"योगी सरकार का संवेदनशील कदम: ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा सम्मानजनक जीवन, वृद्धाश्रम की विशेष सुविधा शुरू"
वृद्धाश्रम, पेंशन, स्वास्थ्य सुविधाएं और हर जिले में सुरक्षा सेल; दशकों की उपेक्षा के बाद मिला सहारा, गरिमापूर्ण जीवन का मार्ग प्रशस्त
May 1, 2025, 11:36 IST
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लखनऊ: समाज की जिस धारा को अक्सर उपेक्षा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब उस ट्रांसजेंडर समुदाय के सम्मान और कल्याण के लिए लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इसी कड़ी में एक बेहद संवेदनशील और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए, राज्य सरकार ने 60 वर्ष से अधिक आयु के ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से वृद्धाश्रम की सुविधा उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। यह पहल दशकों से बिना सहारे और असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर वरिष्ठ ट्रांसजेंडरों के लिए एक 'अपने घर' जैसा सहारा साबित होगी, जिससे उन्हें सम्मानजनक और सुरक्षित बुढ़ापा नसीब हो सकेगा।READ ALSO:-"वक्फ कानून के विरोध में बत्ती गुल: मुस्लिम समाज का 15 मिनट का शांतिपूर्ण ब्लैकआउट प्रदर्शन"
वृद्धावस्था का सहारा: सिर्फ छत नहीं, संपूर्ण देखभाल
योगी सरकार की इस योजना के तहत, 60 साल से ज्यादा उम्र के ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सिर्फ रहने के लिए जगह ही नहीं मिलेगी, बल्कि इन वृद्धाश्रमों में उनकी उम्र और विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप संपूर्ण देखभाल की व्यवस्था की जाएगी। इसमें पौष्टिक और संतुलित भोजन, नियमित स्वास्थ्य जांच और आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है। अनुभवी चिकित्सा कर्मियों द्वारा उनकी सेहत की लगातार निगरानी की जाएगी, और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा नियमित काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी ताकि वे किसी भी प्रकार के भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक मुद्दों का सामना कर सकें।
वृद्धाश्रमों में एक सकारात्मक और सक्रिय माहौल बनाए रखने पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए सामूहिक गतिविधियों का आयोजन होगा, जहां ट्रांसजेंडर वरिष्ठजन एक-दूसरे का साथ पा सकेंगे। पढ़ने-लिखने के इच्छुक लोगों के लिए पुस्तकालय की सुविधा होगी, और शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग एवं ध्यान सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।
व्यापक नीति का हिस्सा: कल्याण बोर्ड और सुरक्षा सेल
यह वृद्धाश्रम सुविधा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए लाई गई एक व्यापक कल्याणकारी नीति का हिस्सा है। साल 2021 में, योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कल्याण नीति लागू की थी, जिसने इस समुदाय के अधिकारों और उत्थान के लिए एक मजबूतTBD राजनीतिक ढाँचा प्रदान किया। इसी नीति के तहत, उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड का भी गठन किया गया, जो समुदाय से संबंधित योजनाओं के निर्माण, क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी संभालता है।
सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इसी क्रम में प्रदेश के सभी 75 जिलों में 'ट्रांसजेंडर सुरक्षा सेल' की स्थापना की गई है। ये सेल सीधे तौर पर संबंधित जिले के जिलाधिकारी की देखरेख और मार्गदर्शन में काम करते हैं, जिससे इनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावशीलता बनी रहती है। इसके अलावा, राज्य स्तर पर भी एक 'ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन सेल' का गठन किया गया है, जो जिला स्तरीय सेल के कार्यों का समन्वय करता है और ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर नीतिगत निर्णय लेने में सरकार को सलाह देता है।
सुरक्षा सेल: भयमुक्त जीवन की गारंटी
ये सुरक्षा सेल ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करते हैं। इनके माध्यम से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पुलिस संरक्षण, कानूनी सहायता और उनके साथ होने वाले किसी भी प्रकार के उत्पीड़न, भेदभाव या हिंसा के मामलों में त्वरित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। सामाजिक पुनर्वास की दिशा में भी यह सेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे ट्रांसजेंडर व्यक्ति समाज में बिना किसी डर या झिझक के घुल-मिल सकें और सम्मानजनक जीवन जी सकें। इस पहल से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में भयमुक्त वातावरण का संचार हुआ है और वे खुद को अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
इन सुविधाओं के अतिरिक्त, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं से भी जोड़ा जा रहा है। उन्हें मासिक पेंशन प्रदान की जा रही है जो उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता में सहायक है, और आयुष्मान भारत योजना के तहत उन्हें 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है, जो उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। प्रदेश में ट्रांसजेंडरों को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए उनका रजिस्ट्रेशन भी किया जा रहा है।
योगी सरकार की यह पहल ट्रांसजेंडर समुदाय को दशकों की उपेक्षा और तिरस्कार से निकालकर सम्मान, सुरक्षा और गरिमापूर्ण जीवन की ओर ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दर्शाता है कि सरकार एक ऐसे समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है जहाँ हर व्यक्ति, उसकी पहचान जो भी हो, सम्मान और समान अवसरों के साथ जी सके।
