मेरठ : CBI के फर्जी वारंट दिखाकर ठगी, ऐंठे 1 करोड़ 73 लाख रुपए, बुजुर्ग को 4 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट
उत्तर प्रदेश के मेरठ में डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर ठगी का नया मामला सामने आया है। यहां एक बुजुर्ग को मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल बताकर सीबीआई जांच के नाम पर धमकाया गया। उनसे 1.75 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी की गई। उन्हें चार दिनों के लिए डिजिटली गिरफ्तार किया गया।
Updated: Sep 23, 2024, 16:25 IST
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उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम के मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। साइबर ठगों ने लखनऊ में 2 डॉक्टरों को डिजिटली गिरफ्तार कर करोड़ों रुपये की ठगी की थी। अब ऐसा ही मामला मेरठ में एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी के साथ हुआ है। साइबर ठगों ने बुजुर्ग रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को 4 दिन तक डिजिटली गिरफ्तार कर 1 करोड़ 73 लाख रुपये ऐंठ लिए। बुजुर्ग की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। READ ALSO:-नोएडा : गार्डन गैलेरिया मॉल में दो पक्षों में भिड़ंत, पार्किंग को लेकर कहासुनी, फिर चली दनादन गोलियां; तीन गिरफ्तार....
मेरठ के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाले बुजुर्ग सूरज प्रकाश को पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक कई कॉल आईं, जिसमें कॉल करने वाले ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए जेल भेजने की धमकी दी। इतना ही नहीं इसके बाद साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग को 4 दिन तक डिजिटली गिरफ्तार कर 1 करोड़ 73 लाख रुपये ऐंठ लिए। साइबर ठगों ने बुजुर्ग के चार अलग-अलग खातों से रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली।
मेरठ पुलिस को शिकायती पत्र देते हुए बुजुर्ग ने बताया कि 17 सितंबर को उनके पास पहली बार एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम विभाग का अधिकारी बताया। कॉल करने वाले ने उनसे कहा कि उनके सभी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बंद किए जा रहे हैं। साथ ही कॉल करने वाले ने उनसे कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके केनरा बैंक में एक अकाउंट खोला गया है। उस अकाउंट में 6 करोड़ 80 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए हैं।
कॉल करने वाले ने उन्हें भरोसे में लेकर उनके अकाउंट की निजी जानकारी भी दे दी, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि वाकई किसी ने ऐसा कुछ किया है। इसके बाद कॉल करने वाले ने बुजुर्ग से कहा कि यह बड़ी रकम मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए आई है। इसके तुरंत बाद बुजुर्ग के पास उनके व्हाट्सएप नंबर पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने बुजुर्ग से कहा कि वह महाराष्ट्र के मुंबई शहर से बोल रहा है। उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
कॉल करने वाले ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी। साथ ही घर से बाहर निकलने और किसी से मिलने पर भी रोक लगा दी। जिससे वह डर गए और कॉल करने वाला लगातार उनसे संपर्क करता रहा। 18 सितंबर को फोन करने वाले ने उनके एक बैंक खाते में 3 लाख 80 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद भी उन्हें जेल भेजने की धमकी दी गई। दूसरी बार 5 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए।
बुजुर्ग का कहना है कि अब उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वे पूरी तरह से उन लोगों के झांसे में आकर गलतियां करते रहे और 20 सितंबर को उन्होंने 90 लाख रुपये दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए, जबकि उसके बाद 21 सितंबर को उन्होंने 45 लाख रुपये दूसरे बैंक खाते में और फिर 30 लाख रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दिए।
इसके बाद उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया, लेकिन तब तक उन्हें पता चल गया कि शातिर लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से उनके साथ ठगी कर ली है। इस मामले में अब मेरठ के साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। मेरठ साइबर थाना प्रभारी सुबोध सक्सेना का कहना है कि खाते को फ्रीज करने के लिए संबंधित बैंकों को रिपोर्ट भेज दी गई है। मामला गंभीर है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है। एसपी क्राइम मेरठ अवनीश कुमार ने बताया कि बुजुर्ग की शिकायत पर केस दर्ज कर मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
एसएसपी विपिन ताडा का कहना है कि साइबर क्राइम थाने में शिकायत मिली थी। शिकायत में बताया गया कि युवक के खिलाफ महाराष्ट्र में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एफआईआर दर्ज है। जब उसके बैंक के तथ्य सामने आए तो उसने बताया कि उसके पास एक कॉल आई, कॉल करने वाले ने खुद को आरबीआई अधिकारी बताया। पीड़ित उसके झांसे में आ गया और उसके खाते में पैसे ट्रांसफर करता रहा। इस मामले की जानकारी मिलने पर साइबर थाने ने तुरंत कार्रवाई की। जांच के लिए दो टीमें गठित की गई हैं। जल्द ही इस मामले का खुलासा किया जाएगा।
क्या है डिजिटल गिरफ्तारी
वैसे तो कानूनी तौर पर डिजिटल गिरफ्तारी नाम की कोई टर्म नहीं है, लेकिन साइबर ठगों के लिए ठगी का यह नया तरीका है। साइबर एक्सपर्ट आर्य त्यागी ने बताया कि साइबर अपराधियों के दो सबसे बड़े हथियार होते हैं या तो वे किसी को डराते हैं या फिर लालच दिखाते हैं। साइबर अपराधी आपको डराकर या लालच देकर वीडियो कॉल पर कनेक्ट करते हैं।
वैसे तो कानूनी तौर पर डिजिटल गिरफ्तारी नाम की कोई टर्म नहीं है, लेकिन साइबर ठगों के लिए ठगी का यह नया तरीका है। साइबर एक्सपर्ट आर्य त्यागी ने बताया कि साइबर अपराधियों के दो सबसे बड़े हथियार होते हैं या तो वे किसी को डराते हैं या फिर लालच दिखाते हैं। साइबर अपराधी आपको डराकर या लालच देकर वीडियो कॉल पर कनेक्ट करते हैं।
वे आपको डर या लालच दिखाकर हफ्तों या कुछ घंटों तक कैमरे के सामने भी रख सकते हैं। कई बार तो ये इतने चालाकी से काम करते हैं कि जिस व्यक्ति को अपने जाल में फंसाते हैं, उसे सोने नहीं देते और न ही किसी से मिलने देते हैं। जालसाज अपनी मांग पूरी होने तक शिकार को डर या किसी और बहाने से वॉट्सऐप या वीडियो कॉल पर अपने साथ जोड़े रखते हैं।
रिटायर्ड अफसरों को ही बनाते हैं निशाना: साइबर एक्सपर्ट आर्या का मानना है कि आमतौर पर जालसाज ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं जो रिटायर्ड हो चुके होते हैं या मौजूदा समय में बड़े अफसर या डॉक्टर या इंजीनियर होते हैं। इसके पीछे वजह यह होती है कि उनके बैंक अकाउंट में काफी पैसा होता है। दूसरे, उनकी लाइफ इतनी लंबी होती है कि उन्हें खुद याद नहीं रहता कि उनके दस्तावेजों का कहां इस्तेमाल हुआ है।