मेरठ में औरंगजेब की निशानियां मिटेंगी, दो मोहल्लों के नाम बदलने का ऐलान, CM योगी को भेजा गया मुजफ्फरनगर का नाम बदलने का प्रस्ताव

 महापौर ने कहा- औरंगशाहपुर डिग्गी और गोलाबढ़ का नाम बदला जाएगा, मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर रखने का प्रस्ताव
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YOGI ADITYNATH
मेरठ में अब मुगल बादशाह औरंगजेब से जुड़े नामों को इतिहास के पन्नों से मिटाने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश सरकार के आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर शहर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत महापौर कैंप कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता में मेरठ के महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने यह बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि शहर में स्थित औरंगजेब की निशानियों को समाप्त किया जाएगा, जिसके तहत दो प्रमुख मोहल्लों के नाम बदले जाएंगे।READ ALSO:-मोदीनगर: किशोरी से दुष्कर्म, कब्रिस्तान ले जाकर दो युवकों ने किया गैंगरेप, एक गिरफ्तार

 

इन मोहल्लों के बदलेंगे नाम, नगर निगम बोर्ड में आएगा प्रस्ताव
महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने बताया कि शहर में दो मोहल्ले ऐसे हैं जिनके नाम औरंगजेब से जुड़े हुए हैं। इनमें पहला है औरंगशाहपुर डिग्गी और दूसरा है औरंगशाहपुर गोलाबढ़। उन्होंने घोषणा की कि औरंगशाहपुर डिग्गी का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी महाराज के सम्मान में संभाजी नगर किया जाएगा, जबकि औरंगशाहपुर गोलाबढ़ का नाम मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर शिवाजी नगर किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण निर्णय को अमलीजामा पहनाने के लिए जल्द ही नगर निगम की बोर्ड बैठक में एक विधिवत प्रस्ताव लाया जाएगा।

 

मेरठ कैंट विधायक के प्रस्ताव पर महापौर ने दी सहमति
इस नाम परिवर्तन का प्रस्ताव मेरठ कैंट के विधायक अमित अग्रवाल की ओर से आया है। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने बताया कि उन्हें कैंट विधायक का यह प्रस्ताव मिला है और वह इस प्रस्ताव को आगामी नगर निगम की बोर्ड बैठक में निश्चित रूप से रखेंगे, जहां इस पर विस्तृत चर्चा और अनुमोदन किया जाएगा।

 

औरंगजेब था अत्याचारी और लुटेरा शासक: महापौर
नाम बदलने के फैसले के पीछे के कारण को स्पष्ट करते हुए महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि औरंगजेब एक अत्याचारी और लुटेरा शासक था। उसने हमारे देश को लूटने का काम किया था और ऐसे शासकों की निशानियों को अब मिटाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मेरठ शहर में पहले भी ऐसे परिवर्तन किए गए हैं, जिसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि बेगमपुल का नाम बदलकर पहले ही भारत माता चौक किया जा चुका है और बेगमबाग का नाम परिवर्तित कर रामबाग कर दिया गया है। अब औरंगशाहपुर डिग्गी और औरंगशाहपुर गोलाबढ़ की बारी है। महापौर ने बताया कि औरंगशाहपुर डिग्गी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण मोहल्ला है, जबकि औरंगशाहपुर गोलाबढ़ रोहटा रोड पर स्थित है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले ये दोनों गांव हुआ करते थे, लेकिन अब ये नगर निगम क्षेत्र का हिस्सा हैं।

 

भाजपा नेताओं ने किया फैसले का समर्थन, बताया ऐतिहासिक कदम
भाजपा महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला आने वाली पीढ़ी को यह बताएगा कि हमारे देश को लूटने वालों के नामों को मिटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम है। भाजपा नेता कमलदत्त शर्मा ने भी इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि आताताई का नाम मिटाना अत्यंत आवश्यक है।

 

योगी सरकार की उपलब्धियां जन-जन तक पहुंचाएंगे
प्रेसवार्ता के दौरान भाजपा महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार के आठ साल की उपलब्धियों को भी गिनाया। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता हर घर में जाकर सरकार की उपलब्धियों को बताएंगे। यह विशेष अभियान 14 अप्रैल तक चलेगा। उन्होंने चिकित्सा, उद्योग और अन्य सभी क्षेत्रों में हुए विकास कार्यों का उल्लेख किया। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि सपा सरकार के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विकास के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं।

 

इतिहासविद् ने बताया, बादशाहों के नाम पर रखे जाते थे नाम
इस अवसर पर मौजूद इतिहासविद् डा. अमित पाठक ने कहा कि मेरठ में औरंगजेब की निशानियों के लिखित प्रमाण भले ही न मिलते हों, लेकिन यह माना जाता है कि प्राचीन काल में जो भी बादशाह होते थे, उनके नाम को जोड़कर गांवों के नाम रख दिए जाते थे। उन्होंने कहा कि संभवतः औरंगशाहपुर डिग्गी और औरंगशाहपुर गोलाबढ़ के नामों के पीछे भी यही कारण रहा होगा।

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नाम बदलने की यह होगी प्रक्रिया
महापौर ने नाम बदलने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले नगर निगम की बोर्ड बैठक, जिसे सदन भी कहा जाता है, में नाम बदलने का प्रस्ताव लाया जाएगा। इस प्रस्ताव को बोर्ड के सदस्यों के बहुमत के आधार पर पारित किया जाएगा। प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे आधिकारिक कार्यवृत्त में शामिल किया जाएगा। इसके बाद नगर निगम औपचारिक रूप से नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसमें बदले हुए नामों के बोर्ड लगाना और आधिकारिक दस्तावेजों में नाम परिवर्तन करना शामिल है। सदन यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रस्तावित नाम किसी महान व्यक्ति या प्रतिष्ठित व्यक्ति के नाम पर हो।

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मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर रखने का भी प्रस्ताव
इसी तरह, एक अन्य खबर में बताया गया है कि मुजफ्फरनगर जिला पंचायत ने भी एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जिला पंचायत ने जिले का नाम मुजफ्फरनगर से बदलकर लक्ष्मीनगर रखने का प्रस्ताव पारित किया है और इसके साथ ही "एक राष्ट्र-एक चुनाव" के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। अब इन दोनों प्रस्तावों को मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। मुजफ्फरनगर जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में जिला पंचायत सदस्य मनोज कुमार ने जनपद का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था, जिसे अमरकांत और युनूस को छोड़कर अन्य सभी सदस्यों का समर्थन मिला। जिला पंचायत अध्यक्ष तेजपाल निर्वाल ने कहा कि यह प्रस्ताव जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा।

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