वृंदावन: साल में सिर्फ एक बार मिलते हैं 'चरण दर्शन', अक्षय तृतीया पर बांकेबिहारी के अलौकिक रूप ने मोहा मन
हीरे-जवाहरात से सजे आराध्य, तय समय से पहले खुले कपाट; भक्तों का जनसैलाब उमड़ा, विशेष व्यवस्थाएं
Apr 30, 2025, 13:19 IST
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वृंदावन: पावन नगरी वृंदावन में अक्षय तृतीया का दिन बांकेबिहारी के भक्तों के लिए किसी महापर्व से कम नहीं होता। इस विशेष तिथि पर ही वर्ष में केवल एक बार ठाकुर बांकेबिहारी अपने भक्तों को चरण दर्शन देते हैं। बुधवार को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर जैसे ही बांकेबिहारी जी ने अलौकिक श्रृंगार में भक्तों को दर्शन दिए, मंदिर परिसर भक्तिमय हो उठा और हर भक्त इस दुर्लभ क्षण का साक्षी बनकर भावविभोर हो गया।READ ALSO:-Chaar Dham Yatra का आगाज : खुले गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट, श्रद्धालुओं में उमड़ा उत्साह
दिव्य श्रृंगार और चरण दर्शन का महत्व
बुधवार की सुबह वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। आराध्य ठाकुर जी को इस विशेष दिन के लिए भव्य रूप से सजाया गया था। वे मोर-मुकुट धारण किए थे, कटि-काछनी पहने थे और सुनहरे रंग के वस्त्रों में थे। हीरे और जवाहरात से जड़े कटारे-टिपारे उनके श्रृंगार की शोभा बढ़ा रहे थे। जैसे ही मंदिर के पट खुले और भक्तों को आराध्य के चरणों की झलक मिली, 'जय मां गंगे' और अन्य जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर बांकेबिहारी जी के चरणों के दर्शन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जिसका कभी क्षय नहीं होता। यही कारण है कि इस दिन इन दुर्लभ दर्शनों के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त वृंदावन पहुंचते हैं। आराध्य के इस दिव्य रूप और चरणों की एक झलक पाने की लालसा भक्तों के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। दर्शन मिलते ही भक्त आनंद से भर उठे, कई तो भावुक हो गए और स्वयं को धन्य महसूस किया।
भक्तों की भीड़ और मंदिर के समय में बदलाव
अक्षय तृतीया पर चरण दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की थीं। भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर के समय में बदलाव किया गया और सुबह छह बजे ही मंदिर के पट तय समय से लगभग एक घंटा पैंतालीस मिनट पहले खोल दिए गए। इस कदम से भक्तों को काफी राहत मिली और हजारों श्रद्धालु सुबह के समय में ही दर्शन करके बाहर निकल चुके थे।
मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भर गया था। अंदर जितने भक्त दर्शन कर रहे थे, उससे कई गुना अधिक बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। दिव्य झांकी की एक झलक पाने की उत्कंठा हर चेहरे पर थी।
प्रशासन की मुस्तैदी और सुविधाएं
अक्षय तृतीया पर उमड़ने वाली भारी भीड़ को संभालने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी पूरी तरह से मुस्तैद रही। विद्यापीठ और जुगलघाट जैसे प्रवेश द्वारों से श्रद्धालुओं को कतारबद्ध तरीके से रेलिंग के सहारे मंदिर तक पहुंचाया गया, ताकि व्यवस्था बनी रहे।
गर्मी के मौसम को देखते हुए भक्तों की परेशानी को कम करने के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए थे। मंदिर तक पहुंचने वाले रास्तों पर गर्म धरती पर नंगे पैर चलने से बचाने के लिए कारपेट बिछाए गए थे। इसके साथ ही जगह-जगह पंखे और कूलर लगाए गए थे ताकि भक्तों को गर्मी में राहत मिल सके और वे आराम से दर्शन के लिए पहुंच सकें।
कुल मिलाकर, अक्षय तृतीया पर बांकेबिहारी के चरण दर्शन ने भक्तों को असीम आनंद और पुण्य प्रदान किया, और वृंदावन नगरी पूरी तरह भक्ति के रंग में रंग गई।
