उत्तराखंड के पंच केदारों में प्रमुख और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट शीतकाल के लिए आज (गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025) सुबह पूरे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। भारी बर्फबारी और अत्यधिक ठंड के कारण हर साल दिवाली के बाद यह कपाट बंद होते हैं। इस बार कपाट बंद होने की तिथि भाई दूज के पावन पर्व पर पड़ी। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु, मंदिर समिति के सदस्य और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) भी मौजूद रहे। पूरी केदार घाटी भक्तिमय 'हर-हर महादेव' की गूंज से गुंजायमान हो उठी।READ ALSO:-मेरठ के गोदाम में भीषण आग, चिप्स-कुरकुरे जलकर राख; फायर ब्रिगेड ने 2 घंटे में पाया काबू भैया दूज पर कपाट बंद करने की परंपरा केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि हर साल दशहरे के दिन पंचांग गणना के बाद तय की जाती है। कपाट बंद होने का समय: आज, 23 अक्टूबर 2025 को सुबह 8:30 बजे ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। विशेष पूजा: कपाट बंद करने से पहले, परंपरा के अनुसार भगवान शिव की विशेष समाधि पूजा की गई। पंचमुखी भोगमूर्ति को भंडार घर में रखा गया और मुख्य पुजारी द्वारा कपाटों को अंतिम रूप से बंद कर दिया गया। बाबा केदार की डोली हुई रवाना कपाट बंद होने की प्रक्रिया के बाद, भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह डोली को उनके शीतकालीन प्रवास (Winter Seat) के लिए रवाना कर दिया गया: प्रस्थान: बाबा केदार की डोली ने केदारनाथ धाम से अपने शीतकालीन प्रवास के लिए प्रस्थान किया। पहला विश्राम: डोली आज रात (23 अक्टूबर) रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी। शीतकालीन गद्दी: 25 अक्टूबर को बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह डोली रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर पहुँचेगी, जहाँ अगले छह महीने तक भक्त बाबा केदार के दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकेंगे। यात्री संख्या: इस वर्ष केदारनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक रही, जिसने मानसून की चुनौतियों के बावजूद आस्था के मजबूत होने को दर्शाया। सीएम धामी भी रहे मौजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर उपस्थित रहकर पूरे विधि-विधान का अवलोकन किया और कहा कि इस वर्ष की चारधाम यात्रा बहुत सफल रही है। उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों का आभार व्यक्त किया। चारधाम यात्रा का समापन केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) का भी अंतिम चरण शुरू हो गया है। यमुनोत्री धाम के कपाट भी आज (भैया दूज पर) बंद होंगे, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट सबसे अंत में (25 नवंबर को) शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग स्थित विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भैया दूज के पावन अवसर पर, कल यानी 23 अक्टूबर 2025 की सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर, बाबा केदारनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाटबंदी की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से पहले, चल विग्रह पंचमुखी डोली ने विधि-विधान से मंदिर के अंदर प्रवेश कर लिया है। आज शाम (22 अक्टूबर) को भगवान शिव की समाधि पूजा की तैयारी है।READ ALSO:-मेरठ शर्मसार: राज्य मंत्री का नाम लेते हुए व्यापारी से नाक रगड़वाने के मामले में चौकी प्रभारी समेत 3 Police कर्मी लाइन हाजिर रिकॉर्ड तोड़ यात्रा और अंतिम दर्शन इस वर्ष की चारधाम यात्रा रिकॉर्ड तोड़ रही है। केदारनाथ धाम में अब तक 17 लाख 45 हजार 065 श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं, जो इस यात्रा के प्रति भक्तों की अटूट आस्था को दर्शाता है। कपाटबंदी के बाद, अगले छह महीने तक भगवान केदारनाथ की पूजा उनके शीतकालीन गद्दीस्थल (Winter Seat) पर की जाएगी। समाधि पूजा का विधान और कपाटबंदी का समय कपाट बंद होने की प्रक्रिया बेहद धार्मिक और अनुशासित होती है, जिसे बीकेटीसी (Badrinath Kedarnath Temple Committee) पूरा करता है। अंतिम दर्शन: परंपरा के अनुसार, मध्य रात्रि से सुबह 4 बजे तक आम भक्त बाबा केदारनाथ के अंतिम दर्शन कर सकेंगे। समाधि पूजा: सुबह 5 बजे से 6 बजे तक भगवान शिव की समाधि पूजा की जाएगी। इस दौरान बाबा केदार के स्वयंभू लिंग को विशेष रूप से भस्म, अनाज, फल, फूल, रुद्राक्ष और सफेद कपड़े से ढक दिया जाएगा। कपाटबंदी: ठीक सुबह 6 बजे गर्भ गृह का द्वार बंद कर दिया जाएगा, और उसके बाद सुबह 8:30 बजे परम्परानुसार पूर्वी द्वार (मुख्य द्वार) को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाएगा। चल विग्रह डोली का प्रस्थान कपाट बंद होने के तुरंत बाद, भगवान शिव की चल विग्रह पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन प्रवास के लिए प्रस्थान करेगी। पहला पड़ाव: 23 अक्टूबर को डोली केदारनाथ से प्रस्थान कर रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुँचेगी। दूसरा पड़ाव: 24 अक्टूबर को गुप्तकाशी पहुँचेगी। शीतकालीन गद्दीस्थल: 25 अक्टूबर को बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुँचेगी। अगले छह महीने तक श्रद्धालु यहीं पर बाबा केदार के दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकेंगे। चारधाम के कपाट बंद की तिथियां (Dates of Chardham Closing): केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही अन्य प्रमुख धामों की कपाटबंदी की तिथियाँ भी तय हैं: धाम (Dham) कपाट बंद होने की तिथि समय गंगोत्री धाम 22 अक्टूबर सुबह 11:36 बजे केदारनाथ धाम 23 अक्टूबर सुबह 8:30 बजे यमुनोत्री धाम 23 अक्टूबर दोपहर 12:30 बजे बदरीनाथ धाम 25 नवंबर (तिथि घोषित) शीतकालीन यात्रा की तैयारी केदारनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड में शीतकालीन पर्यटन (Winter Tourism) की शुरुआत हो जाएगी। अब भक्तों की आस्था का केंद्र ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ रहेगा, जहाँ शीतकालीन यात्रा के दौरान दर्शन किए जा सकेंगे।
उत्तरकाशी, उत्तराखंड: देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड के पवित्र शहर उत्तरकाशी में एक ऐसी शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने लोगों के विश्वास और आस्था को झकझोर कर रख दिया है। यहां के 'जायका रेस्टोरेंट' का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है, जिसमें एक कर्मचारी बटर नान बनाने से पहले उस पर थूकता हुआ साफ दिखाई दे रहा है। इस घिनौने कृत्य के सामने आते ही पूरे इलाके में बवाल मच गया है। हिंदू संगठनों ने इसे 'थूक जिहाद' का नाम देते हुए इसे देवभूमि की अस्मिता पर सीधा हमला करार दिया है और कठोरतम कार्रवाई की मांग की है।READ ALSO:-केदारनाथ का सफर अब 9 घंटे नहीं, सिर्फ 40 मिनट में! 16 KM की चढ़ाई से मिलेगी मुक्ति, अडानी ग्रुप बनाएगा 4000 करोड़ का रोपवे। क्या है पूरा मामला? मामला उत्तरकाशी के 'जायका रेस्टोरेंट' का है। वायरल हुए वीडियो में रेस्टोरेंट का एक कर्मचारी तंदूर में रोटी (बटर नान) डालने से ठीक पहले उस पर थूकता है और फिर उसे पकने के लिए डाल देता है। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर पहुंचा, लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। यह कृत्य न केवल अमानवीय और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि इसने एक बड़ी सांप्रदायिक बहस को भी जन्म दे दिया है। @khabreelal_news उत्तरकाशी में 'थूक जिहाद' का आरोप: नान पर थूकते वीडियो वायरल, रेस्टोरेंट कर्मचारी पर केस, लाइसेंस रद्द करने की तैयारी 'जायका रेस्टोरेंट' में अमानवीय कृत्य: बटर नान सेंकने से पहले थूकते कर्मचारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, हिंदू संगठनों में भारी रोष। pic.twitter.com/ra5N5NLkIM — MK Vashisth (@vadhisth) October 16, 2025 'थूक जिहाद' पर हिंदू संगठनों का आक्रोश इस घटना पर हिंदू सम्राट दर्शन भारती, विश्व हिंदू बजरंग दल समेत कई धार्मिक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। हिंदू सम्राट दर्शन भारती ने कहा, "यह भूमि धर्म, आस्था और पवित्रता की प्रतीक है। ऐसी जिहादी मानसिकता वाले तत्व देवभूमि की गरिमा को कलंकित कर रहे हैं। यदि प्रशासन दोषी पर NSA के तहत मुकदमा दर्ज कर रेस्टोरेंट का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द नहीं करता, तो हम सत्याग्रह आंदोलन करने को मजबूर होंगे।" वहीं, विश्व हिंदू बजरंग दल के जिला प्रभारी कीर्ति महर ने इसे देवभूमि पर सीधा प्रहार बताते हुए चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। पुलिस और प्रशासन का एक्शन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया है। FIR दर्ज: प्रभारी निरीक्षक भावना कैंथोला ने बताया कि शिकायत के आधार पर आरोपी कर्मचारी को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196(1)(b) (भोजन या पेय को दूषित करना) और 274 (खाद्य पदार्थ में मिलावट) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। लाइसेंस रद्द करने की तैयारी: पुलिस उपाधीक्षक जनक सिंह पवार ने बताया कि जांच गंभीरता से की जा रही है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा विभाग को भेज दी है, जिसके बाद विभाग ने 'जायका रेस्टोरेंट' का लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रशासन ने लोगों से सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। स्थानीय नागरिक और संगठन इस जघन्य कृत्य के लिए दोषी को कठोरतम सजा देने की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत न कर सके।
देहरादून/सोनप्रयाग: उत्तराखंड के चार धामों में से एक, बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने सोनप्रयाग (Sonprayag) से केदारनाथ धाम तक बनने वाले महत्वाकांक्षी रोपवे प्रोजेक्ट का टेंडर अडानी ग्रुप (Adani Group) को सौंप दिया है। इस परियोजना से 16 किलोमीटर की कठिन और थका देने वाली पैदल चढ़ाई का सफर सिमटकर महज 35 से 40 मिनट का रह जाएगा।READ ALSO:-रिश्ते शर्मसार! नानी-धेवता के अवैध संबंध में रोड़ा बना पति; धान के खेत में सोते समय गला घोंटकर की हत्या; पत्नी और प्रेमी गिरफ्तार परियोजना की लागत, अवधि और निर्माण एजेंसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल यह रोपवे उत्तराखंड में पर्यटन और बुनियादी ढांचे को नई गति देने वाला है। विवरण तथ्य परियोजना का नाम सोनप्रयाग से केदारनाथ रोपवे कुल लंबाई 12.9 किलोमीटर अनुमानित लागत लगभग ₹4,081 करोड़ निर्माण का लक्ष्य 5 से 6 साल निर्माण एजेंसी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) का RMRW डिवीजन संचालन और रख-रखाव निर्माण पूरा होने के बाद अगले 29 वर्षों तक अडानी ग्रुप द्वारा यह परियोजना भारत सरकार के 'पर्वतमाला योजना' (National Ropeway Development Programme) का एक अहम हिस्सा है और इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है। 9 घंटे की यात्रा 36 मिनट में क्यों? वर्तमान में, श्रद्धालुओं को सोनप्रयाग या गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक पहुँचने के लिए लगभग 16 किलोमीटर की दुर्गम और खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसमें स्वस्थ व्यक्ति को भी 8 से 9 घंटे का समय लगता है। समय की बचत: रोपवे तैयार होने के बाद, यह 12.9 किमी की हवाई दूरी मात्र 36 मिनट में पूरी हो जाएगी। क्षमता: यह रोपवे प्रत्येक दिशा में प्रति घंटे 1,800 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगा। आधुनिक तकनीक: इस परियोजना में अत्याधुनिक मोनोकेबिल डिटैचेबल गोंडोला (Monocable Detachable Gondola) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भारत का पहला 3S (ट्राइ-कैबल) रोपवे सिस्टम हो सकता है, जो सुरक्षा और स्थिरता के लिए वैश्विक मानकों पर खरा उतरता है। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने सोशल मीडिया पर इस प्रोजेक्ट की जानकारी साझा करते हुए कहा कि "केदारनाथ रोपवे सिर्फ एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि आस्था और आधुनिकता के बीच का एक पुल होगा।" श्रद्धालुओं को मिलने वाली बड़ी सुविधाएँ केदारनाथ धाम में सालाना तीर्थयात्रियों की संख्या 15 से 20 लाख तक पहुँच जाती है। रोपवे बनने से यात्रा में कई महत्वपूर्ण सुधार आएंगे: सुरक्षित यात्रा: मानसून के मौसम में भूस्खलन और बारिश के कारण पैदल मार्ग अक्सर जोखिम भरा हो जाता है। रोपवे यात्रा को सुरक्षित और मौसम की बाधाओं से कम प्रभावित बनाएगा। बुजुर्गों को राहत: कठिन चढ़ाई के कारण बुजुर्गों, बच्चों और शारीरिक रूप से कमजोर श्रद्धालुओं को सबसे बड़ी राहत मिलेगी, जो अब आसानी से बाबा के दर्शन कर सकेंगे। समय प्रबंधन: यात्रा का समय 9 घंटे से घटकर 36 मिनट होने से श्रद्धालु कम समय में यात्रा पूरी कर सकेंगे, जिससे उन्हें धाम में दर्शन और पूजा के लिए अधिक समय मिलेगा। पर्यटन और रोजगार: यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। फिलहाल मानसून के दौरान हेलीकॉप्टर सेवा भी अक्सर बंद हो जाती है, ऐसे में रोपवे वर्ष के अधिक महीनों में केदारनाथ धाम तक निरंतर कनेक्टिविटी प्रदान करने का एक स्थायी समाधान साबित होगा। अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) सवाल 1: केदारनाथ रोपवे कहाँ से कहाँ तक बनेगा? जवाब: यह रोपवे सोनप्रयाग से शुरू होकर सीधे केदारनाथ धाम तक बनेगा। सवाल 2: इस रोपवे प्रोजेक्ट का टेंडर किस कंपनी को मिला है? जवाब: इस परियोजना का टेंडर अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Adani Enterprises Ltd.) को मिला है। सवाल 3: रोपवे बनने के बाद केदारनाथ की यात्रा में कितना समय लगेगा? जवाब: रोपवे तैयार होने के बाद 9 घंटे की पैदल यात्रा केवल 35 से 40 मिनट में पूरी हो जाएगी। सवाल 4: यह रोपवे कितना लंबा होगा और इसकी अनुमानित लागत कितनी है? जवाब: रोपवे की लंबाई 12.9 किलोमीटर होगी और इस पर करीब 4,081 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सवाल 5: यह प्रोजेक्ट सरकार की किस योजना का हिस्सा है? जवाब: यह केंद्र सरकार की नेशनल रोपवे डेवलपमेंट प्रोग्राम - पर्वतमाला योजना का एक हिस्सा है। ।
देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने दीपावली से ठीक पहले बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए राज्य की नौकरशाही में नई ऊर्जा भरने का प्रयास किया है। शनिवार देर रात जारी हुई तबादला सूची में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय वन सेवा (IFS), राज्य सिविल सेवा (PCS) और सचिवालय सेवा के कुल 44 अधिकारियों की जिम्मेदारियों में व्यापक बदलाव किया गया है।READ ALSO:-मेरठ को जल्द मिलेगी बड़ी सौगात: भैसाली मेट्रो स्टेशन बनकर तैयार, सदर और थापर नगर के लोगों के लिए होगा सबसे नज़दीकी RRTS केंद्र इस फेरबदल में 23 IAS, 11 PCS और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जिससे कई महत्वपूर्ण विभागों और जिलों की कमान नए हाथों में चली गई है। 5 जिलों के जिलाधिकारी बदले गए, नैनीताल में बड़ा बदलाव प्रशासनिक फेरबदल का सबसे बड़ा प्रभाव जिला प्रशासन पर पड़ा है, जहाँ पाँच जिलों के जिलाधिकारी (DM) बदल दिए गए हैं। जिला नए जिलाधिकारी (DM) पूर्व DM (नया पद) नैनीताल ललित मोहन रयाल वंदना सिंह (महानिदेशक कृषि एवं उद्यान, अपर सचिव नियोजन) चमोली गौरव कुमार पिथौरागढ़ आशीष कुमार भटगाई विनोद गिरि गोस्वामी (अपर सचिव शहरी विकास) बागेश्वर आकांक्षा कोंडे अल्मोड़ा अंशुल आलोक कुमार पांडे (सीईओ पीएमजीएसवाई) नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह को हटाकर उन्हें महानिदेशक कृषि एवं उद्यान के साथ अपर सचिव नियोजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रमुख IAS अधिकारियों के दायित्वों में फेरबदल कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के विभागों में भी अहम बदलाव किए गए हैं, जो सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं: दिलीप जावलकर: उनसे ग्राम विकास और ग्रामीण निर्माण विभाग की जिम्मेदारी हटा दी गई है। धीराज गर्ब्याल: इन्हें अब ग्राम विकास और ग्रामीण निर्माण विभाग का सचिव बनाया गया है। रणवीर सिंह चौहान: इन्हें आयुक्त खाद्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आलोक कुमार पांडे: अल्मोड़ा जिलाधिकारी पद से हटाकर उन्हें मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) पीएमजीएसवाई और अपर सचिव सूचना प्रौद्योगिकी तथा आईटीडीए के निदेशक का कार्यभार सौंपा गया है। आईएएस सोनिका: उन्हें उपाध्यक्ष हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी दी गई है। PCS और सचिवालय सेवा में बदलाव राज्य सिविल सेवा (PCS) और सचिवालय सेवा के अधिकारियों की भूमिकाओं में भी फेरबदल किया गया है, ताकि प्रशासनिक मशीनरी को सक्रिय किया जा सके: अधिकारी का नाम नया दायित्व सेवा पराग मधुकर (IFS) विशेष सचिव, पंचायती राज IFS गिरधारी सिंह रावत अपर सचिव, कार्मिक एवं सतर्कता PCS चंद्र सिंह धर्मशक्तु निदेशक, मत्स्य PCS ललित नारायण मिश्र मुख्य विकास अधिकारी (CDO), हरिद्वार PCS जय भारत सिंह सीडीओ, उत्तरकाशी PCS युक्ता मिश्र एडीएम, अल्मोड़ा PCS मायावती ढकरियाल अपर सचिव, भाषा एवं निदेशक भाषा संस्थान सचिवालय सेवा संतोष बडोनी निदेशक, सचिवालय प्रशिक्षण संस्थान सचिवालय सेवा फेरबदल का निहितार्थ और उम्मीदें धामी सरकार का यह व्यापक तबादला उन अधिकारियों पर नकेल कसने का स्पष्ट संकेत है जो फील्ड में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे या लंबे समय से एक ही पद पर थे। यह फेरबदल आगामी त्योहारों और वित्तीय वर्ष के बचे हुए महीनों में विकास परियोजनाओं की निगरानी को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है। सरकार का यह कदम प्रशासनिक ऊर्जा और नई कार्यशैली के आने की उम्मीद जगाता है, जिससे उत्तराखंड में जन-कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आ सके।
देहरादून/केदारनाथ: बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा अपने चरमोत्कर्ष पर है और अब अंतिम चरण में प्रवेश कर चुकी है। इस साल रिकॉर्ड संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं के कारण यात्रा के अंतिम दिनों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। जो श्रद्धालु हेलीकॉप्टर से बाबा के दर्शन का मन बना रहे हैं, उनके लिए यह सबसे महत्वपूर्ण खबर है। केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा की सभी बुकिंग 12 अक्टूबर तक शत-प्रतिशत फुल हो चुकी हैं। अब यात्रा के बिल्कुल अंतिम दौर के लिए IRCTC ने फाइनल स्लॉट की बुकिंग तिथि की घोषणा कर दी है, जो इस सीजन का आखिरी मौका होगा।READ ALSO:-डिटेक्टिव एजेंसी ने खोली इंजीनियर पत्नी की करतूत! ऋषिकेश के होटल में प्रेमी संग मिली, पति की हत्या की साजिश का भी पर्दाफाश बुकिंग का आखिरी मौका: तारीख और समय नोट करें केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले हेलीकॉप्टर से यात्रा का यह अंतिम अवसर होगा। IRCTC द्वारा जारी सूचना के अनुसार: बुकिंग खुलने की तारीख: 8 अक्टूबर 2025, बुधवार बुकिंग खुलने का समय: दोपहर ठीक 12:00 बजे यात्रा की अवधि: इस स्लॉट में 13 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2025 तक की यात्रा के लिए टिकट बुक किए जा सकेंगे। आधिकारिक वेबसाइट: बुकिंग केवल IRCTC की हेली-यात्रा वेबसाइट heliyatra.irctc.co.in पर ही होगी। यह इस सीजन का अंतिम स्लॉट है, इसके बाद हेली सेवा के लिए कोई नई बुकिंग नहीं खोली जाएगी। कैसे करें हेलीकॉप्टर की बुकिंग? (Step-by-Step Guide) अंतिम स्लॉट में भारी ट्रैफिक के कारण वेबसाइट धीमी हो सकती है, इसलिए पहले से तैयारी करना आवश्यक है: रजिस्ट्रेशन पूरा करें: बुकिंग शुरू होने से पहले ही heliyatra.irctc.co.in पर अपनी लॉगिन आईडी बना लें। यात्रियों की जानकारी तैयार रखें: सभी यात्रियों के आधार कार्ड, पहचान पत्र और वजन की सही जानकारी अपने पास तैयार रखें। तेज इंटरनेट कनेक्शन: सुनिश्चित करें कि आपके पास एक स्थिर और तेज इंटरनेट कनेक्शन हो। समय पर लॉगिन करें: 8 अक्टूबर को 12 बजे से कुछ मिनट पहले ही वेबसाइट पर लॉगिन कर लें। तुरंत भुगतान करें: स्लॉट मिलते ही तुरंत ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया पूरी करें, क्योंकि कार्ट में टिकट होल्ड करने का समय बहुत कम होता है। यात्रा का समापन और अन्य महत्वपूर्ण तिथियां केदारनाथ कपाट बंद: बाबा केदार के कपाट 23 अक्टूबर 2025 को भैया दूज के दिन शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद: सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट 10 अक्टूबर 2025 को बंद होंगे। इसके लिए बुकिंग 9 अक्टूबर को बंद हो जाएगी। इस साल चार धाम यात्रा में आस्था का सैलाब उमड़ा है और अब तक 50 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यदि आप भी इस दिव्य यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो 8 अक्टूबर को बुकिंग के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
सात महीने पहले विवाह बंधन में बंधे गुरुग्राम के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर जोड़े का रिश्ता उस वक्त तार-तार हो गया, जब पति ने एक निजी जासूसी एजेंसी (डिटेक्टिव एजेंसी) की मदद से अपनी इंजीनियर पत्नी को ऋषिकेश के तपोवन स्थित एक होटल में उसके प्रेमी के साथ आपत्तिजनक हालत में रंगे हाथ पकड़ा। यही नहीं, जांच के दौरान यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि पत्नी अपने पति को रास्ते से हटाने के लिए प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की साजिश रच रही थी, जिसके लिए उसने ऑनलाइन हथौड़ा तक मंगा लिया था।READ ALSO:-भोजपुरी एक्टर पवन सिंह के फ्लैट पर पत्नी ज्योति सिंह का 'हाई-वोल्टेज ड्रामा', लाइव आकर कहा- 'पवन जी ने FIR की है, पुलिस थाने लेने आई है!' गुरुग्राम में रहने वाले सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल शुभम चौधरी (बदला हुआ नाम) की गाजियाबाद निवासी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवती से इसी साल फरवरी में शादी हुई थी। दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और गुरुग्राम की कंपनी में जॉब करते हैं। शादी के बाद से ही पत्नी फिजिकल रिलेशन बनाने में बहाने बनाने लगी थी। इस व्यवहार से शुभम को गहरा शक हुआ। संदेह होने पर शुभम ने पत्नी का मोबाइल और अमेज़न अकाउंट चेक किया। मोबाइल पर एक लड़के के साथ सोशल मीडिया चैट मिली। जबकि बीवी ने अमेज़न से ऑनलाइन कंडोम मंगवाए थे और एक हथौड़े की शॉपिंग का पता चला। चैटिंग में यह भी जानकारी मिली कि पत्नी का प्रेमी कई दिन से शुभम का पीछा कर रहा है। अपनी आशंकाओं की पुष्टि के लिए शुभम ने तुरंत तियांजू इन्वेस्टिगेटिव सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक जासूसी एजेंसी से संपर्क किया और पत्नी और उसके प्रेमी के संबंधों का पता लगाने को कहा। ऋषिकेश तक पीछा और मौके पर हंगामा पत्नी को शक हो गया था कि शुभम को उसके बारे में पता चल गया है। इसके बाद उसने प्रेमी के साथ बाहर चलकर आगे की योजना बनाने का फैसला किया। 30 सितंबर को पत्नी अपने प्रेमी के साथ कार से ऋषिकेश पहुंची और तपोवन स्थित एक होटल में ठहरी। जासूसों ने दी शुभम को सूचना जासूस एजेंसी उनके पीछे-पीछे ऋषिकेश पहुंच गई और शुभम चौधरी को पत्नी के होटल में होने की सटीक जानकारी दी। शुभम ने रात करीब साढ़े 10 बजे डायल-112 पर कॉल कर पुलिस को बुलाया। सुबह करीब चार बजे, टिहरी के मुनि की रेती थाने की दरोगा लक्ष्मी पंत पुलिस टीम के साथ होटल पहुंची और कमरा नंबर-202 से पत्नी और उसके प्रेमी को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया। इस दौरान होटल में जमकर हंगामा हुआ। जासूसी एजेंसी के निदेशक के अनुसार, उनकी जांच में प्रेमी द्वारा शुभम का पीछा करने की बात सामने आई थी, जिसे पुलिस पूछताछ के दौरान प्रेमी ने कबूल किया। होटल स्टाफ के मुताबिक, पत्नी और प्रेमी को आपत्तिजनक हालत में पकड़ने के बाद भी शुभम आक्रामक नहीं हुए, बल्कि शांति से कहा, "अब ये रिश्ता खत्म, तुम्हें जो करना है करो।" पत्नी ने भी कहा कि "ठीक है, मैं अपनी मर्जी से जा रही हूँ।" इसके बाद वह अपने प्रेमी के साथ चली गई। जबरन शादी और अफेयर का राज पुलिस की पूछताछ में यह भी पता चला कि शुभम की शादी से पहले ही पत्नी का इस लड़के के साथ लंबे समय से अफेयर चल रहा था और पत्नी के माता-पिता को भी इसकी जानकारी थी। पत्नी के घरवाले सजातीय न होने के कारण (शुभम और पत्नी जाट हैं, जबकि प्रेमी ब्राह्मण है) दोनों की शादी प्रेमी से नहीं करा पाए और जबरन उसे शुभम के साथ शादी करने के लिए मना लिया। प्रेमी का प्रोफेशन: प्रेमी का गाजियाबाद में कबाड़ का बड़ा कारोबार है। पुलिस ने नहीं दर्ज की FIR मुनि की रेती कोतवाली प्रभारी प्रदीप चौहान ने बताया कि शुभम ने मौके पर लिखित शिकायत नहीं दी। चूंकि पत्नी और प्रेमी बालिग थे और अपनी मर्जी से होटल में ठहरे हुए थे, इसलिए उन्हें जाने दिया गया। पुलिस फिलहाल इस पूरे प्रकरण को घरेलू विवाद और व्यक्तिगत स्तर पर सुलझा मामला मान रही है। हालांकि, जासूसी एजेंसी के निदेशक ने हथौड़े के संबंध में हत्या की साजिश की गहन जांच की मांग की है।
उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनती है, अब अपने समापन की ओर अग्रसर है। शीतकाल के आगमन और हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी की संभावना को देखते हुए, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने दशहरे के पावन अवसर पर चारों धामों के कपाट बंद होने की अंतिम तिथियों की घोषणा कर दी है।Read also:-क्रांति की रफ्तार: मेरठ-दिल्ली का 60 मिनट का सफर अक्टूबर से हकीकत, 'नमो भारत' और 'मेरठ मेट्रो' बदल देगी NCR की तस्वीर इस वर्ष कब शुरू हुई थी यात्रा? साल 2025 की चारधाम यात्रा का भव्य शुभारंभ 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर हुआ था। इसी दिन मां गंगा के धाम गंगोत्री और मां यमुना के धाम यमुनोत्री के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे। इसके बाद, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक, बाबा केदारनाथ के द्वार 2 मई को खोले गए और अंत में, भू-वैकुंठ कहलाने वाले भगवान बद्रीनारायण के कपाट 4 मई को दर्शन के लिए खोल दिए गए थे। श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ संख्या यह साल चारधाम यात्रा के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है। यात्रा के प्रति भक्तों में अभूतपूर्व उत्साह देखा गया, जिसके परिणामस्वरूप अब तक 45 लाख से अधिक तीर्थयात्री उत्तराखंड के इन पवित्र धामों में शीश नवा चुके हैं। यह आंकड़ा पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड को पार कर गया है, जो इस यात्रा की बढ़ती लोकप्रियता और महत्व को दर्शाता है। जानिए कब बंद होंगे चारों धामों के कपाट जो श्रद्धालु इस साल दर्शन करने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस धाम के कपाट किस तिथि को बंद हो रहे हैं। * श्री गंगोत्री धाम: मां गंगा को समर्पित गंगोत्री धाम के कपाट दिवाली के अगले दिन, अन्नकूट के अवसर पर 22 अक्टूबर 2025 को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। * श्री यमुनोत्री धाम: मां यमुना के धाम यमुनोत्री के कपाट भैया दूज के पावन पर्व पर 23 अक्टूबर 2025 को बंद होंगे। * श्री केदारनाथ धाम: बाबा केदारनाथ के कपाट भी भैया दूज के दिन, 23 अक्टूबर 2025 को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद बाबा की पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। * श्री बद्रीनाथ धाम: भगवान विष्णु के अवतार श्री बद्रीनारायण के विशाल मंदिर के कपाट इस यात्रा में सबसे अंत में 25 नवंबर 2025 को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद अगले छह महीनों तक ये सभी धाम बर्फ की सफेद चादर से ढके रहेंगे। इस दौरान इन धामों में देवी-देवताओं की शीतकालीन पूजा उनके RESPECTIVE गद्दीस्थलों जैसे ऊखीमठ, मुखबा और खरसाली में संपन्न होगी, जहाँ श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
गोपेश्वर/देहरादून (चमोली): उत्तराखंड की शांत वादियों में बुधवार की रात कुदरत ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाया। चमोली जिले के नंदानगर (घाट) ब्लॉक में देर रात पहाड़ी पर बादल फटने से आई भीषण बाढ़ और मलबे ने भारी तबाही मचाई है। रात के अंधेरे में जब लोग गहरी नींद में थे, तब सैलाब और मलबे का एक विशाल दरिया फाली, धुर्मा, कुंतरी और भैंसवाड़ा गांवों पर कहर बनकर टूट पड़ा। सबसे ज्यादा तबाही फाली गांव में इस आपदा का केंद्र नंदानगर का फाली कुंतरी गांव रहा, जहां बादल फटने के बाद आए भारी मलबे ने छह घरों को पूरी तरह जमींदोज कर दिया। इन घरों में सो रहे लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। अब तक मिली आधिकारिक सूचना के अनुसार, इस गांव से एक ही परिवार के चार सदस्यों समेत कुल आठ लोग लापता हैं, जिनके मलबे में दबे होने की आशंका है। वहीं, पास के धुर्मा गांव में भी दो लोगों के लापता होने की खबर है, जबकि पांच भवनों को नुकसान पहुंचा है। कुल मिलाकर, इस आपदा में 10 जिंदगियां लापता हैं। चीख-पुकार के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन जारी घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। अंधेरे और खराब मौसम की चुनौतियों के बावजूद, SDRF की टीमें तत्काल मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। गुरुवार सुबह NDRF की टुकड़ी ने भी मोर्चा संभाल लिया है। रेस्क्यू टीमों ने अब तक दो लोगों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला है। चमोली की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने जानकारी दी कि मौके पर मेडिकल टीमों के साथ तीन 108 एम्बुलेंस भी भेजी गई हैं। जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने ANI को बताया, "नंदानगर घाट इलाके में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। हमारी पहली प्राथमिकता लापता लोगों को खोजना और प्रभावितों तक तत्काल राहत पहुंचाना है।" देहरादून तक दिखा असर इस अतिवृष्टि का असर सिर्फ चमोली तक सीमित नहीं है। राजधानी देहरादून के रायवाला क्षेत्र में भी बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, जहां 200 से अधिक परिवार पानी में घिर गए हैं। SDRF की टीमें वहां भी बचाव कार्य में जुटी हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। मलबे में दबी जिंदगियां: लापता लोगों की सूची:- ग्राम कुंतरी लगा फाली: कुंवर सिंह (उम्र 42), पुत्र बलवंत सिंह कांता देवी (उम्र 38), पत्नी कुंवर सिंह विकास (उम्र 10), पुत्र कुंवर सिंह विशाल (उम्र 09), पुत्र कुंवर सिंह नरेन्द्र सिंह (उम्र 40), पुत्र कुताल सिंह जगदम्बा प्रसाद (उम्र 70), पुत्र ख्याली राम भागा देवी (उम्र 65), पत्नी जगदम्बा प्रसाद देवेश्वरी देवी (उम्र 65), पत्नी दिलबर सिंह ग्राम धुरमा: 9. गुमान सिंह (उम्र 75), पुत्र चन्द्र सिंह 10. ममता देवी (उम्र 38), पत्नी विक्रम सिंह
उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में मंगलवार का दिन प्रलय बनकर टूटा। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। इन दोनों राज्यों में अब तक कुल 19 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं और उनकी तलाश जारी है।READ ALSO:-मसूरी में 'जल प्रलय': सड़कें बहीं, होटल-घर तबाह, सैकड़ों पर्यटक फंसे; देहरादून से संपर्क पूरी तरह कटा उत्तराखंड: देहरादून बना आपदा का केंद्र, 15 की मौत उत्तराखंड में बारिश का सबसे विनाशकारी रूप राजधानी देहरादून और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिला, जहाँ बादल फटने से अलग-अलग घटनाओं में कुल 13 लोगों की जान चली गई और 16 लोग लापता हैं। देहरादून में कहाँ-कहाँ हुआ कहर: विकास नगर (8 मौतें, 4 लापता): यहाँ दोपहर के समय टोंस नदी में पानी का बहाव अचानक विकराल हो गया। मजदूरों को ले जा रही एक ट्रैक्टर-ट्रॉली तेज बहाव की चपेट में आकर नदी में बह गई। इस दर्दनाक हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 4 अभी भी लापता हैं। मालदेवता (4 मौतें, 1 लापता): मालदेवता क्षेत्र में सोंग नदी के उफान में 5 लोग बह गए। बचाव दलों ने 4 लोगों के शव बरामद कर लिए हैं, जबकि एक व्यक्ति की तलाश जारी है। टपकेश्वर महादेव मंदिर (2 लापता): तमसा नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर में बाढ़ का पानी घुस गया, जिससे वहां बनी कई दुकानें बह गईं। इस घटना में 2 लोग लापता बताए जा रहे हैं। कालसी (1 मौत): कालसी क्षेत्र में भी एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है। देहरादून के अलावा नैनीताल और पिथौरागढ़ जिलों से भी एक-एक मौत की खबर है, जिससे प्रदेश में बारिश से मरने वालों का आंकड़ा 15 तक पहुंच गया है। आपदा के कारण मालदेवता रोड बह गया है, जिससे 500 से अधिक लोग, जिनमें किसान और छात्र शामिल हैं, अलग-अलग जगहों पर फंस गए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने लिया जायजा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के केसरवाला और मालदेवता जैसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने अधिकारियों को प्रभावितों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और भूस्खलन वाले खतरनाक रास्तों पर पर्यटकों की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए हैं। हिमाचल प्रदेश: मंडी में भूस्खलन और बाढ़ का तांडव, 4 की मौत हिमाचल प्रदेश भी भारी बारिश से बेहाल है। मंडी जिले में अलग-अलग हादसों में 4 लोगों की मौत हो गई। मंडी में मकान ढहा (3 मौतें): मंगलवार को मंडी में भूस्खलन के कारण एक मकान ढह गया। मलबे में एक ही परिवार के 5 लोग दब गए। बचाव दलों ने 2 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन 3 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। दरंग में 2 लोग बहे (1 मौत): मंडी के दरंग में सुबह मंदिर जा रहे दो लोग सुमा खड्ड (नदी) के तेज बहाव में बह गए। इनमें से एक का शव मिल गया है, जबकि दूसरे की तलाश जारी है। धर्मपुर बस स्टैंड में भरा मलबा: भारी बारिश के बाद धर्मपुर बस स्टैंड पूरी तरह मलबे से भर गया और बाढ़ के पानी में कई बसें बह गईं। महाराष्ट्र में भी बारिश का असर सोमवार को महाराष्ट्र में भी भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। मुंबई में रेलवे ट्रैक और सड़कों पर पानी भर गया था, जबकि बीड जिले में बाढ़ में फंसे 11 ग्रामीणों को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना को एयरलिफ्ट ऑपरेशन चलाना पड़ा।
पहाड़ों की रानी मसूरी पर कुदरत का कहर। बीती रात हुई मूसलाधार बारिश ने शहर में भारी तबाही मचाई है। मसूरी-देहरादून मुख्य मार्ग दर्जनों जगहों पर भूस्खलन के कारण बंद हो गया है, जिससे शहर का संपर्क पूरी तरह कट गया है। सैकड़ों पर्यटक और स्थानीय निवासी रास्तों में फंसे हुए हैं, और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति ठप हो गई है।Read also:-देहरादून में फटा बादल, टपकेश्वर महादेव मंदिर में घुसा सैलाब, सड़कें बहीं; PM मोदी ने CM धामी से की बात मसूरी, उत्तराखंड। पहाड़ों की रानी मसूरी इस वक्त प्रकृति के रौद्र रूप का सामना कर रही है। बीती रात हुई प्रलयंकारी बारिश ने शहर को एक टापू में तब्दील कर दिया है। शहर की जीवनरेखा, मसूरी-देहरादून मार्ग, कई स्थानों पर भारी भूस्खलन, सड़क धंसने और मलबा आने के कारण पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। इस आपदा ने न केवल सड़कों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि कई लोगों के आशियाने, होटल और रेस्टोरेंट भी छीन लिए हैं, जिससे कई परिवार बेघर हो गए हैं। मुख्य मार्ग हुए ध्वस्त, शहर हुआ कैद मसूरी-देहरादून मार्ग की हालत सबसे चिंताजनक है। आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर सड़क का नामोनिशान मिट गया है: गलोगी के पास: यहां सड़क का एक बहुत बड़ा हिस्सा टूटकर खाई में समा गया है और गहरी दरारें पड़ गई हैं। शिव मंदिर, कोल्हूखेत, चुनाखाला-झड़ीपानी और पानी वाला बैंड: इन जगहों पर कई टन मलबा और भारी बोल्डर गिरे हैं, जिससे रास्ता पूरी तरह बंद है। अन्य संपर्क मार्ग: भट्टा गांव-बारलोगंज मार्ग और झड़ीपानी-चुनाखाला मार्ग भी धंस गए हैं, जिससे भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह रुक गई है। इस वजह से दूध, सब्जी और राशन जैसी जरूरी चीजों से लदे वाहन फंसे हुए हैं, जिससे शहर में किल्लत का खतरा मंडराने लगा है। धनोल्टी और जौनपुर से सब्जियां लेकर आ रहे किसानों की फसलें भी गाड़ियों में ही खराब होने की कगार पर हैं। रात सोए, सुबह दिखा तबाही का खौफनाक मंजर रात के अंधेरे में बरपे इस कहर ने कई जिंदगियों को सड़क पर ला दिया है। सुबह जब लोगों की आंखें खुलीं तो मंजर खौफनाक था: नाग मंदिर के पास: सुनील कठैत का पांच कमरों का पक्का मकान जमीन धंसने और दरारें पड़ने से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। परिवार ने पास के एक मंदिर में शरण ली है। पानी वाला बैंड: यहां सड़क का नक्शा ही बदल गया है। रूपेंद्र सिंह रावत का छह कमरों का रेस्टोरेंट मलबे में दबकर पूरी तरह तबाह हो गया। उनके दो फ्लोर टूट गए और एक कार व स्कूटर भी मलबे में दफन हो गए। आवासीय भवनों पर कहर: पास में ही बबली देवी के घर पर एक भारी पेड़ गिरने से छत टूट गई। जयपाल सिंह थापली के होटल में भी मलबा घुसने से भारी नुकसान हुआ है। प्रशासन की युद्धस्तर पर कार्रवाई और महत्वपूर्ण अपीलें स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन हरकत में आ गया है। एसडीएम राहुल आनंद और नगर पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्यों का जायजा लिया। क्या कदम उठाए जा रहे हैं? सड़क खोलने के लिए सात जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं। गलोगी में पहाड़ काटकर एक नया अस्थायी रास्ता बनाने का काम शुरू होगा। शिव मंदिर के पास टूटे पुल की जगह मौसम साफ होते ही बैली ब्रिज बनाया जाएगा। एसडीएम राहुल आनंद: "सभी विभागों के अधिकारी मौके पर हैं और युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। मौसम ठीक रहा तो बुधवार तक एक अस्थायी बैली ब्रिज बना दिया जाएगा।" कोतवाल संतोष कुंवर: "मसूरी-देहरादून, मसूरी-धनोल्टी और मसूरी-यमुनाघाटी की सड़कें बंद हैं। पर्यटकों और स्थानीय लोगों से अपील है कि वे अनावश्यक यात्रा न करें और सुरक्षित स्थानों पर रुकें।" होटल एसोसिएशन ने पेश की मानवता की मिसाल इस संकट की घड़ी में मसूरी होटल एसोसिएशन ने आगे आकर फंसे हुए पर्यटकों से अपील की है कि वे जहां हैं, वहीं सुरक्षित रहें। एसोसिएशन अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने सभी होटल संचालकों से आग्रह किया है कि वे फंसे हुए पर्यटकों को बिना किसी शुल्क के रहने की जगह दें।
देहरादून/शिमला, मंगलवार। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश ने एक बार फिर कहर बरपाया है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मंगलवार तड़के 5 बजे सहस्त्रधारा के पास बादल फटने से भीषण तबाही हुई है। तमसा और कारलीगाड़ समेत कई नदियां उफान पर हैं, जिससे प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर में सैलाब घुस गया और कई सड़कें बह गईं। 2 लोग लापता बताए जा रहे हैं।READ ALSO:-22 साल बाद यूपी में चलेगा 'महा-अभियान': मतदाता सूची से हटेगा हर 'त्रुटि' का दाग वहीं, हिमाचल के मंडी में लैंडस्लाइड से एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर हालात का जायजा लिया है। उत्तराखंड: देहरादून में तड़के 5 बजे आई आफत मंगलवार सुबह करीब 5 बजे सहस्त्रधारा के पास बादल फटने से तमसा नदी में अचानक बाढ़ आ गई। नदी के किनारे बना प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया। टपकेश्वर मंदिर में तबाही: मंदिर के पुजारी ने बताया, "सुबह 5 बजे नदी में बाढ़ आई, पूरा मंदिर डूब गया। कई मूर्तियां और दुकानें बह गईं। हालांकि, भगवान का शुक्र है कि गर्भगृह सुरक्षित है।" पानी उतरने के बाद मंदिर में 2 फीट तक मलबा भरा हुआ है। बचाव और राहत कार्य: सहस्त्रधारा, तपोवन, आईटी पार्क और घड़ीकैंट जैसे इलाकों में पानी भर गया है। SDRF और NDRF की टीमें मौके पर हैं। सहस्त्रधारा में 5 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है, जबकि 2 लोग अभी भी लापता हैं जिनकी तलाश जारी है। सीएम और पीएम की नजर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह ने फोन पर बात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। हिमाचल प्रदेश: मंडी में बारिश और लैंडस्लाइड का कहर हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। 3 की मौत: मंडी जिले के निहरी में एक घर पर चट्टान गिरने से हुए लैंडस्लाइड में एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत हो गई। सड़कें बंद: मंडी के ही धरमपुर बस स्टैंड में मलबा भर गया और कई बसें बाढ़ में बह गईं। प्रदेश में 3 नेशनल हाईवे समेत 493 सड़कें यातायात के लिए बंद हैं। महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक... बारिश का अलर्ट सोमवार को महाराष्ट्र के मुंबई में भी भारी बारिश से रेलवे ट्रैक और सड़कें जलमग्न हो गईं, जबकि बीड में वायुसेना ने 11 ग्रामीणों को एयरलिफ्ट किया। इस बीच, मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार के लिए बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र समेत 9 राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
बॉलीवुड और भारतीय टेलीविजन जगत के महान और बहुमुखी कलाकार सतीश शाह (Satish Shah) का आज (शनिवार, 25 अक्टूबर 2025) दुखद निधन हो गया है। अपनी लाजवाब कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को हंसाने वाले सतीश शाह ने 74 वर्ष की उम्र में मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे, और किडनी फेलियर को उनकी मौत का कारण बताया जा रहा है। उनके निधन की पुष्टि प्रोड्यूसर और IFTDA के अध्यक्ष अशोक पंडित ने की है। चरित्र अभिनेता और कॉमेडियन का सफर सतीश शाह का अभिनय करियर पाँच दशकों से अधिक लंबा रहा, जिसमें उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों और कई सफल टीवी सीरियल्स में काम किया। उनका जन्म 1951 में हुआ था और उन्होंने पुणे के FTII (Film and Television Institute of India) से प्रशिक्षण लिया था। टीवी जगत का आइकॉन: उन्हें सबसे ज्यादा पहचान हिट कॉमेडी सीरियल 'साराभाई वर्सेज साराभाई' में इंद्रावदन साराभाई (Indravadan Sarabhai) के किरदार से मिली। इस शो में उनके डायलॉग और एक्सप्रेशन आज भी कल्ट क्लासिक माने जाते हैं। 'ये जो है जिंदगी' (1984) में 55 अलग-अलग किरदार निभाकर उन्होंने घर-घर में अपनी पहचान बनाई थी। फिल्मी करियर की शुरुआत: उन्होंने 1983 की डार्क कॉमेडी फिल्म 'जाने भी दो यारों' में एक 'लाश' (Dead Body) का आइकॉनिक किरदार निभाया था, जिसने उन्हें रातोंरात पहचान दिलाई थी। प्रमुख फिल्में: उनकी कुछ यादगार बॉलीवुड फिल्मों में 'हम आपके हैं कौन', 'मुझसे शादी करोगी', 'कल हो ना हो' और शाहरुख खान अभिनीत 'मैं हूँ ना' शामिल हैं, जहाँ उन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग से जान डाल दी। Read Also : थामा, और 'स्त्री 2' के म्यूजिक कंपोजर सचिन सांघवी गिरफ्तार, शादी और गाना देने का झांसा देकर 20 साल की युवती से यौन उत्पीड़न का आरोप किडनी फेलियर और निधन की पुष्टि मिली जानकारी के मुताबिक, अभिनेता सतीश शाह पिछले कुछ समय से किडनी संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्होंने आज दोपहर करीब 2:30 बजे अंतिम सांस ली। आधिकारिक रूप से किडनी फेलियर को उनकी मृत्यु का कारण बताया गया है। शाह के निधन की खबर सामने आने के बाद बॉलीवुड इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। इंडस्ट्री में शोक की लहर मशहूर निर्माता अशोक पंडित ने सतीश शाह के निधन की पुष्टि करते हुए कहा, "जी हाँ, सतीश शाह नहीं रहे। वो मेरे अच्छे मित्र थे। किडनी फेलियर के चलते उनका निधन हो गया है। इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ी क्षति है।" Public Reaction or Social Media: श्रद्धांजलि सतीश शाह के निधन की खबर से उनके फैंस स्तब्ध हैं। सोशल मीडिया पर उनके फैंस और फिल्मी सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है और उनके सबसे यादगार किरदारों को याद कर रहे हैं। 'साराभाई वर्सेज साराभाई' की कास्ट और क्रू ने भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। सिनेमा में हास्य की क्षति सतीश शाह का निधन हिंदी सिनेमा में चरित्र अभिनय और हास्य की एक पीढ़ी का अंत है। उनकी अभिनय शैली और हास्य टाइमिंग हमेशा दर्शकों के दिलों में ज़िंदा रहेगी।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर मेरठ के लिए परिवहन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर के साथ ही मेरठ को अपनी पहली 'मेरठ मेट्रो' मिलने जा रही है। यह न केवल शहर के अंदर कनेक्टिविटी को सुधारेगी, बल्कि दिल्ली और गाजियाबाद जैसे शहरों से भी मेरठ के सफर को आसान और तेज बना देगी। आइए, मेरठ मेट्रो से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी पर एक विस्तृत नजर डालते हैं: Meerut Metro की कब होगी शुरुआत? (Kab Shuru Hogi) मेरठ मेट्रो का संचालन, दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस (जिसे 'नमो भारत' ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है) के साथ ही शुरू होना प्रस्तावित है। हालिया अपडेट: खबरों के अनुसार, 30 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नमो भारत ट्रेन के आखिरी चरण (मेरठ साउथ से मोदीपुरम) और मेरठ मेट्रो का उद्घाटन किया जा सकता है। लक्ष्य: पूरी परियोजना (RRTS के साथ) को जून 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। प्राथमिकता खंड (साहिबाबाद से दुहाई) का परिचालन अक्टूबर 2023 में पहले ही शुरू हो चुका है। खासियत: यह देश का पहला ऐसा ट्रैक होगा जिस पर एक ही ट्रैक पर हाई-स्पीड नमो भारत ट्रेन और तीन कोच वाली मेरठ मेट्रो ट्रेन, दोनों एक साथ चलेंगी। रूट मैप (Route Map) और स्टेशन मेरठ मेट्रो कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर का ही हिस्सा है। यह मुख्यतः मेरठ के शहरी क्षेत्र में सेवा प्रदान करेगी। कॉरिडोर का नाम: मेरठ दक्षिण से मोदीपुरम (Meerut South to Modipuram) कुल लंबाई: लगभग 23 किमी स्टेशनों की संख्या: इस कॉरिडोर में कुल 13 स्टेशन हैं। केवल मेट्रो स्टेशन: इनमें से 10 स्टेशन केवल मेरठ मेट्रो के लिए होंगे। RRTS और मेट्रो दोनों के लिए स्टेशन (Integrated Stations): मेरठ साउथ, बेगमपुल, और मोदीपुरम स्टेशन RRTS और मेरठ मेट्रो, दोनों की सेवाओं के लिए इंटीग्रेटेड (एकीकृत) होंगे। प्रमुख स्टेशन (संभावित): मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौर्ली, मेरठ नॉर्थ, और मोदीपुरम। किराया (Kiraya) मेरठ मेट्रो का किराया दूरी के आधार पर तय किया जाएगा। यह किराया नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (NCRTC) द्वारा जारी किया जाएगा। नमो भारत (RRTS) का किराया (दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के लिए): मानक (Standard) कोच: ₹20 से शुरू होकर अधिकतम ₹150 तक हो सकता है (पूरे कॉरिडोर के लिए)। प्रीमियम (Premium) कोच: ₹30 से शुरू होकर अधिकतम ₹225 तक हो सकता है (पूरे कॉरिडोर के लिए)। मेरठ मेट्रो का अनुमानित किराया: चूंकि मेरठ मेट्रो की यात्रा दूरी RRTS की तुलना में कम होगी (शहर के भीतर), इसका किराया ₹20 से ₹50 के बीच होने की संभावना है, जो यात्रियों द्वारा तय की गई दूरी पर निर्भर करेगा। मेरठ मेट्रो की आगे की योजना (Aage Ka Plan) मेरठ मेट्रो का पहला चरण (मेरठ दक्षिण से मोदीपुरम) पूरा होने के बाद, आगे की योजनाओं में शहर के विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ाना शामिल है: दूसरा कॉरिडोर प्रस्तावित: मेरठ मेट्रो के लिए दूसरा कॉरिडोर भी प्रस्तावित है, जिसका रूट श्रद्धापुरी एक्सटेंशन से जाग्रति विहार तक हो सकता है। इस पर अभी विस्तृत काम शुरू होना बाकी है। टाउनशिप और TOD: मेरठ में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) मॉडल पर आधारित नई टाउनशिप का विकास किया जा रहा है। ये टाउनशिप RRTS/मेट्रो स्टेशनों के आस-पास होंगी, जिससे लोग अपने कार्यस्थल (Walk to Work) और जरूरी सुविधाओं तक आसानी से पहुँच सकेंगे। इससे 2029 तक 20,000 से अधिक रोजगार उत्पन्न होने का अनुमान है। फीडर सेवाएं: स्टेशनों से अंतिम-मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों के लिए फीडर सेवाओं को मजबूत करने की योजना है। मेरठ मेट्रो न केवल शहर के ट्रैफिक को कम करेगी बल्कि दिल्ली-एनसीआर से मेरठ की कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी, जिससे यहां के निवासियों के लिए समय और पैसे दोनों की बचत होगी। यह परियोजना मेरठ को देश के सबसे आधुनिक परिवहन नेटवर्क वाले शहरों की श्रेणी में खड़ा कर देगी।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर, जिसे अब 'नमो भारत' (NaMo Bharat) ट्रेन के नाम से जाना जाता है, अब अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही पूरी तरह से यात्रियों के लिए खोल दिया जाएगा।Read also:-Delhi–Meerut RRTS Opening Date 2025: नमो भारत रैपिड रेल से दिल्ली से मेरठ सफर सिर्फ 55 मिनट में वो दिन अब दूर नहीं, जब मेरठ का निवासी दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में शॉपिंग करने और गाजियाबाद का व्यापारी मेरठ में अपने बिजनेस को विस्तार देने का सपना सिर्फ 60 मिनट में पूरा कर सकेगा। देश के सबसे महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS), अब हकीकत बनने की दहलीज पर है। 82 किलोमीटर का यह हाई-स्पीड कॉरिडोर लगभग तैयार है और रिपोर्ट्स के मुताबिक, अक्टूबर 2025 की शुरुआत में प्रधानमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किया जा सकता है। संभावित उद्घाटन की तारीखें: मीडिया रिपोर्ट्स और निर्माण कार्य की प्रगति के अनुसार, पूरे कॉरिडोर (सराय काले खां से मोदीपुरम तक) का उद्घाटन अक्टूबर 2025 में होने की प्रबल संभावना है। ऐसी खबरें हैं कि अक्टूबर 2025 की शुरुआत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परियोजना का शुभारंभ कर सकते हैं। पूरा कॉरिडोर: यह 82 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां को मेरठ के मोदीपुरम डिपो से जोड़ेगा, जिससे दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय एक घंटे से भी कम हो जाएगा। वर्तमान में परिचालन: 20 अक्टूबर 2023 से प्राथमिकता कॉरिडोर (साहिबाबाद से दुहाई डिपो) और हाल ही में न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक का खंड पहले से ही चालू है, जिसने लाखों यात्रियों को बड़ी राहत दी है। मेरठ मेट्रो: एक ही पटरी पर रैपिड और मेट्रो का तालमेल मेरठ शहर के भीतर यात्रियों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए मेरठ मेट्रो भी 'नमो भारत' ट्रेन के साथ ही उसी ट्रैक पर चलेगी। शुरुआत: मेरठ मेट्रो का उद्घाटन भी अक्टूबर 2025 में रैपिड रेल के साथ ही होने की उम्मीद है। रूट: यह मेट्रो सेवा मेरठ साउथ से मोदीपुरम डिपो के बीच 23 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर चलेगी, जिसमें 13 स्टेशन होंगे। विशेषता: यह भारत की पहली ऐसी परियोजना है जहाँ क्षेत्रीय रैपिड रेल और स्थानीय मेट्रो ट्रेनें एक ही ट्रैक को साझा करेंगी, लेकिन इनके परिचालन के समय अलग-अलग होंगे। स्टेशन लिस्ट: कहाँ-कहाँ रुकेगी आपकी 'नमो भारत'? दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर पर कुल 16 स्टेशन होंगे। दिल्ली (3) गाजियाबाद (6) मेरठ (7) सराय काले खां साहिबाबाद मेरठ साउथ (कॉमन) न्यू अशोक नगर गाजियाबाद शताब्दी नगर (कॉमन) आनंद विहार गुलधर बेगमपुल (कॉमन) दुहाई मोदीपुरम (कॉमन) दुहाई डिपो परतापुर (सिर्फ मेट्रो) मुरादनगर रिठानी (सिर्फ मेट्रो) मोदीनगर दक्षिण ब्रहमपुरी (सिर्फ मेट्रो) मोदीनगर उत्तर मेरठ सेंट्रल (सिर्फ मेट्रो) भैंसाली (सिर्फ मेट्रो) एमईएस कॉलोनी (सिर्फ मेट्रो) डोरली (सिर्फ मेट्रो) मेरठ नॉर्थ (सिर्फ मेट्रो) मोदीपुरम डिपो (सिर्फ मेट्रो) (कॉमन स्टेशन वे हैं जहाँ 'नमो भारत' रैपिड रेल और मेरठ मेट्रो दोनों रुकेंगी।) किराया विवरण: कितना होगा आपकी यात्रा का खर्च? 'नमो भारत' ट्रेन में दो तरह के कोच हैं: स्टैंडर्ड कोच और प्रीमियम कोच। यात्रियों को अपनी सुविधा अनुसार टिकट खरीदने का विकल्प मिलेगा। किराया सीमा: किराया ₹20 से शुरू होता है और अधिकतम ₹225 तक जा सकता है। एक प्रमुख रूट का किराया (उदाहरण): न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक: स्टैंडर्ड कोच में ₹150 और प्रीमियम कोच में ₹225। आनंद विहार से मेरठ साउथ तक का सफर लगभग 35 मिनट में पूरा होगा, जिसका किराया इसी सीमा में होगा। भुगतान विकल्प: यात्री QR कोड-आधारित पेपर टिकट और NCMC (नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड) का उपयोग करके यात्रा कर सकेंगे। निर्माण प्रगति और तकनीकी विशेषताएँ आरआरटीएस परियोजना का लगभग 75% से अधिक सिविल कार्य पूरा हो चुका है। स्पीड और रोलिंग स्टॉक: 'नमो भारत' ट्रेन की डिज़ाइन गति 180 किमी/घंटा है, जबकि परिचालन गति 160 किमी/घंटा होगी। ट्रेनों में महिलाओं के लिए एक आरक्षित कोच, प्रीमियम कोच, और सभी के लिए आधुनिक सुविधाएं (Wi-Fi, लैपटॉप/मोबाइल चार्जिंग पोर्ट) उपलब्ध हैं। हरित ऊर्जा पहल: NCRTC ने अपने स्टेशनों और डिपो पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए हैं, जो परियोजना को स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। फाइनल अप्रूवल: दिल्ली से मेरठ तक पूरे कॉरिडोर के वाणिज्यिक परिचालन के लिए अंतिम चरण की सुरक्षा मंजूरी मिलना बाकी है, जिसके बाद इसे तुरंत खोल दिया जाएगा। यह कॉरिडोर एनसीआर के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो न केवल यात्रा को आसान बनाएगा बल्कि रोजगार, व्यापार और रियल एस्टेट को भी नई ऊंचाइयां देगा।
मेरठ, 19 सितंबर 2025 मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए 30 सितंबर का दिन एक नए युग की शुरुआत करने जा रहा है। इस ऐतिहासिक तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की पहली रैपिड रेल 'नमो भारत' के संपूर्ण कॉरिडोर और मेरठ मेट्रो को हरी झंडी दिखाएंगे। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री इस उद्घाटन को यादगार बनाते हुए दिल्ली से 'नमो भारत' ट्रेन में सवार होकर मेरठ के मोदीपुरम तक का सफर तय करेंगे। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे।READ ALSO:-सितंबर में 'प्रलयंकारी' मानसून: हिमाचल-उत्तराखंड में बादल फटने और लैंडस्लाइड से तबाही जारी, 424 की मौत दिल्ली से मेरठ तक ट्रेन में PM, फिर विशाल जनसभा योजना के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से रैपिड ट्रेन के जरिए मेरठ पहुंचेंगे। यह यात्रा अपने आप में एक संदेश होगी कि दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी अब मिनटों में सिमट गई है। मोदीपुरम स्टेशन पर उतरने के बाद प्रधानमंत्री का काफिला शताब्दीनगर के लिए रवाना होगा, जहाँ वे एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इस रैली में मेरठ समेत आसपास के सभी जिलों से लाखों लोगों के जुटने की उम्मीद है, जिसके लिए तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। शहर में हाई अलर्ट, घर-घर किरायेदारों की जांच प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर पूरा प्रशासनिक और पुलिस अमला हाई अलर्ट पर है। गुरुवार को एडीजी भानु भास्कर ने एक उच्च-स्तरीय बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और कड़े इंतजामों के निर्देश दिए। सुरक्षा एजेंसियां कोई भी ढिलाई नहीं बरतना चाहतीं। पुलिस और एलआईयू (स्थानीय अभिसूचना इकाई) की टीमों ने गुरुवार देर रात शताब्दी नगर, रिझानी और रिठानी जैसे इलाकों में घर-घर जाकर सघन चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान किरायेदारों और बाहर से आकर रह रहे लोगों के नाम, पते और मोबाइल नंबर दर्ज किए गए। देर रात बिजली गुल होने के बावजूद यह अभियान टॉर्च की रोशनी में जारी रहा, जो सुरक्षा की गंभीरता को दर्शाता है। यह सुरक्षा इसलिए भी कड़ी की गई है क्योंकि प्रधानमंत्री के दौरे से ठीक पहले राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी 20 से 22 सितंबर तक मेरठ में रहेंगी और दो विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में हिस्सा लेंगी। मेरठ की नई लाइफलाइन: जानिए मेट्रो और नमो भारत का नेटवर्क यह प्रोजेक्ट मेरठ की कनेक्टिविटी को पूरी तरह से बदल देगा। नमो भारत (रैपिड रेल): दिल्ली से मेरठ तक का पूरा 82 किलोमीटर का ट्रैक अब पूरी तरह से चालू हो जाएगा। मेरठ मेट्रो: कुल लंबाई: 23 किलोमीटर (18 किमी एलिवेटेड, 5 किमी भूमिगत) कुल स्टेशन: 13 (मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, डौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो)। भूमिगत स्टेशन: मेरठ सेंट्रल, भैसाली और बेगमपul। एक ही टिकट पर दोनों में सफर: यात्रियों की सुविधा के लिए चार स्टेशनों- मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम को कॉमन स्टेशन बनाया गया है, जहाँ यात्री नमो भारत और मेट्रो के बीच आसानी से स्विच कर सकेंगे।
इस वर्ष दीपावली की सही तिथि को लेकर पंचांगों में भिन्नता के कारण आम लोगों में बना कन्फ्यूजन अब दूर हो गया है। कुछ पंचांगों में 20 अक्टूबर तो कुछ में 21 अक्टूबर को दिवाली बताई जा रही थी। इस भ्रम की स्थिति को समाप्त करते हुए देश की सर्वोच्च धार्मिक संस्थाओं में से एक, श्री काशी विद्वत परिषद, ने स्पष्ट कर दिया है कि संपूर्ण देश में दीपावली का महापर्व सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को ही मनाया जाएगा।READ ALSO:-यूपी में कुदरत का डबल अटैक: पूर्वांचल में 'जल प्रलय' ने तोड़ा 136 साल का रिकॉर्ड, अब पश्चिमी यूपी के 23 जिलों में भारी बारिश-ओलों का अलर्ट! क्यों 20 अक्टूबर है सही तिथि? काशी विद्वत परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ के मंत्री और बीएचयू के प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय के अनुसार, सनातन धर्म में पर्वों का निर्धारण तिथियों की गणितीय गणना और शास्त्रों के आधार पर होता है। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को प्रदोष काल में मनाई जाती है। प्रदोष काल का अर्थ है सूर्यास्त के बाद का समय। इस वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर होगी और यह 21 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। 20 अक्टूबर को, जब सूर्यास्त होगा, तब अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी और पूरे प्रदोष काल को कवर करेगी। लक्ष्मी पूजन और दीपदान के लिए यह शास्त्र सम्मत और शुभ मुहूर्त है। 21 अक्टूबर को, अमावस्या तिथि शाम 4 बजकर 26 मिनट पर ही समाप्त हो जाएगी, जबकि सूर्यास्त लगभग 5 बजकर 40 मिनट पर होगा। इसका अर्थ है कि सूर्यास्त और प्रदोष काल के समय अमावस्या तिथि नहीं रहेगी, बल्कि प्रतिपदा तिथि लग चुकी होगी। ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने भी स्पष्ट किया कि ब्रह्म पुराण के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात्रि में ही देवी लक्ष्मी और कुबेर भ्रमण करते हैं। यह रात्रि व्यापिनी और प्रदोष व्यापिनी अमावस्या 20 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है। अतः इसी दिन लक्ष्मी-कुबेर पूजन और दीपोत्सव मनाना श्रेष्ठ है। 21 अक्टूबर को होगी स्नान-दान की अमावस्या विद्वानों ने यह भी स्पष्ट किया कि 21 अक्टूबर को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि होने के कारण इस दिन स्नान, दान और पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना उत्तम रहेगा। इसलिए, 21 अक्टूबर की तिथि धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन दीपावली का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इस स्पष्टीकरण के बाद अब लोगों को अपने त्योहार की तैयारियों को लेकर किसी भी तरह के भ्रम में रहने की आवश्यकता नहीं है।
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