उत्तर प्रदेश के इस शहर में ई-साइकिल से सफर होगा आसान, एक जगह से उठाकर दूसरी जगह करदे पार्क, जानिए कब से शुरू हो रहा है प्लान

 पहले चरण में कंपनी 310 ई-साइकिल सड़क पर उतारेगी और ये सभी साइकिल एप आधारित होंगी। ई-साइकिल के लिए शहर में 62 जगहों पर ई-डॉक स्टेशन भी बनाए गए हैं। 
 
प्रदूषण रोकने के लिहाज से इलेक्ट्रिक वाहनों को काफी अहम माना जाता है। हालांकि इसे लेकर कुछ विशेषज्ञों की राय भी अलग है। जो लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रदूषण रोकने में बहुत अच्छा विकल्प नहीं मान रहे हैं, उनका कहना है कि जब तक इन इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए पैदा की गई बिजली प्रदूषण मुक्त तरीके से उत्पन्न नहीं होती, तब तक ये प्रदूषण को कम करने में मददगार हैं। नहीं माना जा सकता। हालांकि इसके बाद भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है।Read Also:-पाकिस्तान की इस एक्ट्रेस के साथ वायरल हुई शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की तस्वीर, लोग बोले-'नोरा का क्या होगा'?

 

अब कहा जा रहा है कि आने वाले 15 दिनों के बाद नोएडा की सड़कों पर बड़ी संख्या में ई-साइकिलें नजर आएंगी। कहा गया कि नोएडा में ई-साइकिल से सालाना 1125 टन कार्बन रेडिएशन को कम किया जा सकता है। इसके लिए अथॉरिटी ने टर्बन मोबिलिटी एलएलपी कंपनी को चुना है। इसके साथ एमओयू भी साइन किए गए हैं।

 

पहले चरण में कंपनी 310 ई-साइकिल सड़क पर उतारेगी और ये सभी साइकिल एप आधारित होंगी। ई-साइकिल के लिए शहर में 62 जगहों पर ई-डॉक स्टेशन भी बनाए गए हैं। हर स्टेशन से 10 ई-साइकिल चलेंगी। यानी 62 डॉक स्टेशनों पर 620 ई-साइकिलों का संचालन किया जाएगा।

 

नागरिक इन साइकिलों को ऐप के माध्यम से डॉक स्टैंड से ले जा सकते हैं और किसी भी डॉकिंग स्टेशन पर जमा कर सकते हैं। ई-साइकिल से ट्रैफिक का दबाव कम होगा और प्रदूषण से राहत मिलेगी। यह योजना पीपीपी मॉडल पर चलेगी।

 

प्राधिकरण के डीजीएम एसपी सिंह ने बताया कि यूएन की स्टडी के मुताबिक दिन में कम से कम तीन बार एक ई-साइकिल का इस्तेमाल किया जाएगा। 500 साइकिल से प्रतिदिन 1500 फेरे लगेंगे। इस स्थिति में सालाना 1125 टन कार्बन रेडिएशन को बचाया जा सकता है। यदि इतनी ही संख्या में पेट्रोल और डीजल के वाहन सड़क पर चलेंगे तो वे इससे कई गुना अधिक कार्बन उत्सर्जित करेंगे। ऐसे में पर्यावरण को तो नुकसान होगा ही साथ ही ट्रैफिक खपत में भी इजाफा होगा।