Baghpat : मनोकामना पूरी होने पर माता-पिता ने मंदिर को दान किया अपना 9 माह का बच्चा, 2 साल बाद मिलेगी मंदिर की गद्दी
एक घर में एक बच्चे का जन्म हुआ, वह अभी सिर्फ 9 महीने का है। बच्चे के परिवार ने उसे एक मंदिर में दान कर दिया है। बच्चे को बिना उसकी समझ के मंदिर में दान करना कितना सही है? परिवार के इस फैसले पर पुलिस अधिकारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। जानिए क्या है पूरा मामला?
Aug 7, 2024, 18:49 IST
बच्चा किसी भी मां-बाप के दिल का टुकड़ा होता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां परिवार ने 9 महीने के बच्चे को मंदिर में दान कर दिया है। परिवार के मुताबिक, उन्होंने एक मन्नत मांगी थी, जो काफी समय से पूरी नहीं हो रही थी। मन्नत पूरी होने पर उन्होंने 9 महीने के बच्चे को मंदिर को दान दे दिया। READ ALSO:-मेरठ: ऑनर किलिंग, सड़क पर गला घोंटकर हत्या, प्रेमी से शादी की जिद पर अड़ी थी नाबालिग बहन, आरोपी भाई गिरफ्तार
बच्चे के जन्म से पहले ही उन्होंने मंदिर में कहा था कि अगर मन्नत पूरी हुई तो हम अपने बच्चों को मंदिर को दान कर देंगे। जब इस मामले की जानकारी पुलिस को मिली तो उन्होंने कहा कि पहले इस मामले की जानकारी नहीं थी, लेकिन अगर इस मामले में शिकायत की जाती है तो वे कार्रवाई जरूर करेंगे।
हवन-पूजन कर किया गया नामकरण दरअसल, यह पूरा मामला बागपत के किशनपुर बराल गांव का है, जहां मंदिर में बाबा महावीर गिरी, गोपाल गिरी आदि महंत हैं। महंत ने बताया कि मीनाक्षी देवी मंदिर आई थीं और उन्होंने अपने पोते यानी 9 महीने के बच्चे को मंदिर को दान करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने बताया कि दादी ने हवन-पूजन कर बच्चे का नामकरण संस्कार किया और बच्चे का नाम बाबा राम गोपाल गिरि रखा है।
वह दो साल तक मां-बाप के पास रहेगा।
उन्होंने बताया कि 9 महीने का बच्चा जब 2 साल का हो जाएगा तो परिवार के लोग बच्चे को मंदिर में छोड़ देंगे। इसके बाद मंदिर के पुजारी उसकी देखभाल, शिक्षा आदि करेंगे। बाद में बच्चे को मंदिर की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 9 महीने का बच्चा जब 2 साल का हो जाएगा तो परिवार के लोग बच्चे को मंदिर में छोड़ देंगे। इसके बाद मंदिर के पुजारी उसकी देखभाल, शिक्षा आदि करेंगे। बाद में बच्चे को मंदिर की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा।
मंदिर की गद्दी को मिलेगा उत्तराधिकारी
अभी तक इस गद्दी का कोई उत्तराधिकारी नहीं था। बच्चे के पिता का नाम मोनू कश्यप है। वह गांव में किराए की गाड़ी चलाता है। परिवार के लोगों ने मंदिर में मन्नत मांगी थी। वह मन्नत पूरी हो गई है, इसलिए उन्होंने बच्चे को मंदिर को दान कर दिया है। हालांकि इस मामले पर रमाला प्रभारी एमपी सिंह का कहना है कि मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं है। अगर कोई शिकायत आती है तो जो भी कानूनी कार्रवाई होगी, उसे अमल में लाया जाएगा।
अभी तक इस गद्दी का कोई उत्तराधिकारी नहीं था। बच्चे के पिता का नाम मोनू कश्यप है। वह गांव में किराए की गाड़ी चलाता है। परिवार के लोगों ने मंदिर में मन्नत मांगी थी। वह मन्नत पूरी हो गई है, इसलिए उन्होंने बच्चे को मंदिर को दान कर दिया है। हालांकि इस मामले पर रमाला प्रभारी एमपी सिंह का कहना है कि मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं है। अगर कोई शिकायत आती है तो जो भी कानूनी कार्रवाई होगी, उसे अमल में लाया जाएगा।
बाल संरक्षण विभाग इसका ले सकता है संज्ञान
हरियाणा के हिसार से भी ऐसा ही मामला आया था। उस मामले में एक महीने के बच्चे को दान कर दिया गया था। बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया था।
हरियाणा के हिसार से भी ऐसा ही मामला आया था। उस मामले में एक महीने के बच्चे को दान कर दिया गया था। बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया था।