Driving License: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना होगा और भी मुश्किल, बिचौलियों का काम होगा खत्म

 उत्तर प्रदेश के इस शहर में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना और भी मुश्किल हो गया है। अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जा रहे हैं तो आपको सिम्युलेटर और 108 कैमरों के टेस्ट से गुजरना होगा। आइए जानते हैं इसके बारे में।
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अगर आप उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं तो आपके लिए यह प्रक्रिया और कठिन होने वाली है। जी हां, गाजियाबाद में 16 जनवरी से शुरू हो रहे संभागीय परिवहन विभाग के पहले ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (DTC) में ड्राइविंग टेस्ट को और कठिन बनाया जा रहा है। इसमें कई आधुनिक सुविधाएं लाने की तैयारी की जा रही है, जिसके तहत ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर हो रहे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जा सकेगी। आइए जानते हैं इसके बारे में।READ ALSO;-अजब गजब, पैदल जा रहे शख्स का हेलमेट ना पहनने पर हुआ ₹300 का जुर्माना? पुलिस की ऐसी कार्रवाई से लोग हैरान

 

सिम्युलेटर टेस्ट से करना होगा पास
आपको बता दें कि अब अभ्यर्थियों का ड्राइविंग टेस्ट अत्याधुनिक तरीके से लिया जाएगा। इतना ही नहीं, ड्राइविंग गतिविधि के हर पल की रिकॉर्डिंग की जाएगी, जिसके लिए 108 कैमरे लगाए गए हैं। साथ ही, आपको सिम्युलेटर टेस्ट से भी गुजरना होगा। सिम्युलेटर और कैमरों की रिकॉर्डिंग देखने के बाद ही आवेदक को टेस्ट में पास या फेल किया जाएगा। इससे ड्राइविंग टेस्ट में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। इसके अलावा यह भी दावा किया जा रहा है कि इससे सड़क हादसों में भी कमी आ सकती है।

 

आपको बता दें कि सिम्युलेटर असली कार की नकल है। इसमें स्टीयरिंग व्हील, गियर, ब्रेक, पैडल, इंडिकेटर और स्विच तथा स्पीड कंट्रोल है। सिम्युलेटर को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित किया जाता है। इसके जरिए इको-फ्रेंडली ड्राइविंग की ट्रेनिंग भी दी जा सकेगी।

 

मैन्युअली लिया जाता था टेस्ट
संभागीय परिवहन विभाग में अभी तक ड्राइविंग टेस्ट मैनुअली लिया जाता था। टेस्ट लेने के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की जाती है। इससे वह लोग भी टेस्ट पास कर जाते थे, जिन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता, जिससे सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।

 

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि 16 जनवरी से ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर शुरू हो रहा है। इसमें कैमरे और सिम्युलेटर होंगे, जिसका संचालन निजी एजेंसी करेगी। इसमें धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी और टेस्ट वही पास कर पाएंगे, जिन्हें गाड़ी चलाना आता है और जो ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक हैं।

 

बता दें कि गाजियाबाद में हर रोज करीब 225 लोग मैनुअल ड्राइविंग टेस्ट देते हैं। विभाग ने अत्याधुनिक ड्राइविंग टेस्ट के लिए डीटीसी की स्थापना की है, जिसमें 108 कैमरे लगाए गए हैं और सेंटर के संचालन की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को दी गई है। इस एजेंसी की देखरेख में टेस्ट कराया जाएगा और ड्राइविंग के दौरान चालक की हर गतिविधि का वीडियो बनाया जाएगा। हालांकि टेस्ट में पास होने या फेल होने की जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी।

 

इतना ही नहीं, आवेदक को ड्राइविंग के साथ-साथ ट्रैफिक के सभी नियमों की भी जानकारी होनी चाहिए। अगर वह ड्राइविंग के साथ-साथ हर नियम को जानता है, तभी वह टेस्ट पास कर पाएगा। इससे टेस्टिंग में होने वाली धोखाधड़ी पूरी तरह से बंद हो जाएगी।

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बिचौलियों का अंत
ड्राइविंग टेस्ट पास कराने के लिए संभागीय परिवहन विभाग के बाहर बड़ी संख्या में दलाल बैठे रहते हैं। वे बिना टेस्ट दिए ही आवेदक को टेस्ट पास कराने का दावा करते हैं। इसके बदले में वे मोटी रकम मांगते हैं। डीटीसी शुरू होने पर दफ्तर के बाहर दलालों की संख्या कम हो जाएगी। केंद्र पर 108 कैमरों का वीडियो रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा। भविष्य में कभी भी इसकी जांच की जा सकेगी।

 

लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में कमी आएगी
फिलहाल हर महीने 5000 से ज्यादा लोगों का टेस्ट होता है, लेकिन डीटीसी में टेस्ट कराने वालों की संख्या में 50 फीसदी की कमी आएगी। क्योंकि हर व्यक्ति का टेस्ट नियमों के अनुसार ही होगा। इससे वेटिंग की समस्या बढ़ सकती है। लोगों को टेस्ट के लिए लंबी तारीख मिलेगी। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि वेटिंग की समस्या नहीं होगी। इसके अलावा टेस्ट में वही लोग पास हो पाएंगे जो ड्राइविंग के साथ-साथ ट्रैफिक नियमों को भी जानते हैं।

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