मंत्री बनने जा रहे MLA दिनेश खटीक के विवादों की लंबी लिस्ट, लगे आत्महत्या को उकसाने से लेकर जमीन कब्जाने के गंभीर आरोप

योगी सरकार में मंत्री बनने जा रहे हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक का विवादों से पुराना नाता रहा है। दागी सिपाहियों की पैरवी करने के लिए एसएसपी पर दबाव बनाने से लेकर  इंस्पेक्टर और दरोगा को धमकाने तक के आरोप विधायक दिनेश खटीक पर ही लगे हैं।

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दिनेश खटीक
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election) से पहले योगी कैबिनेट (Yogi Government) का विस्तार (Cabinet Expansion) रविवार शाम को होने जा रहा है। मंत्रिमंडल में जितिन प्रसाद के अलावा पलटू राम, संजय गौड़, संगीता बिंद, दिनेश खटीक, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार को शपथ दिलाई जाएगी। मंत्री बनने वाली लिस्ट में शामिल दिनेश खटीक  (BJP MLA Dinesh Khatik) मेरठ (Meerut) की हस्तिनापुर सीट (Hastinapur Seat) से भाजपा के विधायक हैं। दिनेश ने 2017 में पहली बार भाजपा की ओर से चुनाव लड़ा था और पहली बसपा के मजबूत प्रत्याशी योगेश वर्मा को हराकर कर जीत हासिल की थी।

 

विधायक दिनेश खटीक मवाना थाना क्षेत्र के कस्बा फलावदा के रहने वाले हैं। दिनेश खटीक की राजनीति की शुरुआत भाजपा से ही हुई। इनके पिता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में कार्यकर्ता रहे थे। दिनेश ने भी पिता की राह पर चलते हुए आरएसएस की सदस्यता ली और लबे समय तक संघ में कार्यकर्ता रहे। इसके अलावा दिनेशा के भाई नितिन खटीक जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। 

 

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योगी सरकार में मंत्री बनने जा रहे हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक का विवादों से पुराना नाता रहा है। दागी सिपाहियों की पैरवी करने के लिए एसएसपी पर दबाव बनाने से लेकर  इंस्पेक्टर और दरोगा को धमकाने तक के आरोप विधायक दिनेश खटीक पर ही लगे हैं। इसके अलावा एक वकील की आत्महत्या के मामले में भी विधायक दिनेश खटीक पर गंभीर आरोप लगे थे, जिसके चलते प्रदेशभर के वकीलों ने इनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गिरफ्तारी की मांग उठाई थी।

 

दागी सिपाहियों की पैरवी प्रकरण

 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद एसएसपी मेरठ ने 62 दागी सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया था। जिसमें भाजपा विधायक दिनेश खटीक चार सिपाहियों की पैरवी करने एसएसपी के पास उनके ऑफिस पहुंचे थे। उन सिपाहियों की पर्ची भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। यह पहला ऐसा मामला था जिसमें भाजपा विधायक ने अपनी सरकार का हवाला देते हुए पुलिसकर्मियों की पैरवी की थी। 

 

एसडीओ को धमकाया

विधायक दिनेश खटीक ने मवाना में बिजली विभाग के एसडीओ को धमकाया। जिसमें विधायक ने आरोप लगाया था कि बिजली चेकिंग के नाम पर अवैध धन उगाही की जा रही है। एसडीओ ने मवाना थाने में तहरीर दी थी। लेकिन पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर सकी। पुलिस की मदद न मिलने पर भाजपा विधायक की धमकी की ऑडियो क्लिप वायरल हो गई थी।

 

इंस्पेक्टर को बलिया भिजवाने की धमकी

16 अगस्त 2018 को भाजपा विधायक दिनेश खटीक ने मवाना थाने में पहुंचकर मवाना इंस्पेक्टर मुनेंद्र पाल सिंह को धमकाया। जहां भाजपा विधायक ने इंस्पेक्टर को बलिया भिजवाने की धमकी दी। मामला पति-पत्नी के झगड़े का था। इसमें महिला ने अपने पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए महिला के पति को हल्‍की धाराओं में चालान कर जेल भेजने की कार्रवाई की। हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक महिला के पति की तरफ से पैरवी कर रहे थे और भाजपा विधायक आरोपी को छुड़ाने थाने पहुंचे थे। विधायक को जब पता चला कि एसओ मानविंदर सिंह ने महिला के पति का चालान धारा 151 के तहत कर दिया है तो वह तैश में आ गए और एसओ को फोन मिला दिया। इसके ऑडियो वायरल में यह भी सामने आया था कि यदि वह इंस्पेक्टर का बलिया ट्रांसफर नहीं करा पाए तो राजनीति छोड़ देंगे। एसओ को धमकी देते हुए विधायक ने कहा, अगर तुम सोच रहे हो कि एक-दो नेता तुम्हें बचाकर जिले में ही करवा देंगे तो यह अपने दिमाग से निकाल दो।

 

600 बीघा जमीन कब्जाने का आरोप

हापुड़ में पंचायती गौशाला के नाम से एक जमीन मेरठ के मवाना तहसील के मिर्जापुर गांव में है। यह जमीन 600 बीघा है। पंचायती गौशाला संगठन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया था कि भाजपा विधायक दिनेश खटीक जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कराने का प्रयास कर रहे हैं। 

 

न्यायालय में भी पहुंचा मामला

निर्मल गंगाजन अभियान समिति शांतिकुंज हरिद्वार के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य महेंद्र गिरी की ओर से एक अर्जी न्यायालय में दायर की गई थी।  जिसमे कहा था कि 28 नवंबर 2017 को वह परीक्षितगढ़ क्षेत्र के खादर में पहुंचे। वहां पर कुछ लोग गंगा किनारे खेती के लिए कब्जा करने का प्रयास कर रहे थे। आरोप था कि कब्जा धारियों ने विधायक और उनके भाई का नाम लेते हुए जबरन फसल उगाने की बात कही। परीक्षितगढ़ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसमें विधायक दिनेश खटीक, उनके भाई नितिन खटीक, चिंकू बढ़ला, लेखा व तेजपाल को आरोपी बनाया गया था।

 

अधिवक्ता सुसाड केस

13 फरवरी को गंगानगर के इशापुरम में रहने वाले एडवोकेट ओमकार तोमर ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मृतक के बेटे लव तोमर ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी स्वाति और उसके बीच चल रहे विवाद में पंच की भूमिका निभा रहे हस्तिनापुर से बीजेपी विधायक दिनेश खटीक और अन्य कई लोग लड़की पक्ष के साथ मिलकर समझौते में 15 लाख रुपये मांगने का दबाव बना रहे थे। जिसमें वकील ओंकार सिंह तो धमकी भी दी गई। जिससे डिप्रेशन में आकर ओमकार तोमर ने जान दे दी थी। विधायक पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों के तहत केस भी दर्ज हुआ था, लेकिन वकील विधायक की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। जिसके बाद प्रदेशभर के वकीलों ने विधायक दिनेश खटीक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बीजेपी विधायक दिनेश खटीक की गिरफ्तारी की मांग को लेकर  प्रदेशभर के वकीलो ने हड़ताल की। मेरठ कचहरी में अधिवक्ताओं ने क्रमिक अनशन किया। विधायक पर कार्रवाई की मांग को लेकर वकीलों  ने एसएसपी ऑफिस में तोड़फोड़ भी की थी।

 

आत्महत्या के प्रकरण में भाजपा के हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक, पूर्व प्रधान धर्मपाल, पूर्व प्रधान सेंसरपाल, संजय, मनोज, मुकेश, बलराज, मुनेंद्र, जोगेंद्र, विनीत, रवित, स्वाति, राजकुमार, पर आत्म्हत्या के उकसाने की धारा में केस दर्ज हुआ था। वह केस गंगानगर थाने में वकील के बेटे की तरफ से दर्ज कराया था। नामजद आरोपी संजय ने भी बाद में आत्महत्या कर ली थी, जबकि विधायक को छोड़कर बाकी को गिरफ्तार कर लिया गया था। वकीलों ने पुलिस पर भाजपा विधायक के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था।

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