मेरठ: रक्तदान करने वाले 328 युवकों में हेपेटाइटिस-एचआईवी पाया गया, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, ये हैं इन बीमारियों के कारण

 रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बताया गया कि रक्तदान करने वाले 328 लोग हेपेटाइटिस सी और बी और एचआईवी बीमारी से ग्रस्त निकले। जानिए क्या हैं वो कारण जिनसे ये बीमारियां होती हैं।
 
रक्तदान न सिर्फ दूसरों की जान बचाने का जरिया बन रहा है, बल्कि खुद को भी जिंदगी देने का जरिया बन रहा है। दरअसल, युवाओं को पता ही नहीं है कि वे HIVऔर हेपेटाइटिस बी व सी की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन रक्तदान कर उनकी यह सोच उनके लिए वरदान बन रही है। वे गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं और इलाज से ठीक हो रहे हैं।READ ALSO:-मेरठ : खेल सामग्री की दुकान में लगी भयंकर आग, आग से दुकान का सामान जल कर हुआ खाक, करोड़ों का हुआ नुकसान

 

LLRM Medical एवं जिला अस्पताल के ब्लड बैंकों की एक जनवरी 2023 से 15 जून 2023 तक की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस माह के दौरान जिले में 328 रक्तदाता हेपेटाइटिस सी व बी व HIV के शिकार निकले हैं। जिला अस्पताल और चिकित्सा। इनमें से ज्यादातर 20 से 45 साल की उम्र के हैं।

 

LLRM Medical के ब्लड बैंक में एक जनवरी 2022 से 31 जनवरी 2023 तक 246 रक्तदाता बीमार पाए गए हैं, इनमें से छह HIV पॉजिटिव हैं। 116 हेपेटाइटिस सी और 124 हेपेटाइटिस बी से पीड़ित पाए गए। वहीं, जिला अस्पताल के ब्लड बैंक की रिपोर्ट में 82 मरीज पाए गए। इनमें से सात लोग HIV पॉजिटिव, 43 हेपेटाइटिस सी और 32 हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव पाए गए। जांच के बाद बीमार लोगों का खून नष्ट किया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इन लोगों से संपर्क कर इलाज शुरू कर दिया है। जिनका कुछ समय से इलाज चल रहा है, वे पहले से काफी ठीक हैं।

 

समय पर इलाज से हेपेटाइटिस सी को ठीक किया जा सकता है
मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. विजय कुमार ने बताया कि हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) को काला पीलिया भी कहा जाता है। यह हेपेटाइटिस सी वायरस एचसीवी के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है और यकृत को प्रभावित करता है। इलाज और देखभाल से यह ठीक हो जाता है। शुरुआत में इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। इस वजह से यह जानलेवा हो जाता है। मेडिकल में इसका नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है।

 

हेपेटाइटिस-बी घातक है
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) संक्रामक रोग है। इससे लिवर में सूजन और जलन होती है। वायरस संक्रमित रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है। इसका इलाज एंटी वायरल दवाओं से किया जाता है। ये दवाएं रक्त में वायरस की मात्रा को कम या समाप्त कर सकती हैं, जिससे लीवर सिरोसिस या लीवर कैंसर के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है।

 

HIV शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है
एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट (ART) सेंटर ऑफ मेडिकल के प्रभारी वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य ने कहा कि एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) एक वायरस है जो एड्स का कारण बनता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जिस व्यक्ति में यह वायरस मौजूद होता है उसे HIV पॉजिटिव कहा जाता है। आमतौर पर लोग एड्स को HIV पॉजिटिव समझने लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। HIV के शरीर में प्रवेश करने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और तरह-तरह की बीमारियां और संक्रमण पैदा करने वाले वायरस शरीर पर हमला करने लगते हैं।

 

इन सभी बीमारियों के लक्षण HIV पॉजिटिव होने के करीब 8-10 साल बाद दिखने लगते हैं। इस स्थिति को ही एड्स कहते हैं। हालांकि, HIV पॉजिटिव से एड्स होने के बीच के अंतराल को दवाओं की मदद से बढ़ाया जा सकता है और कुछ बीमारियों को ठीक भी किया जा सकता है। इसका इलाज ART सेंटर ऑफ मेडिकल में होता है।

 

इन्हीं कारणों से ये रोग होते हैं
  • दूषित रक्तदान, अंगदान या लंबे समय तक डायलिसिस।
  • दूषित सुई से टैटू बनवाना या एक्यूपंक्चर करवाना।
  • असुरक्षित यौन संबंध।
  • दूषित सीरिंज का उपयोग करना।
  • दूषित रेजर या टूथब्रश का उपयोग करना।