केदारनाथ धाम यात्रा : बादल फटने से भयंकर तबाही से बच आया मेरठ का परिवार, 8 घंटे में पूरा हुआ 2 KM का सफर', परिवार ने सुनाई आपबीती
केदारनाथ में बादल फटने के दौरान मेरठ के ब्रह्मपुरी का एक परिवार फंस गया था। अब परिवार सुरक्षित हैं, लेकिन परिवार को जिस भयावह रात से गुजरना पड़ा, उसे देखकर हर कोई सहमा हुआ है। पांच साथियों के साथ केदारनाथ से हरिद्वार पहुंचे यश ने बताया कि उन्होंने रस्सी के सहारे खड्ड और पहाड़ को पार कर अपनी जान बचाई।
Aug 4, 2024, 00:10 IST
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बादल फटने और सड़क बह जाने से केदारनाथ दर्शन के लिए गए 40 से अधिक श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जयदेवी नगर के चार युवक केदारनाथ में सुरक्षित हैं। खरखौदा के गांव पांची के तीन युवकों समेत 30 से अधिक लोग अभी भी गौरीकुंड में फंसे हुए हैं। गुरुवार देर रात परिवार के साथ लौटे ब्रह्मपुरी निवासी मोनू ने बताया कि बादल फटने की घटना के बाद उन्हें पूरी रात डर के मारे जागना पड़ा। READ ALSO:-UP : दर्दनाक सड़क हादसा, जिसे देखकर आपकी रूह कांप जाएगी, कार चला रहे नाबालिग बच्चों ने मां-बेटी को मारी टक्कर, महिला की मौत, बेटी गंभीर;
अपने पांच साथियों के साथ केदारनाथ से सुरक्षित हरिद्वार पहुंचे यश ने बताया कि 31 जुलाई की रात करीब आठ बजे जब बादल फटा, तब वे उससे सात किलोमीटर दूर थे। पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया। उन्होंने वहीं एक टेंट में रात गुजारी। इसके बाद एक दिन में करीब 35 किलोमीटर की दूरी तय कर रस्सी के सहारे पहाड़ और खाई पार कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे।
अचानक मौसम खराब होने लगा ब्रह्मपुरी निवासी मोनू शर्मा 28 जुलाई को पत्नी सुधा और दो बेटियों के साथ गंगा स्नान के लिए हरिद्वार गए थे। यहां से वह केदारनाथ के लिए रवाना हुए। दंपती ने अपनी बाइक गौरीकुंड स्थित पार्किंग में खड़ी की और ऊपर चढ़ गए तथा 30 जुलाई को दर्शन कर वापस लौटे।
करीब 8 किमी पैदल चलने के बाद अचानक मौसम खराब हो गया और तेज आवाज के साथ पत्थर गिरने लगे। घबराया परिवार पूरी रात जागता रहा और सुबह जब देखा तो करीब 20 मीटर सड़क बह चुकी थी। किसी तरह सुबह 8 बजे पहाड़ पार करने के प्रयास शुरू हुए और बचाव दल की मदद से शाम 4 बजे तक दो किमी लंबा रास्ता तय कर लिया गया।
मोनू ने बताया कि केदारनाथ में गंगाजल का अभिषेक करने के लिए कई कांवड़िए पैदल भी जा रहे थे, लेकिन सड़क बह जाने के कारण वे भी फंस गए। मोनू ने बताया कि यहां कांवड़ियों ने प्यासे बच्चों को अपना गंगाजल पिलाया। सभी ने एक-दूसरे की मदद कर वहां से निकलने में मदद की। फिलहाल गौरीकुंड व अन्य स्थानों पर मेरठ के 30 से अधिक लोग फंसे हुए हैं।
बादल फटने से पुल ढह गए
प्रभातनगर निवासी यश गुप्ता पांच अन्य साथियों के साथ केदारनाथ गए थे। उन्होंने बताया कि बादल फटने के बाद कई पुल टूट गए और रास्ते का पता नहीं है। बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। स्थानीय पुलिस प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। शुक्रवार दोपहर हरिद्वार पहुंचे और रिश्तेदारों से बात की।
प्रभातनगर निवासी यश गुप्ता पांच अन्य साथियों के साथ केदारनाथ गए थे। उन्होंने बताया कि बादल फटने के बाद कई पुल टूट गए और रास्ते का पता नहीं है। बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। स्थानीय पुलिस प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। शुक्रवार दोपहर हरिद्वार पहुंचे और रिश्तेदारों से बात की।
मेरठ के श्रद्धालु अभी भी फंसे हुए हैं
रास्ते में मेरठ के सात लोगों का एक समूह उनसे मिला। उनके साथ संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता के भतीजे यश गुप्ता, बुढ़ाना गेट निवासी हर्षित बंसल, यश बंसल, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर निवासी देव ठाकुर, सिविल लाइंस स्थित पीडब्ल्यूडी कॉलोनी निवासी यमन चौधरी, गंगानगर निवासी आकाश वर्मा भी गए थे। यश के अनुसार मेरठ के 30 लोगों के वहां फंसे होने की आशंका है।
रास्ते में मेरठ के सात लोगों का एक समूह उनसे मिला। उनके साथ संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता के भतीजे यश गुप्ता, बुढ़ाना गेट निवासी हर्षित बंसल, यश बंसल, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर निवासी देव ठाकुर, सिविल लाइंस स्थित पीडब्ल्यूडी कॉलोनी निवासी यमन चौधरी, गंगानगर निवासी आकाश वर्मा भी गए थे। यश के अनुसार मेरठ के 30 लोगों के वहां फंसे होने की आशंका है।
फोन पर स्थिति बताई, अब रिश्तेदारों का इंतजार
खरखौदा क्षेत्र के गांव पांची निवासी सूरज अपने दोस्त रोहित और गौरव के साथ 29 जुलाई को केदारनाथ धाम गए थे। सोनप्रयाग के पास पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर वे मंदिर के लिए निकल पड़े। लौटते समय वे गौरीकुंड के पास बादल फटने और सड़क बह जाने के कारण फंस गए। शुक्रवार सुबह सूरज ने अपने पिता राजेंद्र को फोन कर पूरी घटना बताई। सूरज ने बताया कि स्थानीय लोग और प्रशासन उन्हें निकालने की कोशिश कर रहा है।
खरखौदा क्षेत्र के गांव पांची निवासी सूरज अपने दोस्त रोहित और गौरव के साथ 29 जुलाई को केदारनाथ धाम गए थे। सोनप्रयाग के पास पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर वे मंदिर के लिए निकल पड़े। लौटते समय वे गौरीकुंड के पास बादल फटने और सड़क बह जाने के कारण फंस गए। शुक्रवार सुबह सूरज ने अपने पिता राजेंद्र को फोन कर पूरी घटना बताई। सूरज ने बताया कि स्थानीय लोग और प्रशासन उन्हें निकालने की कोशिश कर रहा है।