 2024 तक हटाने की घोषणा की है। read also : अमेरिका में गोलीबारी : टेक्सास के स्कूल में सिरफिरे ने 18 बच्चों सहित 22 लोगों को गोलियों से भूना, मरने वाले बच्चों की उम्र 7 से 10 साल
वित्त मंत्री ने जारी किी अधिसूचना
वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की है। जिसके अनुसार सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
घरेलू कीमतें गिरेंगी
सरकार के इस कदम से घरेलू तेल की कीमतों में कमी देखी जा सकेगी। क्योंकि इन दिनों तेल की कीमते लागातर बढ़ती जा रही हैं। जिसके चलते आम जनता का खाने-पीने की चीजों का संतुलन भी बिगड़ता जा रहा है। अब देखना है कि कीमतें नीचे आने में कितना समय लगेगा।
80 लाख टन कच्चे साेयाबीन तेल
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक ट्वीट में लिखा, यह निर्णय उपभोक्ताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगा। इसका मतलब है कि 31 मार्च, 2024 तक कुल 80 लाख टन कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल का शुल्क मुक्त आयात किया जा सकेगा। इससे घरेलू स्तर पर कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी।
3 से 5 रुपये प्रति लीटर तक गिर सकते हैं दाम
सॉल्वैट एक्सट्रैक्टर्स ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता के अनुसार सरकार के इस फैसले से सोयाबीन तेल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर तक नीचे आएंगे। सरकार ने 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों के लिए शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। मेहता ने कहा कि टीआरक्यू के तहत सीमा शुल्क और 5.5 प्रतिशत का कृषि अवसंरचना कर हट जाएगा।