उत्तर प्रदेश बिजली विभाग में छंटनी की तैयारी; खतरे में 4 हजार कर्मचारियों नौकरी, पावर कॉरपोरेशन ने जारी किया आदेश
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के 55 वर्ष से अधिक आयु के आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाने के फैसले से उत्पन्न स्थिति का विश्लेषण इस प्रकार है:
Updated: Feb 26, 2025, 18:06 IST
|

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने प्रदेश भर के बिजली निगमों में तैनात 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाने का फैसला किया है। इसके बाद प्रदेश के सभी विद्युत वितरण निगमों से ऐसे संविदा कर्मचारियों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे संबंधित आदेश जारी होने शुरू हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके ऐसे कर्मचारियों की संख्या 4000 से अधिक है।READ ALSO:-संगीत सोम का विपक्ष पर हमला, कहा-बाबर और औरंगजेब की औलादें कभी नहीं चाहती कि शिव यात्रा निकले, महाकुंभ पर अखिलेश-ममता के बयानों पर पलटवार
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारोत के एक आदेश से अब प्रदेश के सैकड़ों संविदा कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। हालांकि इनकी आयु 55 वर्ष से अधिक होगी। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों के अपने तर्क भी हैं। ऊर्जा विभाग से जुड़े संगठनों ने विभाग के तर्क का विरोध शुरू कर दिया है।
विद्युत उपकेंद्रों पर तैनात 55 वर्ष से अधिक आयु के संविदा कर्मचारियों को जल्द से जल्द हटाने के निर्देश मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक की ओर से मुख्य अभियंता वितरण को दिए गए हैं। इसके बाद मुख्य अभियंताओं की ओर से भी अधिशासी अभियंताओं को इससे संबंधित निर्देश जारी होने शुरू हो गए हैं।
मध्यांचल एमडी की ओर से जारी आदेश के अनुसार उपकेंद्रों के संचालन तथा एचटी लाइनों व एलटी लाइनों के रखरखाव के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियोजित कुशल व अकुशल संविदा कर्मियों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा अधिकतम 55 वर्ष निर्धारित की गई है।
निर्देश है कि अधिशासी अभियंताओं के वितरण क्षेत्र के अंतर्गत आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियोजित संविदा कर्मियों को 55 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद कार्य न दिया जाए। क्योंकि, विद्युत उपकेंद्रों का संचालन व विद्युत लाइनों का रखरखाव जोखिम से जुड़ा संवेदनशील कार्य है।
यदि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड अधिकतम आयु मानक का पालन नहीं करता है और 55 वर्ष से अधिक आयु के किसी संविदा कर्मी के साथ घातक या मामूली चोट की दुर्घटना होती है तो उस स्थिति में संबंधित व्यक्ति को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि संबंधित अधिशासी अभियंता (वितरण), उपखंड अधिकारी व अवर अभियंता से वसूल की जाए।
ऐसे में आदेश के बावजूद यदि 55 वर्ष से अधिक आयु के संविदा कर्मी किसी उपकेंद्र पर काम करते रहते हैं और कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसके लिए अधिशासी अभियंता, उपखंड अधिकारी और अवर अभियंता पूरी तरह जिम्मेदार होंगे और उनसे क्षतिपूर्ति कराई जाएगी। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की ओर से दिशा-निर्देश जारी होने के बाद मध्यांचल ही नहीं बल्कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने भी 55 वर्ष से अधिक आयु के संविदा कर्मियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। कई विद्युत निगमों में इन्हें हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
एमडी मध्यांचल भवानी सिंह खंगारोत ने बताया कि 55 वर्ष से अधिक आयु के संविदा कर्मियों से उच्च जोखिम वाला कार्य नहीं लिया जा सकता। इससे बड़ी घटना हो सकती है। यह ऊर्जा विभाग के नियमों में है। इसी नियम का हवाला देते हुए ऐसे कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी किया गया है। यदि आदेश के बावजूद ऐसे कर्मचारी किसी उपकेंद्र पर तैनात रहते हैं और कोई दुर्घटना होती है तो इसकी क्षतिपूर्ति एक्सईएन, एसडीओ और जेई से कराई जाएगी।
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव देवेंद्र कुमार पांडेय का कहना है कि संविदा कर्मचारियों को हटाने का आदेश पूरी तरह से तानाशाही है। संविदा कर्मचारियों को बहुत कम वेतन मिलता है और इस उम्र में वे क्या करेंगे? हम इसका खुलकर विरोध करेंगे। ऊर्जा विभाग को हर हाल में अपना आदेश वापस लेना होगा।
फैसले के कारण:
- सुरक्षा चिंताएं: विद्युत उपकेंद्रों का संचालन और विद्युत लाइनों का रखरखाव जोखिम भरा काम है, और उम्र बढ़ने के साथ दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
- नियमों का पालन: ऊर्जा विभाग के नियमों के अनुसार, आउटसोर्स कर्मचारियों की अधिकतम आयु 55 वर्ष निर्धारित है।
- वित्तीय दायित्व: दुर्घटना होने पर क्षतिपूर्ति राशि संबंधित अधिकारियों से वसूलने का प्रावधान है।
प्रभावित कर्मचारी:
- पूरे प्रदेश में 4000 से अधिक संविदा कर्मचारी प्रभावित होंगे।
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के सैकड़ों कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे।
- पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कर्मचारी भी प्रभावित होंगे।
कर्मचारी संघ का विरोध:
- उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन संविदा कर्मचारी संघ ने इस आदेश को तानाशाही बताया है।
- उनका तर्क है कि संविदा कर्मचारियों को कम वेतन मिलता है और इस उम्र में उनके लिए रोजगार ढूंढना मुश्किल होगा।
- संघ ने ऊर्जा विभाग से आदेश वापस लेने की मांग की है।
अधिकारियों के तर्क:
- अधिकारियों का कहना है कि यह आदेश ऊर्जा विभाग के नियमों के अनुसार है।
- उनका उद्देश्य कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और दुर्घटनाओं को रोकना है।
- वह कहते हैं कि उच्च जोखिम वाले काम 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों से नहीं कराए जा सकते।
संभावित परिणाम:
- कर्मचारी संघ और ऊर्जा विभाग के बीच टकराव बढ़ सकता है।
- प्रभावित कर्मचारियों के लिए रोजगार का संकट उत्पन्न हो सकता है।
- विद्युत वितरण निगमों में कर्मचारियों की कमी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के इस फैसले से एक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है। कर्मचारियों की सुरक्षा और नियमों का पालन जरूरी है, लेकिन प्रभावित कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान रखना होगा। सरकार को कर्मचारी संघ और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करके कोई समाधान निकालना चाहिए।