Covishield के बाद Covaxin के साइड इफेक्ट सामने आए, स्टडी में श्वसन संक्रमण, खून के थक्के जमने के मामले; बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुआ शोध
कोरोना के समय ऐसा लग रहा था मानो पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया हो। इससे बचने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सिन के टीके लगाए गए, लेकिन अब दोनों के साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। इससे पहले भी कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के मामले सामने आ चुके हैं।
May 16, 2024, 19:22 IST
कोरोना वायरस से बचाव के लिए लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सिन के टीके लगवाए थे। इससे पहले एस्ट्राजेनेका ने माना था कि उसकी वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, लेकिन अब कोवैक्सिन को लेकर भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। READ ALSO:-दो मुंह, तीन पैर और चार हाथ और एक शरीर; इंडोनेशिया में पैदा हुआ अजोबोग़रीब बच्चा.....
कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में कोर्ट में माना था कि उसकी वैक्सीन कई लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। वहीं, अगर कोवैक्सिन की बात करें तो अब इसके साइड इफेक्ट भी सामने आने लगे हैं।
लड़कियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोगों में एक साल के बाद इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, इसका सबसे ज्यादा असर टीनएज लड़कियों पर पड़ रहा है, इसके कुछ साइड इफेक्ट तो बेहद गंभीर थे। इन टीकों को लेकर एक 'अवलोकन अध्ययन' किया गया जिसमें टीका प्राप्त करने वाले एक तिहाई लोगों में 'विशेष रुचि की प्रतिकूल घटनाएं' पाई गईं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोगों में एक साल के बाद इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, इसका सबसे ज्यादा असर टीनएज लड़कियों पर पड़ रहा है, इसके कुछ साइड इफेक्ट तो बेहद गंभीर थे। इन टीकों को लेकर एक 'अवलोकन अध्ययन' किया गया जिसमें टीका प्राप्त करने वाले एक तिहाई लोगों में 'विशेष रुचि की प्रतिकूल घटनाएं' पाई गईं।
युवाओं में सामान्य समस्या देखी जा रही है
अध्ययन में 304 किशोरों यानी करीब 48% में 'वायरल अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन' देखा गया। इसके अलावा 10.5% किशोरों में 'न्यू-ऑनसेट स्किन एंड सबक्यूटेनियस डिसऑर्डर', 10.2% में जनरल डिसऑर्डर यानी सामान्य समस्या, 4.7% में नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर यानी तंत्रिका संबंधी समस्या देखी गई। इसी तरह 8.9% युवाओं में सामान्य समस्याएं देखी गईं, 5.8% में मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर यानी मांसपेशियों, नसों, जोड़ों से जुड़ी समस्याएं और 5.5% में तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं देखी गईं। रिपोर्ट के मुताबिक कम उम्र की लड़कियों में भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट देखे गए। 4.6% महिलाओं में पीरियड संबंधी समस्याएं सामने आई हैं। 2.7% लोगों में आंखों से जुड़ी समस्याएं देखी गई हैं। 0.6% में हाइपोथायरायडिज्म पाया गया।
अध्ययन में 304 किशोरों यानी करीब 48% में 'वायरल अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन' देखा गया। इसके अलावा 10.5% किशोरों में 'न्यू-ऑनसेट स्किन एंड सबक्यूटेनियस डिसऑर्डर', 10.2% में जनरल डिसऑर्डर यानी सामान्य समस्या, 4.7% में नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर यानी तंत्रिका संबंधी समस्या देखी गई। इसी तरह 8.9% युवाओं में सामान्य समस्याएं देखी गईं, 5.8% में मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर यानी मांसपेशियों, नसों, जोड़ों से जुड़ी समस्याएं और 5.5% में तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं देखी गईं। रिपोर्ट के मुताबिक कम उम्र की लड़कियों में भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट देखे गए। 4.6% महिलाओं में पीरियड संबंधी समस्याएं सामने आई हैं। 2.7% लोगों में आंखों से जुड़ी समस्याएं देखी गई हैं। 0.6% में हाइपोथायरायडिज्म पाया गया।
इसके अलावा अगर गंभीर साइड इफेक्ट की बात करें तो यह लगभग 1% लोगों में पाया गया है। वहीं, 300 में से एक में स्ट्रोक की समस्या और 100 में से एक में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम देखा गया है। इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि इस वैक्सीन के लगने से थायराइड जैसी बीमारियों पर असर पड़ता है। युवा और किशोर महिलाओं में देखा गया है।
इसके साथ ही कई किशोरों में थायराइड का स्तर भी कई गुना बढ़ गया। चिंता की बात यह थी कि यह टीका लगने के एक साल बाद जब इन लोगों से संपर्क किया गया तो इनमें से ज्यादातर में ये बीमारियाँ मौजूद थीं। इसमें यह भी कहा गया है कि COVID-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट का पैटर्न अन्य कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट के पैटर्न से अलग है।