मेरठ : कोरोना काल में डॉक्टर्स और प्रोफेसर ने भी बनवा लिए श्रम कार्ड, योजना का लाभ लेने को बने मजदूर, ऐसे खुला भेद
कोरोना महामारी के दौरान ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने वालों में कई डॉक्टर, प्रोफ़ेसर और कारोबारी भी शामिल थे। इन लोगों का रजिस्ट्रेशन राशन कार्ड के लिए नहीं बल्कि किसी खास सुविधा के लाभ के लिए हुआ था। अब वेरिफिकेशन प्रक्रिया में इन सभी लोगों के नाम सामने आ रहे हैं और इनकी लिस्ट निकाली जा रही है। कार्ड से पहले वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
Oct 2, 2024, 09:00 IST
|
कोरोना महामारी के दौरान जिसे जो भी सुविधा की उम्मीद थी, वह उसकी ओर दौड़ा चला आ रहा था। ऐसी ही सुविधाओं की चाह में कई प्रोफेसर, डॉक्टर, उद्यमी, व्यवसायी ने मजदूर के रूप में ई-पोर्टल पर पंजीकरण कराया था। यह मामला अब तब प्रकाश में आया है, जब पूर्ति विभाग के कर्मचारी मजदूरों के राशन कार्ड बनाने के लिए उनका सत्यापन कर रहे हैं।READ ALSO:-UP : मेरठ में विद्या विश्वविद्यालय और गाजियाबाद में केडी यूनिवर्सिटी को मंजूरी, 1 लाख बेरोजगारों को 0% पर 5 लाख का लोन
कोरोना महामारी के दौरान ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों के खातों में एक हजार रुपये सहायता राशि भेजने की घोषणा की गई थी। जो लोग पहले पंजीकृत नहीं थे, उन्हें ऑनलाइन पंजीकरण कराना था, ताकि कोई भी श्रमिक सरकारी योजना से वंचित न रहे। दस्तावेज के नाम पर आधार की कॉपी जोड़नी थी।
कार्ड बनाने से पहले किया जा रहा सत्यापन
इसमें आर्थिक रूप से सक्षम लोगों ने भी पंजीकरण कराया। यह जानकारी अब तब प्रकाश में आई है, जब ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों के राशन कार्ड अनिवार्य करने का आदेश जारी हुआ है। कार्ड बनाने से पहले सत्यापन किया जा रहा है।
इसमें आर्थिक रूप से सक्षम लोगों ने भी पंजीकरण कराया। यह जानकारी अब तब प्रकाश में आई है, जब ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों के राशन कार्ड अनिवार्य करने का आदेश जारी हुआ है। कार्ड बनाने से पहले सत्यापन किया जा रहा है।
सत्यापन के दौरान जिला पूर्ति कार्यालय को पता चला कि इनमें कोई प्रोफेसर है, कोई डॉक्टर या व्यवसायी है। इन लोगों ने राशन कार्ड के लिए नहीं बल्कि कोरोना महामारी के दौरान किसी विशेष सुविधा का लाभ पाने की उम्मीद में अपना श्रमिक पंजीयन कराया था। जिला पूर्ति अधिकारी विनय कुमार सिंह ने बताया कि जो लोग सक्षम हैं, उन्होंने भी राशन कार्ड बनवा लिया है। सत्यापन में ऐसे लोग धीरे-धीरे बाहर हो रहे हैं। श्रमिकों के सत्यापन के समय प्रोफेसर, डॉक्टर तक के नाम सामने आए, जिन्हें सूची से हटा दिया गया है।
87 हजार श्रमिकों का पता-पता नहीं मिला, न ही फोन नंबर
कोरोना महामारी से पहले नौ लाख श्रमिक यूनिट के रूप में राशन कार्ड धारक हैं। कोरोना काल में पंजीकृत 2.30 लाख श्रमिकों की सूची जिला पूर्ति कार्यालय को भेजी गई है। अब इनके कार्ड बनाए जाने हैं। हालांकि वास्तविक सूची 1.98 लाख की है। इनका सत्यापन शुरू हुआ तो वर्तमान में 90 हजार पात्र पाए गए।
कोरोना महामारी से पहले नौ लाख श्रमिक यूनिट के रूप में राशन कार्ड धारक हैं। कोरोना काल में पंजीकृत 2.30 लाख श्रमिकों की सूची जिला पूर्ति कार्यालय को भेजी गई है। अब इनके कार्ड बनाए जाने हैं। हालांकि वास्तविक सूची 1.98 लाख की है। इनका सत्यापन शुरू हुआ तो वर्तमान में 90 हजार पात्र पाए गए।
87 हजार श्रमिक ऐसे हैं, जिनके निवास का पता नहीं चल सका और न ही उनका फोन नंबर। बाकी जो अपात्र पाए गए हैं, उनमें वे श्रमिक भी शामिल हैं, जो किसी दूसरे शहर चले गए हैं या आर्थिक रूप से सक्षम लोग हैं।
श्रमिकों की मदद करें, कार्ड बनवाएं
अगर आपके संपर्क में कोई ऐसा श्रमिक है जिसका राशन कार्ड नहीं बना है तो ऐसे लोगों की मदद करें। सरकार ने भले ही श्रमिकों के कार्ड बनवाने के आदेश दिए हैं, लेकिन विभाग के पास आवेदन नहीं पहुंच रहे हैं।
अगर आपके संपर्क में कोई ऐसा श्रमिक है जिसका राशन कार्ड नहीं बना है तो ऐसे लोगों की मदद करें। सरकार ने भले ही श्रमिकों के कार्ड बनवाने के आदेश दिए हैं, लेकिन विभाग के पास आवेदन नहीं पहुंच रहे हैं।