उत्तर प्रदेश: स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थान खोलना होगा आसान, नए नियमों से घटी भूखंड और सड़क की चौड़ाई की अनिवार्यता

 योगी सरकार ला रही 'नए भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025', 9 मीटर चौड़ी सड़क पर भी खुल सकेगी नर्सरी; शिक्षा क्षेत्र में विस्तार की उम्मीद
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब शिक्षण संस्थान खोलना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा। राज्य सरकार 'नए भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025' लाने की तैयारी कर रही है, जिसके प्रभावी होने के बाद स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों के लिए आवश्यक भूखंड के आकार और सड़क की न्यूनतम चौड़ाई संबंधी मानकों में बड़ी छूट मिलेगी। इस बदलाव का उद्देश्य प्रदेश में शिक्षण संस्थानों की संख्या में तेजी लाना और शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।READ ALSO:-उत्तर प्रदेश के 46,000 से ज्यादा शिक्षकों को मिल सकती है पुरानी पेंशन की सौगात, 22 अप्रैल को अहम बैठक

क्या बदलेंगे नियम?
प्रस्तावित नई उपविधि के लागू होते ही, शिक्षण संस्थानों के भवन निर्माण संबंधी 17 साल पुराने मानकों में व्यापक बदलाव आ जाएगा, जिससे उन्हें अधिक व्यावहारिक बनाया जा सकेगा। नए नियमों के तहत:

 

  • नर्सरी स्कूल: अब 9 मीटर चौड़ी सड़क के किनारे स्थित न्यूनतम 500 वर्गमीटर के भूखंड पर भी नर्सरी स्कूल खोला जा सकेगा। वर्तमान में इसके लिए न्यूनतम 12 मीटर चौड़ी सड़क का होना अनिवार्य है।
  • प्राइमरी स्कूल: प्राइमरी स्कूल के लिए न्यूनतम 1000 वर्गमीटर भूखंड की आवश्यकता होगी (न्यूनतम सड़क की चौड़ाई संभवतः 12 मीटर बनी रहेगी)।
  • इंटर कॉलेज: इंटर कॉलेज खोलने के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़क किनारे न्यूनतम 2000 वर्गमीटर भूखंड की जरूरत होगी।
  • डिग्री कॉलेज और तकनीकी संस्थान: इनके लिए 5000 वर्गमीटर भूखंड आवश्यक होगा, जो 18 मीटर चौड़ी सड़क पर बनाया जा सकेगा।
  • विश्वविद्यालय: विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 24 मीटर चौड़ी सड़क किनारे न्यूनतम 20000 वर्गमीटर भूखंड की अनिवार्यता होगी।

 

ये प्रस्तावित भूखंड आकार यूपी बोर्ड सहित अन्य संबंधित शिक्षण मानकों को ध्यान में रखकर निर्धारित किए गए हैं।

 

निर्माण मानकों और अन्य सुविधाओं में राहत
नई उपविधि में केवल भूखंड और सड़क की चौड़ाई में ही नहीं, बल्कि भवन निर्माण के अन्य मानकों में भी राहत दी गई है:

 

  • ग्राउंड कवरेज और सेटबैक: अग्नि सुरक्षा मानदंडों को सुनिश्चित करते हुए ग्राउंड कवरेज और सेटबैक के मानकों में छूट मिलेगी, जिससे अब भूमि के कुल क्षेत्रफल के 40 फीसदी तक अधिक हिस्से पर निर्माण कार्य संभव हो सकेगा।
  • फ्लोर एरिया रेशियो (FAR): सड़क की चौड़ाई को ध्यान में रखते हुए फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) को 2 से बढ़ाकर 7 तक किया जा सकता है, जिससे कम जगह में भी ज्यादा ऊंचाई के भवन बनाए जा सकेंगे।
  • क्रेच की सुविधा: आवासीय भूखंडों पर भी ग्राउंड कवरेज के 25 फीसदी हिस्से पर क्रेच (शिशु गृह) खोलने की अनुमति दी जाएगी।
  • खेल का मैदान: शिक्षण संस्थानों में खेल के मैदान की अनिवार्यता को बनाए रखा गया है।
  • पिक एंड ड्रॉप और पार्किंग: स्कूलों के बाहर ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए, नई उपविधि में स्कूल परिसर के भीतर ही बसों की पार्किंग और छात्रों के लिए पिक एंड ड्रॉप की समुचित व्यवस्था करना अनिवार्य किया जाएगा। उचित पार्किंग व्यवस्था के लिए 10 फीसदी कवरेज के साथ एक अलग पार्किंग ब्लॉक बनाने की भी अनुमति दी जाएगी।

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क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?
मौजूदा समय में शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में चौड़ी सड़कों पर बड़े भूखंड ढूंढना बेहद मुश्किल और महंगा काम है। 17 साल पुराने सख्त नियमों के कारण कई इच्छुक संस्थान भूमि की उपलब्धता और मानकों को पूरा न कर पाने के कारण स्थापित नहीं हो पा रहे थे। प्रस्तावित उपविधि इन चुनौतियों को कम कर शिक्षण संस्थानों की स्थापना को सुगम बनाएगी।

 

माना जा रहा है कि 'नए भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025' के लागू होने से प्रदेश में शैक्षणिक ढांचे का तेजी से विकास होगा और शिक्षा तक अधिक से अधिक लोगों की पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी।
SONU

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