लव जिहाद (Love Jihad) के मामलों के बीच शादियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने शादियों से पहले नोटिस प्रकाशित होने और उस पर आपत्तियां मंगाने को गलत माना है।

अदालत ने इसे स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है. अदालत ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को भी गलत बताया है.
पसंद का जीवन साथी व्यक्ति का मौलिक अधिकार
अदालत ने कहा किसी के दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यही नहीं, अदालत ने अहम फैसला देते हुये कहा कि अगर शादी कर रहे लोग नहीं चाहते तो उनका ब्यौरा सार्वजनिक न किया जाए।
ऐसे लोगों के लिए सूचना प्रकाशित कर उस पर लोगों की आपत्तियां न ली जाएं। हालांकि विवाह अधिकारी के सामने यह विकल्प रहेगा कि वह दोनों पक्षों की पहचान -उम्र व अन्य तथ्यों को सत्यापित कर ले।
अदालत की टिप्पणी
इसके अलावा अदालत ने टिप्पणी करते हुये कहा कि, इस तरह का कदम सदियों पुराना है, जो युवा पीढ़ी पर क्रूरता और अन्याय करने जैसा है. हाईकोर्ट (Highcourt) की लखनऊ बेंच से जस्टिस विवेक चौधरी ने ये टिप्पणी की। आपको बता दें कि, साफ़िया सुलतान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोर्ट ने ये आदेश दिया है।
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