1 अप्रैल को 2000 रुपये के नोट बदलने और जमा करने की सुविधा रहेगी सस्पेंड, अगले दिन से फिर होगी बहाल

 भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंकों की वार्षिक बंदी के कारण 1 अप्रैल को 2000 रुपये के नोटों को बदलने और जमा करने की सुविधा निलंबित रहेगी। यह अगले दिन स्वचालित रूप से फिर बहाल हो जाएगी।
 
बैंकों में सालाना हिसाब-किताब से जुड़े काम के चलते 1 अप्रैल 2024 यानी सोमवार को 2000 रुपये के बैंक नोट बदलने या जमा करने की सुविधा नहीं मिलेगी। Read Also:- अप्रैल बैंक अवकाश : अप्रैल में इतने दिन बंद रहेंगे बैंक, यहां देखें छुट्टियों की पूरी सूची
 
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि अगले दिन मंगलवार को केंद्रीय बैंक के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों में यह सुविधा बहाल कर दी जाएगी। 

 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कहा, वार्षिक लेखांकन से संबंधित कार्य के कारण सोमवार, 1 अप्रैल, 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों में 2000 रुपये के बैंक नोटों के विनिमय/जमा की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी।

 


आपको बता दें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 19 मई, 2023 को 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा की थी। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा था कि 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर नहीं किया जा रहा है। ये नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे।

 

बैंक ने कहा कि 29 फरवरी को कारोबारी घंटों के अंत तक, 2000 रुपये के लगभग 97.62 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं और केवल 8,470 करोड़ रुपये के नोट अभी भी जनता के पास हैं।

 

2000 रुपये का नोट कब जारी किया गया था?
2,000 रुपये का नोट नवंबर 2016 में बाजार में लॉन्च किया गया था। यह उस समय हुआ जब सरकार ने प्रचलन में सबसे बड़े नोट यानी 500 रुपये और 1000 रुपये को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की। 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था और 500 और 2,000 रुपये के नए नोट लाने की घोषणा की थी। पिछले सालों में 500 रुपये के नोट चलन में थे लेकिन एटीएम और बैंकों में 2000 रुपये के नोटों की कमी पर सवाल उठे थे। 

 

इस पर विपक्षी दलों की ओर से आईं तीखी प्रतिक्रियाएं 
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि 2000 रुपये के नोट कभी भी ‘क्लीन’ नोट नहीं थे। इस नोट को लोगों ने कभी बड़ी संख्या में इस्तेमाल नहीं किया। इसका उपयोग केवल अस्थायी तौर पर काला धन जमा करने के लिए किया जाता था।

 

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी आरबीआई के इस फैसले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों को अपनी गलती देर से समझ आती है। 2000 रुपये के नोट के मामले में भी यही हुआ, लेकिन इसका खामियाजा जनता और अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ा। सरकार मनमाने ढंग से नहीं बल्कि समझदारी और ईमानदारी से चलती है।