मेरठ : शहरों में हजारों बैटरी रिक्शा धड़ल्ले से कैसे चल रहे हैं? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP सरकार से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शहर में धड़ल्ले से चल रहे बैटरी रिक्शा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या बैटरी रिक्शा के लिए कोई गाइडलाइन बनाई गई है।
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Allahabad High Court
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में बेतरतीब दौड़ रहे बैटरी रिक्शा का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है। बैटरी रिक्शा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या उसने राज्य भर के बड़ी संख्या में शहरों में चलने वाले बैटरी रिक्शा के लिए कोई दिशानिर्देश तैयार किए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि बैटरी रिक्शा से लोगों को होने वाली परेशानी को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने बुधवार को मेरठ के मनोज कुमार चौधरी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने जनहित याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है। READ ALSO:-PAN-Aadhaar को लिंक करने का आप के लिए आखिरी मौका, डेडलाइन के बाद बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जानें कैसे करें लिंक

 

याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य के हर शहर में हजारों की संख्या में अपंजीकृत बैटरी रिक्शा चल रहे हैं। खास बात यह है कि इनके संचालन को लेकर न तो कोई दिशा-निर्देश हैं और न ही रूट तय हैं। इसके चलते वे बेतरतीब ढंग से कहीं भी फर्राटा भर रहे हैं और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मेरठ शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि 30 लाख की आबादी वाले मेरठ शहर में 13443 बैटरी रिक्शा पंजीकृत हैं। जबकि हकीकत में पूरे शहर में 50 हजार से अधिक बैटरी रिक्शा बेतरतीब ढंग से दौड़ रहे हैं। इससे शहरों की यातायात व्यवस्था की हालत गंभीर है और लोग परेशान हैं। इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि याचिकाकर्ता मेरठ के ट्रैफिक एसपी से लेकर मुख्य सचिव तक गुहार लगा चुका है। 

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याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ सिंह ने यह भी कहा कि उचित दिशा-निर्देश के अभाव में युवा, बच्चे, बुजुर्ग, वृद्ध महिलाएं, लड़कियों के अलावा कोई भी बैटरी रिक्शा चला रहा है। उनके इस तरीके से वाहन चलाने से यह स्पष्ट होता है कि उनके चालकों को यातायात नियमों की कोई जानकारी नहीं है। क्योंकि वे एंबुलेंस को भी जाने के लिए रास्ता नहीं देते। गाइडलाइन के अभाव में अधिकांश स्थानों पर ये बैटरी रिक्शा चार की जगह छह सवारियां बैठाते हैं और सुबह, शाम और देर रात किसी भी समय काफी तेज आवाज में फिल्मी गाने बजाते हुए चलते हैं। जनहित याचिका में मांग की गई है कि शहरों में बैटरी रिक्शा संचालन के लिए उचित दिशानिर्देश बनाए जाएं। इसके साथ ही उनके शहरों की संख्या, उनके मार्ग और सवारी का निर्धारण किया जाना चाहिए।
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