UP : भारी बारिश बनी 'मौत', दीवार ढहने से गई 3 बच्चों की जान; मलबे के नीचे से शव बरामद, जानें कैसे हुआ हादसा?

 निर्माणाधीन मकान में बच्चे खेल रहे थे। अचानक दीवार गिर गई और बच्चे मलबे में दब गए। हादसे में 3 बच्चों की मौत हो गई और 5 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश के नोएडा में कब, कहां और कैसे हुआ ये हादसा?
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G.NOIDA
ग्रेटर नोएडा में बीती रात एक भयानक हादसा हुआ। निर्माणाधीन मकान की दीवार गिरने से करीब 8 बच्चे मलबे में दब गए। बच्चों की चीख-पुकार सुनकर लोग घबरा गए। मौके पर पहुंचे तो बच्चों की हालत देखकर दंग रह गए। आनन-फानन में लोगों ने बच्चों को मलबे से बाहर निकाला और अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने 3 बच्चों को मृत घोषित कर दिया।READ ALSO:-बिजनौर : नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद के इस ऐलान,उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा, मायावती समेत अन्य सभी पार्टियां चुनौती से निपटने की जुगत में लगी!

 

5 बच्चों का इलाज चल रहा है। हादसा गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर थाना क्षेत्र के खोदना कला गांव में हुआ। भारी बारिश के कारण दीवार गिर गई। हादसे के वक्त बच्चे खेल रहे थे और खेलते-खेलते उनकी मौत हो गई। बच्चे एक ही परिवार के थे। वहीं बच्चों की अचानक मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। हादसे की वजह बारिश के कारण निर्माणाधीन मकान की दीवार का वजनी होना बताया जा रहा है।

 


अपने मामा के घर आए थे 2 बच्चे छुट्टियों में 
एडीएम सिटी अतुल कुमार ने हादसे की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि हादसे में मरने वाले बच्चे एक ही परिवार के हैं। मृतकों में दो भाई-बहन भी शामिल हैं जो गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा के घर आए थे। मृतकों की पहचान 4 वर्षीय अहद, 8 वर्षीय आदिल और 2 वर्षीय अल्फिजा के रूप में हुई है। 16 वर्षीय आयशा, 5 वर्षीय हुसैन, 12 वर्षीय सोहना, 11 वर्षीय वसील और 15 वर्षीय समीर घायल हुए हैं।

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नोएडा के लुहारली गांव में ब्याही गई शबनम अपने बच्चों अहद और अल्फिजा के साथ मायके आई हुई थी, लेकिन हादसे में उसके दोनों बच्चों की मौत हो गई। शबनम के पिता सगीर मकान बनवा रहे थे और इस निर्माणाधीन मकान की दीवार गिर गई है। घायल बच्चों को दादरी के नवीन अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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एंबुलेंस नहीं आई, तो घायल बच्चों को रिक्शे से अस्पताल ले जाना पड़ा
प्रत्यक्षदर्शी रहीम के मुताबिक सुबह बहुत तेज बारिश हो रही थी, इसलिए मजदूरों को छुट्टी दे दी गई थी। बच्चे खेल रहे थे, अचानक चीख-पुकार मच गई। जब हम मौके पर गए तो देखा कि बच्चे ईंटों और मिट्टी के नीचे दबे हुए थे और चीख रहे थे। लोगों की मदद से हमने बच्चों को मलबे से बाहर निकाला। किसी का सिर फ्रैक्चर था, किसी का हाथ टूटा हुआ था। कुछ बच्चे बेहोश थे। लोगों ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन आधे घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। फिर बच्चों को रिक्शे से अस्पताल ले जाना पड़ा। जब लोग बच्चों को अस्पताल लेकर गए तो पीछे से एंबुलेंस दुर्घटनास्थल पर आ गई। इससे लोगों में गुस्से का माहौल है। लोगों का कहना है कि जब भी जरूरत पड़ती है तो उन्हें सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। वरना सरकार ढिंढोरा पीटती रहती है कि एक कॉल पर एंबुलेंस आ जाएगी।
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