जल्द बदल जाएगी न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था, अब भोजन और कपड़ों की लागत के आधार पर मजदूरी तय की जाएगी

भारत में न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था बहुत जल्द बदल सकती है। इसकी जगह सरकार ऐसा फार्मूला ला सकती है, जो लोगों के खर्च को पूरा करने के हिसाब से तय हो। आखिर क्या बदलाव होने जा रहे हैं, चलिए जानते हैं इसके बारे में...
 
देश का गरीब आदमी, जो किसी तरह मेहनत करके अपना जीवन यापन करता है, उसका शोषण न हो, इसीलिए देश में 'न्यूनतम वेतन' की व्यवस्था है। इसके मुताबिक खेतिहर मजदूरों और मनरेगा के तहत काम करने वालों की मजदूरी तय होती है। लेकिन न्यूनतम वेतन की यह गणना जल्द ही बदल सकती है। सरकार इसकी तैयारी कर रही है। आइये जानते हैं इसके बारे में…READ ALSO:-टोल चार्ज बढ़ोतरी: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर एक अप्रैल से पांच फीसदी बढ़ जाएगा टोल चार्ज, यहां चेक करें रूट चार्ज लिस्ट

 

दरअसल, सरकार देश में न्यूनतम मजदूरी की जगह लोगों के लिए जीवनयापन मजदूरी की व्यवस्था लाने के पक्ष में है। इस संबंध में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन से भी मदद मांगी है। ताकि सरकार इसे तकनीकी तौर पर कैसे लागू किया जाए इसकी ठोस तैयारी कर सके। आखिर इस नई व्यवस्था में क्या-क्या बदलेगा...

 

ऐसे बदल जाएगा न्यूनतम वेतन का कैलकुलेशन
अगर सरकार कोई नई व्यवस्था लाती है तो व्यक्ति का वेतन भोजन, कपड़ा, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य जरूरतों पर होने वाले खर्च के आधार पर होगा। हर सेक्टर में काम करने वाले लोगों का वेतन वहां होने वाले खर्च के हिसाब से तय किया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था में श्रम उत्पादकता और कौशल को आधार बनाया जाता है। 

 

फिलहाल देश में न्यूनतम मजदूरी 176 रुपये प्रतिदिन है। 2017 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह देश में धन का वितरण भी ठीक से नहीं करता है। 

 

क्या नया सिस्टम ज्यादा फायदेमंद होगा?
माना जा रहा है कि देश में नई व्यवस्था शुरू होने से लोगों को पहले से ज्यादा मजदूरी मिलने लगेगी। वर्तमान समय में भारत में 50 करोड़ से अधिक लोग दैनिक मजदूरी पर जीवन यापन करते हैं। इसमें भी 90 फीसदी से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं। उम्मीद है कि वेतन को लेकर नई व्यवस्था से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को बड़ा फायदा मिलेगा  इसका एक और फायदा यह होगा कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के बीच धन वितरण में थोड़ा सुधार हो सकता है।