जबरन हटाया तो दिल्ली की सीमा पर मारे जाएंगे 10000 लोग : राकेश टिकैत
कृषि कानूनों पर रोक लगाए जाने और कमेटी के गठन के आदेश के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा ही कि किसानों का यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा किसान बातचीत के बाद तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाएंगे या नहीं।
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टिकैत ने कहा कि यदि सरकार ने जबरदस्ती किसानों को हटाने की कोशिश की तो इसमें 10000 लोग मारे जा सकते हैं। बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से बड़ी संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और एमएसपी पर कानून बनाया जाना चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ''हम किसानों की कमेटी में इसकी चर्चा करेंगे। 15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे। जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। जब तक बिल वापस नहीं होगा, तब तक घर वापसी नहीं होगी।'' उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड करके रहेगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है। उन्होने कहा कि सरकार का आकलन है कि आंदोलन हटाने पर एक हजार आदमी मारे जा सकते हैं, लेकिन सरकार का यह गलत आकलन है। क्योंकि अगर किसानों को जबरन हटाने की कोशिश की गई तो यहां 10 हजार आदमी मारे जा सकते हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी, गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी। टिकैत ने ट्वीट किया, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी।
राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है।जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
अगले आदेश तक कानून लागू करने पर रोक
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले में सभी दलील सुनने के बाद तीनों कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि वह इस बारे में आदेश पारित करेगी। कोर्ट द्वारा गठित की जाने वाले समिति इन कानूनों को लेकर किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार करेगी। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने विरोध कर रहे किसानों से भी सहयोग करने का अनुरोध किया और स्पष्ट किया कि कोई भी ताकत उसे गतिरोध दूर करने के लिए इस तरह की समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है।
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