योगी सरकार का 'मिशन सहकारिता 2025': UP के नगरीय सहकारी बैंकों के लिए 70% NPA वसूली समेत कई कड़े लक्ष्य निर्धारित
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 में बैंकों की सेहत सुधारने पर जोर, हर तिमाही के लिए तय हुए अलग-अलग टारगेट, डिजिटल बैंकिंग-वित्तीय समावेशन बढ़ाने के निर्देश।
Apr 9, 2025, 19:29 IST
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लखनऊ, 9 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के घाटे में चल रहे नगरीय सहकारी बैंकों (Urban Cooperative Banks) को फिर से पटरी पर लाने और उनकी वित्तीय सेहत सुधारने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' घोषित किए जाने के संदर्भ में, प्रदेश सरकार ने इन बैंकों के लिए इस साल (2025) के अंत तक कड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख फंसा हुआ कर्ज (NPA) वसूलना है।READ ALSO:-UP में बिजली निजीकरण का विरोध: लखनऊ में हजारों कर्मचारियों का शक्ति प्रदर्शन, पुलिस से नोकझोंक, जाम से जनता हलकान
वर्ष 2025 के लिए निर्धारित प्रमुख लक्ष्य:
सरकार ने प्रदेश के सभी नगरीय सहकारी बैंकों के लिए इस कैलेंडर वर्ष (2025) के अंत तक निम्नलिखित लक्ष्य अनिवार्य रूप से प्राप्त करने का निर्देश दिया है:
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NPA (गैर-निष्पादित आस्तियां) वसूली: बैंकों को अपने कुल एनपीए का 70 प्रतिशत हिस्सा इस साल के अंत तक वसूल करना होगा।
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शेयर कैपिटल वृद्धि: बैंकों को अपनी शेयर पूंजी में 10 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी।
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जमा वृद्धि: जमा (Deposits) में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा गया है।
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ऋण वितरण वृद्धि: ऋण वितरण में 12 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी।
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सदस्यता वृद्धि: बैंकों को अपनी सदस्यता में 20 प्रतिशत की वृद्धि सुनिश्चित करनी होगी।
लक्ष्य प्राप्ति की तिमाही रणनीति:
इन वार्षिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक स्पष्ट तिमाही-वार रणनीति तैयार की गई है:
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शेयर कैपिटल, जमा, ऋण, सदस्यता: इन मदों में वृद्धि के वार्षिक लक्ष्यों को चार बराबर तिमाहियों में बांटा गया है। इसके तहत बैंकों को हर तीन माह में शेयर कैपिटल में 2.5%, जमा में 4%, ऋण वितरण में 3% और सदस्यता में 5% की वृद्धि करनी है।
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NPA वसूली: इसके लिए एक अलग, अधिक आक्रामक योजना है। पहली तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) में 10% वसूली का लक्ष्य था। अब, अगली तीन तिमाहियों (अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर, अक्टूबर-दिसंबर 2025) में प्रत्येक तिमाही में 20-20 प्रतिशत एनपीए वसूलना अनिवार्य है।
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वर्तमान स्थिति: सहकारिता विभाग फिलहाल पहली तिमाही के प्रदर्शन के आंकड़े जुटा रहा है। (आज 9 अप्रैल है), इसका सीधा मतलब है कि बैंकों के सामने अब अगले नौ महीनों में शेष 60 प्रतिशत एनपीए वसूली की बड़ी चुनौती है।
विभाग द्वारा सुझाए गए कदम:
लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता विभाग ने बैंकों को एक विस्तृत कार्ययोजना भी सुझाई है, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
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वित्तीय समावेशन: उन असंबद्ध और वंचित समूहों तक पहुंच बढ़ाना जो अभी तक बैंकिंग सेवाओं से दूर हैं। इनके लिए विशेष बचत और ऋण योजनाएं शुरू करना।
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डिजिटल बैंकिंग: मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग जैसी डिजिटल सेवाओं का उपयोग बढ़ाना और ग्राहकों को इसके लिए प्रोत्साहित करना।
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पर्यावरणीय परियोजनाएं: सौर ऊर्जा, जल संरक्षण जैसे पर्यावरण के अनुकूल प्रोजेक्ट्स के लिए विशेष ऋण योजनाएं प्रस्तुत करना।
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सदस्य प्रशिक्षण: बैंक के सदस्यों को विभिन्न बैंकिंग सेवाओं, योजनाओं और डिजिटल साधनों के बारे में प्रशिक्षित और जागरूक करना।
योगी सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल सहकारी बैंकों को वित्तीय संकट से बाहर निकालना है, बल्कि उन्हें आधुनिक, प्रतिस्पर्धी और सामाजिक रूप से उत्तरदायी वित्तीय संस्थान बनाना भी है, जो अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की भावना के अनुरूप हो।
