India में अब कार के हॉर्न से निकलेगीं तबला, वायलिन, बिगुल, बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों की आवाज, सरकार बना रही नियम

कार को तेज हॉर्न से लोग कई बार परेशान हो उठते हैं। मुख्य समस्या तो उन्हें होती है जिनके सड़क किनारे आवास होते हैं। 24 में से 20 से ज्यादा घंटे उन्हें उन हॉर्न के शोर में गुजारने पड़ते हैँ। भारत सरकार अब जल्द ही नियम बना रही है जिसमें हॉर्न में बांसुरी, तबला आदि वाद्य यंत्रों की आवाज निकलेंगी।
 
परिवहन मंत्री Nitin Gadkari कारों में हॉर्न की आवाज को लेकर एक नए नियम को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। कानों को चुभने वाली हॉर्न की आवाज को नितिन गडकरी ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि विभाग कारों के हॉर्न की आवाज बदलने पर काम कर रहा है। हो सकता है जल्द ही परिवहन विभाग नये नियम लागू भी कर दे।

भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Transport Minister Nitin Gadkari) ने कहा कि "मैं नागपुर में एक बिल्डिंग की 11वीं मंजिल पर रहता हूं। मैं रोज सुबह 1 घंटे प्राणायाम करता हूं। लेकिन हॉर्न सुबह के सन्नाटे में खलल डालते हैं।" "इस परेशानी के बाद मेरे मन में यह ख्याल आया कि वाहनों के हॉर्न सही तरीके से होने चाहिए। हम सोचने लगे हैं कि कार के हॉर्न की आवाज भारतीय म्यूजिकल यंत्रों (Indian musical instruments horn) की होनी चाहिए और हम इस पर काम कर रहे हैं। इनमें तबला, ताल, वायलिन, बिगुल, बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों की आवाज हॉर्न से सुनाई देनी चाहिए।"

 

उन्होंने कहा कि इस पर हमारी टीम काम में लगी है। और जल्द ही हम इसमें कुछ बदलाव कर सकते हैं। इससे हॉर्न की तेज ध्वनि में जब बांसुरी सुनाई देगी तो हो सकता है आप इतने परेशान ना हों। अब देखना है कि सरकार का यह नियम कब तक आता है जिसमें सरकार यह आदेश दे सकती है कि वाहनों के हॉर्न भारतीय म्यूजिकल यंत्रों की तरह बजने चाहिए। 

 

"नो हॉन्किंग नियम"  को तो लोग भूल ही बैठे हैं

 

किसी भी वाहन का हॉर्न बनाने से ध्वनि प्रदूषण होता है, पूरे भारत में कोई भी नो हॉन्किंग जोन (No Honking zone) नहीं है। हालांकि, अधिकांश वाहन इन मानदंडों का पालन नहीं करते हैं। वर्तमान नियमों के अनुसार एक हॉर्न की अधिकतम लाउडनेस 112 डेसिबल से अधिक नहीं हो सकती है। हालांकि हम इस विशेष हॉर्न की बात करें तो डेसिबल मीटर पर रीडिंग के बारे में इसकी कोई निश्चित रीडिंग नहीं हैं, लेकिन सामान्य तौर पर, ऐसे लाउड ट्रेन हॉर्न लगभग 130-150 डेसिबल लाउड होते हैं, जो काफी ज्यादा तेज होते हैं। भारत में ‘नो हॉन्किंग' नियम को सख्ती से लागू करना चाहिए।  read also : Honda की कारों पर मिल रहा भारी डिस्काउंट, 50 हजार से ज्यादा की हो रही बचत।

नो हॉन्किंग नियम लागू करना ज्यादा फायदेमंद

 

अगर परिवहन मंत्रालय (Ministry of Transportation) ‘नो हॉन्किंग' वाले क्षेत्रों को सख्ती से लागू करता है, तो यह भारतीय संगीत म्यूजिकल यंत्रों की आवाज वाले हॉर्न से ज्यादा उपयोगी साबित हो सकता है। अधिकांश भारतीय शहरों में ध्वनि प्रदूषण (Air pollution) एक बड़ी समस्या है और यह शहरवासियों के लिए भी बहुत सारी समस्याएं पैदा करता है।   read more : Royal Enfield Classic 350 की 2021 मॉडल हुई लॉन्च, जानें कीमत और क्या है खासियत।

 

आपको बता दें कि केरल में पुलिस अब सोफिस्टिकेटेड ध्वनि मीटरों का इस्तेमाल करती है, जिसका उपयोग किसी भी हॉर्न की आवाज़ को मापने के लिए किया जा सकता है। यदि किसी वाहन का हॉर्न अनुमेय सीमा से अधिक तेज होता है, तो पुलिस द्वारा चालान जारी किया जाता है। ऐसा देश के अन्य राज्यों या शहरों के लिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अन्य जगहों पर इस तरह की कोई जांच नहीं होती है। जानकारी के लिए बता दें कि लगातार हॉर्न का इस्तेमाल और तेज हॉर्न सुनने से आपके ईयरड्रम खराब हो सकते हैं और आप हमेशा के लिए बहरे हो सकते हैं। read more : Ola बेचेगी सेकेंड हेंड कार, Try and Buy नाम से शुरू हुई सर्विस।