20 साल बाद अफगान में US का सैन्य अभियान खत्म, आखिरी विमान ने भरी उड़ान
अमेरिका ने सोमवार को रात 10.30 बजे घोषणा की है कि उसने अफगानिस्तान से अपने सैनिक पूरी तरह से वापस बुला लिए हैं। भारतीय समय के मुताबिक देर रात करीब एक बजे काबुल एयरपोर्ट से आखिरी अमेरिकी विमान ने उड़ान भरी। अमेरिकी सैनिकों की निकासी के बाद खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने बताया कि अफगानिस्तान से 20 साल की अमेरिकी सैन्य मौजूदगी खत्म हुई।
अब काबुल एयरपोर्ट तालिबान का पूरी तरह से कब्जा हो गया। इस पर तालिबानी आतंकियों ने खौंफनाक जश्न मनाते हुए हवा में ताबडतोड़ फायरिंग की और आसमान में कई रॉकेट दागे। तालिबान की इस फायरिंग से काबुल के स्थानीय लोग सहम गए।
🔵 Después del anuncio del pentágono donde da por finalizada la retirada de militares estadounidenses de #Afganistan, talibanes celebran cerca del aeropuerto de #Kabul. pic.twitter.com/2PrvTXMTJm
— 🇲🇽 (@twiturbe) August 31, 2021
यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंज़ी ने पेंटागन से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में करते हुए अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे अमेरिका के मिलिट्री ऑपरेशन समाप्त होने की घोषणा की। अफगानिस्तान छोड़ने वाले आखिरी अमेरिकी सैनिक मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू (Major General Chris Donahue) हैं, जो 30 अगस्त को सी-17 विमान में सवार हुए और यह काबुल में अमेरिकी मिशन के अंत का प्रतीक है।
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने बताया कि 20 साल के अमेरिकी सैन्य अभियानों के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है। अमेरिका ने ये भी एलान कर दिया है कि अब उसका डिप्लोमेटिक मिशन भी काबुल में नहीं रहेगा, इसे कतर शिफ्ट कर दिया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने अमेरिकी सैनिकों की निकासी पर कहा, 'पिछले 17 दिनों में हमारे सैनिकों ने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े एयरलिफ्ट को अंजाम दिया है। उन्होंने इसे बेजोड़ साहस और संकल्प के साथ किया है। प्रशासन की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा था कि आज तक यू.एस ने अफगानिस्तान से 120,000 से अधिक लोगों को निकालने में मदद की है, जिसमें 6,000 अमेरिकी और उनके परिवार शामिल हैं।
साकी ने कहा कि, यूएस ने पिछले 24 घंटों में 1,200 लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला था। रविवार को 2,900 और शनिवार को 6,800 लोगों को बाहर निकाला। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वाशिंगटन के पास "अफगान पर राजनयिकों को रखने के लिए साधन और तंत्र" होंगे ताकि उन अफगानों की मदद की जा सके जो अफगानिस्तान छोड़कर संयुक्त राज्य अमेरिका जाना चाहते हैं।