मेरठ : सांसद अरुण गोविल के सामने भाजपा पार्षदों ने उठाया GIS सर्वे बढ़े गृहकर और नामांतरण का मुद्दा, जनता पर बोझ डालना उचित नहीं
भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने जीआईएस (GIS) सर्वे और ट्रांसफर शुल्क का मुद्दा मेरठ के सांसद अरुण गोविल के सामने उठाया। उन्होंने कहा कि वे जीआईएस (GIS) सर्वे के खिलाफ नहीं हैं। उनकी मांग है कि जीआईएस (GIS) सर्वे को लागू करने से पहले उसका सत्यापन किया जाए। इसके बाद पूरी रिपोर्ट नगर निगम सदन में बोर्ड सदस्यों के सामने रखी जाए और उसके बाद ही इसको लागू किया जाए।
Jul 14, 2024, 00:00 IST
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सर्किट हाउस में आयोजित बैठक में भाजपा पार्षदों ने सांसद अरुण गोविल के समक्ष जीआईएस सर्वे और ट्रांसफर शुल्क का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जीआईएस सर्वे में बढ़े हाउस टैक्स से जनता पर बोझ डालना उचित नहीं है। चार साल पहले ट्रांसफर शुल्क में बेतहाशा वृद्धि कर जनता पर बोझ डाला गया था। पार्षदों ने दोनों आदेशों को निरस्त करने की मांग की। इन मांगों का ज्ञापन भी सांसद और महापौर को सौंपा गया।READ ALSO:-बिजनौर : 3 साल के मासूम बच्चे की हत्या, जिंदा तालाब में फेंका, पड़ोसी महिला ने किया अपहरण, मृतक बच्चे का परिवार गमगीन
भाजपा पार्षदों ने कहा कि वे जीआईएस सर्वे के खिलाफ नहीं हैं। उनकी मांग है कि लागू करने से पहले जीआईएस सर्वे का सत्यापन कराया जाए। इसके बाद पूरी रिपोर्ट नगर निगम सदन में बोर्ड सदस्यों के समक्ष रखी जाए। जब सदन सर्वसम्मति के आधार पर इसे पारित कर दे, तब इसे लागू किया जाए।
ट्रांसफर शुल्क को भी निरस्त करने की मांग
पार्षदों ने कहा कि एक एजेंसी ने जीआईएस सर्वे कर रिपोर्ट नगर निगम को सौंपी है। निगम को इसका सत्यापन कराना चाहिए था। क्योंकि सर्वे को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। जीआईएस सर्वे के कारण भवन स्वामियों का हाउस टैक्स दो से तीन गुना तक बढ़ गया है। पार्षदों ने चार साल पहले बढ़ाए गए ट्रांसफर शुल्क को भी रद्द करने की मांग की।
पार्षदों ने कहा कि एक एजेंसी ने जीआईएस सर्वे कर रिपोर्ट नगर निगम को सौंपी है। निगम को इसका सत्यापन कराना चाहिए था। क्योंकि सर्वे को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। जीआईएस सर्वे के कारण भवन स्वामियों का हाउस टैक्स दो से तीन गुना तक बढ़ गया है। पार्षदों ने चार साल पहले बढ़ाए गए ट्रांसफर शुल्क को भी रद्द करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि 500 रुपये के ट्रांसफर शुल्क को बढ़ा दिया गया था। नगर निगम बोर्ड ने इसका विरोध कर सदन में इसे रद्द कर दिया। तत्कालीन नगर आयुक्त ने सदन के निर्णय का पालन नहीं किया। शहर की जनता पहले से ही इस बोझ से परेशान है। इस दौरान मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि जीआईएस सर्वे सदन में पेश करने के बाद ही क्रियान्वयन पर निर्णय लिया जाएगा।
वहीं जलभराव, गंदगी और आवारा कुत्तों व बंदरों की बढ़ती समस्या को भी सांसद के समक्ष रखा। सांसद ने कहा कि वह इन मांगों को लेकर नगर निगम अधिकारियों से बात करेंगे। ज्ञापन देने वालों में पार्षद अनुज वशिष्ठ, सुमित मिश्रा, कुलदीप वाल्मीकि, पूनम गौतम, दिग्विजय, अनिल वर्मा आदि मौजूद रहे।