मेरठ MEERUT जिले में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। हालात ये हैं कि अब कोरोना वायरस जिले के गांवों और शहर की बड़ी कॉलोनियों में गदर मचाने लगा है। रोजाना जिले के अलग अलग इलाकों में कोरोना संक्रमित मिल रहे। अब तक पूरे जिले में 117 मरीज मिल चुके हैं। जिनमें से 7 की मौत हो चुकी है। यानी स्वास्थ विभाग कोरोना की रोकथाम में फेल नजर आ रहा है।
सबसे बड़ी खतरे की बात यह है कि कई मामले ऐसे सामने आ रहे हैं जिन्हें मौत के बाद कोरोना की पुष्टि हुई है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सर्वे व स्क्रीनिंग पर सवाल उठने लगे है। पिछले एक माह से कई मामले ऐसे आए हैं जब लोग गंभीर हालातों में अस्पताल पहुंचे और उनकी मौत हो गई। जब मेडिकल कॉलेज ने उन लोगों के कोरोना सेम्पल लिए तो जांच में पॉजिटिव पाए गए। सवाल यह उठ रहा है कि चिकित्सा विभाग का इस महामारी के बीच कैसा सर्वे व स्क्रीनिंग का काम हो रहा है।
MEERUT में इन चार मौतों ने खोली स्वास्थ्य विभाग की पोल
- गढ़ रोड स्थित राजनगर के रहने वाले एक व्यक्ति संतोष अस्पताल में अकाउंटेंट थे। वे काफी दिन से बीमार थे और उनकी मौत हो गई, इसके बाद उनकी रिपोर्ट में पॉजिटिव आई। यह मेरठ में तीसरी मौत थी। अकाउंटेंट का बेटा और बेटी भी पॉजिटिव आए थे।
- केसरगंज निवासी किराना व्यापारी कई दिन तक स्वास्थ्य विभाग को सूचना देते रहे, लेकिन उनका सैंपल नहीं लिया गया। एम्बुलेंस से मेडिकल लाया गया, लेकिन बिना जांच घर भेज दिया गया। जिला अस्पताल से भी उन्हें वापस भेज दिया गया। कुछ दिन बाद तबियत अधिक खराब होने पर वह खुद अपनी पत्नी के साथ मेडिकल पहुंचे, तब उन्हें भर्ती किया गया। वे तीन दिन भर्ती रहे लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। चौथे दिन उनकी मौत हो गई। पांचे दिन मौत के बाद आई रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि हुई। यह मेरठ में पांचवी मौत थी
- दिल्ली रोड स्थित श्रीराम पैलेस निवासी फल व्यापारी की 20 अप्रैल को मेरठ में रिपोर्ट नेगेटिव बता दी गई थी। तबीयत में सुधार न होने के चलते उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया। 25 अप्रैल को वहां उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। एक मई को उनकी मौत हो गई।
- दो मई को इस्लामाबाद निवासी व्यक्ति को तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। तीन मई को दोपहर में उनकी मौत हो गई। मौत के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

सिर्फ खानापूर्त, कई कॉलोनियों में तो पहुंची ही नहीं टीम
मेरठ में कोरोना संंदिग्धों की तलाश के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 18 लाख की आबादी पर घर-घर जाकर सर्वे भी किया था, जिनमें 800 से ज्यादा लोगों को खांसी नजले बुखार की शिकायत मिली थी। नियम के मुताबिक इन लोगों पर स्वास्थ्य विभाग को नजर रखनी होती है और कुछ दिन बाद इनकी दोबारा जांच की जाती है, संदिग्ध पाए जाने पर इनका सैंपल टेस्ट के लिए भेजा जात है, लेकिन मेरठ में ऐसा कुछ नहीं हो रहा। यहां सिर्फ खानापूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सर्वे किया, कई इलाकों के लोगों का तो कहना है कि हमारे यहां कोई टीम नहीं आई। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और सही तरीके से स्क्रीनिंग नही होने के कारण लगातार ऐसे केस सामने आ रहे हैं जिनमें मरीज की मौत के बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। ऐसे में मरीज की मौत के बाद उसके संपर्क की तलाश करना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
रिपोर्ट आने तक मरीज घर पर ही!
मेरठ स्वास्थ्य विभाग कोराेना वायरस के पीछे-पीछे दौड़ता हुआ नजर आ रहा है। किसी भी इलाके में पॉजिटिव केस आने के बाद वहां स्क्रीनिंग की जाती है। जबकि विभाग को संदिग्ध मरीज मिलते ही उसे अस्पताल या क्वारंटाइन में आइसोलेट करना चाहिए, लेकिन सेम्पल लेने के बाद विभाग पॉजिटिव रिपोर्ट आने का इंतजार करता है। रिपोर्ट आने तक मरीज को घर पर ही छोड़ा जा रहा है। जैसे ही मरीज की पॉजिटिव रिपोर्ट आती, फिर स्वास्थ्य विभाग की टीम मरीज को लेने पहुंचती है, ऐसे में तब तक मरीज कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है।
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