मेरठ : समाजवादी पार्टी विधायक अतुल प्रधान ने अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ खोला मोर्चा; सपा विधायक के नेतृत्व में पहुंचे कार्यकर्ता

सरधना विधायक अतुल प्रधान ने धरना देकर 12 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। सपा विधायक ने सरकारी अस्पतालों में बदहाल चिकित्सा सुविधाओं और निजी अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। सपा विधायक ने कहा कि अगर 10 अक्टूबर तक मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे। सीएमओ ने बताया कि अवैध अस्पतालों और लैब के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।
 
निजी चिकित्सकों द्वारा मनमानी फीस वसूलने और सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की बदहाली के खिलाफ समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान ने मोर्चा खोल दिया। प्रदर्शन और नारेबाजी करते हुए उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर धरना दिया। आंदोलनकारियों ने इन मांगों के समाधान को लेकर मौके पर मौजूद सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया से जवाब मांगा। READ ALSO:-मेरठ : JE की बेटी के अपहरणकर्ताओं का एनकाउंटर, पुलिस से मुठभेड़ में 2 को लगी गोली; नौकरी से निकाले जाने पर ड्राइवर ने रची थी साजिश

 

सीएमओ ने कहा कि मानकों के विपरीत चल रहे निजी अस्पतालों और पैथोलॉजी लैब के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हालांकि वह किसी के दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। चाहे उन्हें कुर्सी से हटा दिया जाए या जिले से ट्रांसफर कर कहीं और भेज दिया जाए। सपा कार्यकर्ताओं ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह के अंदर मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो 10 अक्तूबर को आंदोलन किया जाएगा।  

 

ये रखीं मांगें:-
  • डॉक्टर की फीस 200 रुपये से अधिक न हो।
  • मरीजों को सस्ती दवाएं लिखी जाएं और वह दवाएं अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर पर भी उपलब्ध हों।
  • सुरक्षा के नाम पर अस्पतालों में बाउंसरों द्वारा गरीब तीमारदारों का उत्पीड़न बंद किया जाए।
  • अस्पतालों में कमरों के रेट गरीब वर्ग को ध्यान में रखकर निर्धारित किए जाएं।
  • आयुष्मान योजना में की जा रही धोखाधड़ी बंद की जाए।
  • इस योजना का लाभ सभी अस्पतालों में दिया जाए।
  • अस्पतालों में संचालित आईसीयू, आईसीसीयू, एनआईसीयू, अल्ट्रासाउंड, ब्लड बैंक की दरें निर्धारित की जाएं।

 

अस्पताल के मुख्य गेट पर रेट लिस्ट चस्पा की जाए
क्लीनिकल एक्ट में दिए गए मरीजों के अधिकारों को अस्पताल के मुख्य द्वार पर लिखवाया जाए। दूसरे की डिग्री के नाम पर ऑपरेशन करने वालों पर कार्रवाई हो। हाल के दिनों में अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले निजी अस्पतालों की जांच हो। खुद की कंपनी बनाकर दवाइयों के मनमाने दाम तय करने वाले डॉक्टरों और फर्जी पते पर कंपनी चलाने वालों की जांच हो। पाबली निवासी देव ने बताया कि जिला अस्पताल में ऑपरेशन करने के नाम पर पांच से आठ हजार रुपये वसूले जा रहे हैं।