आज मंगल की सबसे खतरनाक जगह पर उतरेगा Nasa का पर्सीवरेंस रोवर, यहां हैं गहरी घाटियां और पत्थरों के समुंदर, ऐसे देखें Live

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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का पर्सीवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Rover) गुरुवार को मंगल (Mars) पर जीवन की तलाश के लिए उतरेगा। यह देर रात दो से तीन बजे के बीच मार्स की सबसे खतरनाक सतह जजीरो क्रेटर पर लैंडिंग करेगा। इस सतह पर कभी पानी हुआ करता था। नासा ने दावा किया है कि यह अब तक के इतिहास में रोवर की मार्स पर सबसे सटीक लैंडिंग होगी। पर्सीवरेंस रोवर लाल ग्रह से चट्‌टानों के नमूने भी लेकर आएगा।

मंगल ग्रह तक पहुंचने में नासा के पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Rover) को अच्छी खासी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। ये दिक्कतें ऐसी हैं, जिनमें से कुछ पर्सिवरेंस रोवर को खुद ही निपटना होगा, लेकिन मंगल ग्रह पर उसका बड़ा भाई मार्स इनसाइट पहले से तैनात है। जो उसे मंगल ग्रह की सबसे बड़ी समस्या से बचाएगा।

पानी की खोज और जीवन की पड़ताल करेगा
पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाई-ऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे। यह जमीन के नीचे जीवन संकेतों के अलावा पानी की खोज और उनसे संबंधित जांच भी करेगा। इसका मार्स एनवायर्नमेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर (MEDA) मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।

मिशन पर चौथी पीढ़ी का पांचवां रोवर
इससे पहले भी नासा के चार रोवर मंगल की सतह पर उतर चुके हैं। पर्सीवरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का रोवर है। इससे पहले पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को साल 1997 में भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी को भेजा गया। वहीं 2012 में क्यूरिऑसिटी ने मंगल पर डेरा डाला था।

ऐसा है पर्सीवरेंस मार्स रोवर
नासा के मार्स मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है। यह परमाणु ऊर्जा से चलेगा। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है। वहीं, हेलिकॉप्टर का वजन 2 किलोग्राम है।

NASA Perseverance Mars Rover को आएंगी यह दिक्कतें

  • मंगल ग्रह पर उतरने से आधे घंटे पहले तक पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) की गति करीब 80 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। इसे 30 मिनट में कम करके इस स्तर पर लाना होगा जिससे वह तेजी से मंगल ग्रह पर न गिरे। यह पहली दिक्कत है।
  • दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत है गर्मी। मंगल ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करते ही पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) को घर्षण की वजह से 1000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान बर्दाश्त करना होगा।
  • इसके अलावा वह मंगल के जिस गड्ढे में उतर रहा है, उसे जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) कहते हैं। जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समुद्र है। ऐसे में पर्सिवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग कितनी सफल होगी इस पर दुनिया भर के साइंटिस्ट्स की निगाहें टिकी हुई हैं।

यह है बड़ा भाई मार्स इनसाइट

मार्स इनसाइट (Mars Insight) को नासा ने 2018 में मंगल की सतह पर पहुंचाया था। इसका काम मंगल की सतह और गर्भ में आने वाले भूकंपों की जानकारी देना है। नवबंर 2018 के बाद से ये लगातार सिर्फ मंगल ग्रह पर आ रहे भूकंपों की जानकारी जमा करके नासा को भेज रहा है। जब पर्सिवरेंस मार्स रोवर मंगल की सतह पर उतरेगा, उस समय इनसाइट नासा और पर्सिवरेंस दोनों को ये बताएगा कि उसकी लैंडिंग साइट पर कोई भूकंप तो नहीं आने वाला।

ऐसे देखें लाइव लैंडिंग

लैंडिंग के ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए NASA लोगों को लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ने का मौका दे रहा है। NASA के पब्लिक टीवी चैनल, वेबसाइट, ऐप, यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन, ट्विच, डेली मोशन या थीटा.टीवी पर भारतीय समयानुसार रात 12:45 बजे काउंटडाउन और कमेंट्री में शामिल हुआ जा सकेगा। इस दौरान लैंडिंग को सीधे तो देखा नहीं जा सकेगा लेकिन MRO की मदद से NASA की मिशन कंट्रोल टीम लैंडिंग की पुष्टि करेगी। Perseverance के नाम से ट्विटर और फेसबुक पर अकाउंट भी हैं और पहले से मंगल पर मौजूद NASA के रोवर Curiosity और InSight के अकाउंट पर भी इससे जुड़ा जा सकेगा।

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