मेरठ में बन रहीं हैं नकली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, कहीं आपने भी तो नहीं लगवाई, 3 आरोपी गिरफ्तार
मेरठ नकली सामान का हब बनता जा रहा है। नकली किताबें, नकली दवाइयां और नकली कपड़ों के बाद अब जिला मेरठ में नकली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट भी उपलब्ध है। जी हां आपने सही पढ़ा, मेरठ पुलिस ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने वाली एक फैक्ट्री पकड़ी है। पुलिस ने यहां से 2 आरोपियों को गिरफ्तार करते हए इसके कब्जे के करीब 500 तैयार नंबर प्लेट, 50 आधी बनी हुईं नंबर प्लेट और 300 से ज्यादा खाली प्लेट, हाईड्रोलिक मशीन, डाई, पेस्टिंग मशीन, होलोग्राम जब्त किए हैं। ये आरोपी पूरे शहर में ये नकली नम्बर प्लेट सप्लाई करते थे। इसके अलावा सदर क्षेत्र में नकली नम्बर प्लेट बेचते हुए एक युवक गिरफ्तार हुए है।
यूपी : अब घर पर भी मंगवा सकते हैं हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, करना होगा यह काम
सिविल लाइन थाना इंस्पेक्टर अब्दुर रहमान सिद्दीकी के मुताबिक फैक्ट्री मेरठ के मोहनपुरी में चल रही थीं शुक्रवार देर रात पुलिस ने यहां छापा मारा तो गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। इस मामले में सम्राट पैलेस निवासी फैक्ट्री मालिक तनुज अग्रवाल और मोहनपुरी के रहने वाले श्रीराम को पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं। इसके अलावा सदर बाजार थाना पुलिस ने थापरनगर गुरुद्वारे के पास नकली हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट बेचते हुए संदीप को गिरफ्तार किया। संदीप के पास से 12 नंबर प्लेट बरामद हुई हैं। उसके साथी वसीम की तलाश जारी है।
सिर्फ बार कोड का होता था अंतर
पुलिस के मुताबिक इस नम्बर प्लेट और असली नंबर प्लेट में सिर्फ बार कोड का अंतर था। देखने में यह बिल्कुल असली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट जैसी लगती थी। नकली होलोग्राम भी लगा था, लेकिन बार कोड नहीं था। हालांकि ज्यादातर ग्राहकों को बार कोड की जानकारी नहीं होती। पकड़े गए आरोपी तनुज ने बताया कि वह दिल्ली से खाली प्लेट खरीदता था। खाली प्लेट पर डाई लगाई जाती थी, हाईड्रोलिक मशीन से प्लेट दबाई जाती थी। इस तरह डाई के नंबर उस प्लेट पर छप जाते थे। हर नंबर के ऊपर इंडिया लिखा होता है। इंडिया छपे रैपर भी दिल्ली से आते थे। इन्हें पेस्टिंग मशीन के जरिए नंबरों के ऊपर चिपकाया जाता था।
पूरे शहर में सप्लाई कीं हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने पूरे शहर में फर्जी हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट सप्लाई की हैं। वह एसेसरीज और नंबर प्लेट बनाने वाले दुकानदारों को महज 300 रुपये में यह प्लेट मुहैया कराता था। दुकानदार उसे 500-600 रुपये में बेच देते थे। लोगों को ऑनलाइन बुकिंग नहीं करानी पड़ती थी, झंझट से बचने के लिए वे दुकानदारों से नंबर प्लेट ले लेते थे।
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