अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी (Privacy) को लेकर विवादों में आई व्हाट्सएप्प (WhatsApp) अब एक नए विवाद में फंस गई है। दरअसल, गूगल पर WhatsApp ग्रुप के मैसेज लीक हो गए थे। कंपनी की इस चूक के कारण कोई भी गूगल पर WhatsApp group सर्च करके किसी के भी प्राइवेट चैट को पढ़ सकता था और निजी ग्रुप को जॉइन भी कर सकता था। WhatsApp की इस गलती की वजह से लोगों के वॉट्सऐप ग्रुप के सभी नंबर्स भी सार्वजनिक हो गए थे। अब WhatsApp ने अपनी इस बड़ी भूल पर सफाई दी है।

WhatsApp ने कहा कि वह अपने यूज़र्स और ग्रुप इनवाइट्स की गूगल इंडेक्सिंग को रोकने के लिए काम कर रहा है। WhatsApp ने गूगल से ऐसी चैट को सार्वजनिक नहीं करने के लिए कहा है और यूज़र्स को सार्वजनिक रूप से एक्सेसिबल वेबसाइटों पर ग्रुप चैट लिंक साझा नहीं करने की सलाह दी है।
आपको बता दें कि गूगल ने प्राइवेट वॉट्सऐप ग्रुप चैट्स के लिए इनवाइट लिंक को इंडेक्स किया था। इससे कोई भी आसानी से सर्च कर विभिन्न प्राइवेट चैट ग्रुप में शामिल हो सकता था। इंडेक्स वॉट्सऐप ग्रुप चैट लिंक को अब गूगल से हटा दिया गया है। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने बताया कि मार्च 2020 से WhatsApp ने सभी डीप लिंक पेजों पर नोइंडेक्स टैग (noindex tag) को शामिल किया है, जो उन्हें इंडेक्सिंग से बाहर कर देगा। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा कि हमने गूगल को अपनी फीडबैक दी है कि इन चैट्स को इंडेक्स नहीं करें।
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ग्रुप चैट इनवाइट की इंडेक्सिंग से लीक हुए चैट्स
बता दें कि इससे पहले यह समस्या 2019 में भी सामने आई थी। उस वक्त इसे ठीक कर लिया गया था। ग्रुप चैट इनवाइट की इंडेक्सिंग की अनुमति देकर, वॉट्सऐप इंटरनेट पर कई प्राइवेट ग्रुप उपलब्ध करवा रहा था। उनके लिंक गूगल पर एक साधारण सर्च का उपयोग करके एक्सेस किए जा सकते थे, जिसे भी ये लिंक मिलते हैं, वह ग्रुप में न सिर्फ शामिल हो सकता था बल्कि मेंबर्स और अन्य लोगों द्वारा ग्रुप में शेयर किए जा रहे हैं पोस्ट के साथ उनके फोन नंबर भी देख सकता था। साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर राजशेखर राजहरिया ने इसका स्क्रीन शॉट ट्विटर पर पोस्ट किया था।
बता दें कि गूगल द्वारा इंडेक्स किए गए कुछ लिंक पोर्न शेयर करने वाले वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़े थे। वहीं, कुछ ग्रुप्स खास समुदाय या अन्य मुद्दों से जुड़े वॉट्सऐप ग्रुप के लिंक थे। WhatsApp हर बार लीक पर सफाई देता है, लेकिन यह कहना गलत नहीं है कि whatsapp की प्राइवेसी कमजोर होने लगी है, जिसके कारण लोग Telegram और Signal जैसे दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं।
