चलता फिरता शहीद स्तंभ : हापुड़ के अभिषेक ने शरीर पर गुदवा लिए 631 शहीदों के और स्वतंत्रता सैनानियों नाम, 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में दर्ज हुआ नाम
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक ऐसा युवक सामने आया है जो देशभक्ति के प्रति इतना जुनूनी है कि वह किसी भी कीमत पर अपने देश के शहीद जवानों के नाम अपनी नजरों से ओझल नहीं होने देना चाहता। अपने शहीद जवानों को हर दिन याद करने के लिए उसने अपने शरीर पर 631 शहीद जवानों के नाम का टैटू बनवा लिया है।
Aug 11, 2024, 00:10 IST
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टैटू बनवाने का शौक कई लोगों को होता है, कोई अपनी गर्लफ्रेंड के नाम का टैटू बनवाता है, कोई अपने माता-पिता के नाम का टैटू बनवाता है, कोई भगवान का टैटू बनवाता है, तो कोई अपने पसंदीदा नेताओं का टैटू बनवाता है। आपने शायद ही कभी किसी को देश के लिए शहीद हुए जवानों का टैटू बनवाते देखा होगा। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देने वालों को सलाम करने के लिए कुछ अलग करने का फैसला किया।READ ALSO:-बुलंदशहर : बीजेपी विधायक के पास आया फोन, हेलो! मैं बैंक से बोल रहा हूं, फिर एक मैसेज आते ही बिना ओटीपी के उड़ी नकदी, एफआईआर दर्ज
'लिविंग वॉल मेमोरियल' के खास नाम से मशहूर
देशभक्त युवक ने शहीद जवानों के नाम के अलावा अपने पूरे शरीर पर शहीद स्तंभ भी बनवाया है। यही वजह है कि उसकी देशभक्ति के चलते उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है और वह 'लिविंग वॉल मेमोरियल' के खास नाम से जाना जाने लगा है।
देशभक्त युवक ने शहीद जवानों के नाम के अलावा अपने पूरे शरीर पर शहीद स्तंभ भी बनवाया है। यही वजह है कि उसकी देशभक्ति के चलते उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है और वह 'लिविंग वॉल मेमोरियल' के खास नाम से जाना जाने लगा है।
Uttar Pradesh: Abhishek Gautam from Hapur has uniquely honored martyrs by tattooing the names and images of 631 soldiers, great men, and revolutionaries on his body. Recently he was given the title "Living Wall Memorial" for his tribute.
— IANS (@ians_india) August 10, 2024
"...I have tattooed the names of the… pic.twitter.com/EJIuj70OSk
यूपी के हापुड़ के अभिषेक गौतम ने देश के लिए शहीद हुए कई जवानों के नाम अपने शरीर पर गुदवाए हैं। अभिषेक ने अपने शरीर पर 631 शहीद जवानों के साथ-साथ महापुरुषों और क्रांतिकारियों की तस्वीरें भी बनवाई हैं। अभिषेक ने देश की आजादी और आतंकी हमलों में शहीद हुए जवानों के नाम भी अपने शरीर पर गुदवाए हैं। अभिषेक को इसके लिए "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स" द्वारा सम्मानित किया जा चुका है और अभिषेक को "लिविंग वॉल मेमोरियल" का खिताब दिया गया है।
अभिषेक गौतम अपने माता-पिता के साथ हापुड़ जिले में रहते हैं और वहीं से उन्होंने पढ़ाई की है। अभिषेक गौतम कहते हैं कि मैं अपने समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि अगर आप कुछ भी अच्छा करना चाहते हैं और उसका पालन करना चाहते हैं तो उसके लिए कई आदर्श होने चाहिए। अभिषेक कहते हैं कि हमें अपनी सेना से बेहतर आदर्श नहीं मिल सकते।
अभिषेक कहते हैं कि मैंने अपनी मातृभूमि के लिए शहीद हुए वीर जवानों के नाम अपने शरीर पर गुदवाए हैं। मुझे शहीदों से सबसे ज्यादा लगाव लेह लद्दाख की यात्रा के दौरान हुआ, जब मैंने उनकी वीरता की कहानियां पढ़ीं, कारगिल शहीदों के बारे में। अभिषेक ने बताया कि मैं कुछ ऐसा करना चाहता था जिससे मैं उनके परिवारों के और करीब आ सकूं, इसलिए मैंने सबसे पहले अपने शरीर पर कारगिल शहीदों के नाम लिखवाए, जिसमें मैंने 559 शहीदों के नाम लिखवाए और इसके बाद मैं शहीद सैनिकों के परिवारों से मिलता रहा और उनके नाम लिखवाता रहा।
अभिषेक ने बताया कि मैं शहीदों के परिवारों से अपनी नजदीकी दिखाने के लिए उनके नाम के टैटू बनवाता रहा और अब मेरे शरीर पर कुल नामों की संख्या 631 हो गई है। मुझे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने सम्मानित किया और उन्होंने मुझे 'लिविंग वॉल मेमोरियल' का खिताब भी दिया है।
सैनिकों को बनाए अपना आदर्श
अभिषेक गौतम ने बताया कि सैनिकों के परिवारों को अपनेपन का एहसास कराने के लिए वह पहले अपने शरीर पर शहीद सैनिकों के नाम लिखवाते हैं और फिर उनसे मिलते हैं। यही वजह है कि उनके शरीर पर 631 शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं। यही वजह है कि उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भी सम्मानित किया है।
अभिषेक गौतम ने बताया कि सैनिकों के परिवारों को अपनेपन का एहसास कराने के लिए वह पहले अपने शरीर पर शहीद सैनिकों के नाम लिखवाते हैं और फिर उनसे मिलते हैं। यही वजह है कि उनके शरीर पर 631 शहीद सैनिकों के नाम अंकित हैं। यही वजह है कि उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भी सम्मानित किया है।
इसके साथ ही अब उनके साथियों ने उन्हें 'लिविंग वॉल मेमोरियल' का खिताब भी दिया है। देशभक्ति अभिषेक गौतम का कहना है कि वह समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर किसी युवा को किसी को अपना आदर्श बनाना है तो वह सेना के जवानों को बनाए। इससे बेहतर आदर्श उन्हें नहीं मिल सकता।