लव मैरिज पर हाईकोर्ट का अहम फैसला : कहा- माला पहनाने से शादी नहीं हो जाती, अग्नि के समक्ष 7 फेरे लेने जरूरी

 लव मैरिज (Love Marriage) पर अहम टिप्पणी करते हुए मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) ने कहा कि लड़का-लड़की द्वारा मंदिर में एक दूसरे को माला पहनाने से शादी नहीं हो जाती है

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लव मैरिज (Love Marriage) पर अहम टिप्पणी करते हुए मध्यप्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) ने कहा कि लड़का-लड़की द्वारा मंदिर में एक दूसरे को माला पहनाने से शादी नहीं हो जाती है, सिर्फ 7 फेरे लेकर विधिपूर्वक की गई शादी ही वैध मानी जाएगी। कोर्ट आर्य समाज मंदिर में शादी करने के बाद प्रेमी जोड़े द्वारा सुरक्षा मांगने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने प्रेमी जोड़े की याचिका को खारिज कर दिया। 

 

दरअसल मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के एक युवक ने 21 साल की युवती के साथ 16 अगस्त 2021 को ग्वालियर के आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया था। आर्य समाज द्वारा उन्हें इस विवाह का प्रमाण पत्र भी मिला था। शादी करने के बाद नवदंपति ने परिजनों से जान का खतरा बताते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा की माग की थी। नवदंपति का तर्क था कि उनके प्रेम विवाह से परिजन नाराज हैं, तथा झूठी शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में उनकी जान को खतरा है साथ ही इस डर के कारण वे अपने वैवाहिक जीवन को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। Read Also : लव मैरिज से नाराज मां-बाप तोड़ चुके रिश्ता, अब लंबाई छोटी बता पति ने घर से निकाला; मेरठ व्यापार मंडल ने दिया सहारा

 

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मामले पर सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता दीपक खोत ने नवदंपति की याचिका का विरोध किया। दीपक खोत ने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में किसी भी थाने में सुरक्षा के लिए आवेदन तक नहीं दिया। उन्होने ऐसा एक भी सबूत प्रस्तुत नही किया जिससे यह साबित होता है कि प्रेमी-प्रेमिका को धमकी मिली है या वे पुलिस के पास गए हों। Read Also : मुस्लिम पुरुष का मूर्तिपूजक महिला के साथ निकाह न तो मान्य है और न ही शून्य है, नहीं मिलेगी पेंशन : हाईकोर्ट

 

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने यह भी नही बताया है कि उन्हें कब और किससे धमकी मिली है, कौन परेशान कर रहा है। याचिकाकर्ता ने थाने जाने की बजाय सीधे कोर्ट में आवेदन कर दिया, जिसके चलते यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अग्नि के समक्ष 7 फेरे लेने और विधिपूर्वक किए गए विवाह को ही वैध माना जाता है. कोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि सिर्फ मंदिर में एक दूसरे को माला पहनाना शादी नहीं है।

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