मेरठ : सात करोड़ बीस लाख रुपये का फर्जी स्टांप घोटाला; मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर पीड़ित व व्यापारी ADG से मिले

मेरठ जिले में सात करोड़ बीस लाख के फर्जी स्टांप पर करीब 1000 लोगों की रजिस्ट्री करवाने वाले विशाल वर्मा को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। जिसको लेकर व्यापारियों ने पीड़ितों के साथ शुक्रवार को एडीजी डीके ठाकुर से मुलाकात की। व्यापारियों ने कहा कि विशाल पर 25 हजार रुपये का इनाम होने के बावजूद उसे अभी तक नहीं पकड़ा गया है।
 
मेरठ जिले में सात करोड़ बीस लाख के फर्जी स्टांप पर करीब 1000 लोगों की रजिस्ट्री कराने वाले विशाल वर्मा को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। जिसको लेकर व्यापारियों ने शुक्रवार को पीड़ितों के साथ एडीजी डीके ठाकुर से मुलाकात की। व्यापारियों ने कहा कि विशाल पर 25 हजार रुपये का इनाम होने के बावजूद अभी तक उसे पकड़ा नहीं जा सका है। READ ALSO:-UP : फैमिली आईडी से मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ, बनवाने के लिए करें आवेदन; पढ़ें पूरी जानकारी

 

व्यापारियों ने एडीजे को बताया कि विशाल के साथ इस घोटाले में अन्य लोग भी शामिल हैं। जो विशाल की तरह फरार होंगे। इस पर एडीजी ठिक ठाकुर ने कहा कि पुलिस टीमें लगी हुई हैं। आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

 

निबंधन मंत्री रविंद्र जायसवाल को मिली शिकायत तो खुला राज: बता दें कि उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल को मेरठ में 2023 में हुई दो डीड की शिकायत मिली थी। जिसमें कहा गया था कि जो स्टांप लगाए गए हैं, वह फर्जी हैं। 

 

रविंद्र जायसवाल मंत्री ने फर्जी स्टांप को लेकर लखनऊ में उच्चाधिकारियों से जवाब मांगा था, जिसके बाद मेरठ में जांच शुरू हुई। दोनों डीड पर लगे स्टांप फर्जी पाए जाने पर गठित टीम ने तीन साल के डीड पर लगे सभी स्टांप की जांच की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जांच में 997 डीड पर फर्जी स्टांप मिले और रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। ये सभी डीड एक ही अधिवक्ता विशाल वर्मा ने की थी।

 

997 लोग हुए ठगी का शिकार  
मेरठ सब रजिस्ट्रार कार्यालय के जूनियर असिस्टेंट रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार ने 22 मई को सिविल लाइंस थाने में फर्जी डीड करने वाले लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद सभी 997 लोगों को स्टांप में कमी बताते हुए नोटिस जारी किए गए। इसमें स्टांप की राशि का चार गुना जुर्माना और 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी लगाया गया। 

 

नोटिस भेजे जाते ही डीड करने वाले लोगों की नींद उड़ गई और वे अपनी डीड लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाने लगे। सभी ने अधिवक्ता विशाल वर्मा को स्टांप की पूरी राशि दे दी थी। फर्जी स्टांप घोटाले में ठगे गए अब तक 997 लोग स्टांप चोरी और धोखाधड़ी के आरोपी बन चुके हैं। अब तक की जांच में 7 करोड़ 20 लाख रुपये के स्टांप का मामला पकड़ा गया है। पहले गुपचुप तरीके से फर्जी स्टांप छापे जाते थे और फिर उन्हें बैनामा कराने वालों को बेच दिया जाता था। 

 

व्यापारियों को मिली धमकियां 
इस मामले में मेरठ के व्यापार जगत के लोगों ने अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया है। व्यापारियों ने सबसे पहले जिला अधिकारी दीपक मीना से मुलाकात कर अपनी शिकायत रखी। जिलाधिकारी ने पीड़ितों को आश्वासन देते हुए बताया कि पूरे मामले की एसआईटी से जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

 

इसके बाद शुक्रवार को पीड़ित परिवार के लोग और व्यापारी एडीजी डीके ठाकुर से मिले और आरोपी अधिवक्ता विशाल शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की। शेंकी वर्मा और जीतू नागपाल ने बताया कि अभी तक पुलिस घोटाले के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। जिसके चलते पैरवी करने वाले व्यापारियों को जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। 

 

विशाल वर्मा के साथ इस घोटाले में और भी लोग शामिल हैं, जो बच निकलने में सफल हो सकते हैं। एडीजी डीके ठाकुर ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है। आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा, कई टीमें काम कर रही हैं।