UP : सेहत बताएगी गाड़ी चला सकते हैं या नहीं; ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल के लिए डॉक्टर देगा सर्टिफिकेट, जानिए प्रक्रिया

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समाजवादी पार्टी के विधायक फहीम इरफान ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान परिवहन मंत्री से सवाल किया था। उन्होंने पूछा था- क्या राज्य के परिवहन कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में अभ्यर्थी द्वारा प्रस्तुत स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता की जांच करने की कोई व्यवस्था है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जरूरी मेडिकल प्रमाण पत्र कहां से बनता है और मेडिकल कराने की क्या व्यवस्था है? साथ ही मेडिकल किस डॉक्टर से कराया जाता है। इसके बाद परिवहन विभाग ने प्रदेश भर में मेडिकल के लिए नामित डॉक्टरों की नियुक्ति की तैयारी शुरू कर दी है। READ ALSO:-मेरठ : उत्तर प्रदेश की महिलाओं के लिए गुड न्यूज़! सरकार 57 हजार से ज्यादा ऊर्जा सखियों की करेगी तैनाती; 31 मार्च से शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया

 

नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी परिवहन विभाग अब ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी कर रहा है। बिना मेडिकल जांच के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हो सकेगा। अभी तक लोग कहीं से मेडिकल कराकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेते थे। पैनल में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर परिवहन विभाग मेडिकल के लिए लखनऊ के एक दर्जन से अधिक सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को पैनल में शामिल कर रहा है। इनमें से चार अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति भी कर दी गई है। इनसे मेडिकल कराना होगा और यह मेडिकल ही मान्य होगा। 

 

डॉक्टर अपलोड करेंगे प्रमाण पत्र
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) द्वारा तय डॉक्टरों का पैनल स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करेगा। इसके बाद ही नवीनीकरण लाइसेंस स्वीकृत होगा। मेडिकल करने के बाद डॉक्टर खुद ही परिवहन विभाग के पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करेंगे। यह नई व्यवस्था लागू की जा रही है।

 

आयु संबंधी समस्याओं की होगी जांच
डीएल नवीनीकरण के दौरान उम्र के हिसाब से डॉक्टर द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। इसके पीछे मकसद यह है कि नवीनीकरण के समय आवेदक को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो। उसके स्वास्थ्य की जांच की जाती है। आंखों की जांच, कान की जांच, हाथ-पैर पूरी तरह स्वस्थ हैं, इसकी जांच की जाती है।

 

दिल की धड़कन भी मापी जाती है। इसके बाद ही स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक यह प्रमाण पत्र मैनुअली जमा किया जाता था, अब चूंकि आरटीओ की सेवाएं ऑनलाइन की जा रही हैं, इसीलिए व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है।

 

12 डॉक्टरों के पैनल पर विचार 
लखनऊ आरटीओ अधिकारियों के मुताबिक इस नई व्यवस्था के तहत लखनऊ में 12 से ज्यादा डॉक्टरों का पैनल होगा। जब सीएमओ द्वारा इन डॉक्टरों का निर्धारण कर दिया जाएगा, तो ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। साथ ही आवेदकों की जानकारी के लिए किस अस्पताल में कहां डॉक्टर बैठते हैं, इसका ब्योरा भी जारी किया जाएगा, ताकि आवेदकों को किसी तरह की परेशानी न हो। 

 

लखनऊ में चार डॉक्टर तैनात 
लखनऊ आरटीओ कार्यालय की ओर से मेडिकल प्रमाण पत्र के लिए चार डॉक्टरों की तैनाती की गई है। इनमें से सीएचसी काकोरी में डॉ. अंशुल किशोर गौतम, सीएचसी सरोजनीनगर में डॉ. धर्मेंद्र कुमार मौर्य, संयुक्त अस्पताल ठाकुरगंज में डॉ. रंजना बाला और डॉ. परमात्मानंद अहिरवार को पैनल में शामिल किया गया है। 

 

कब जरूरी है मेडिकल प्रमाण पत्र
आपको बता दें कि 50 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। कमर्शियल लाइसेंस बनवाने और लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। विशेष परिस्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए डीएल बनवाने के लिए भी मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। ऐसे में आवेदक मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार यह भी सामने आया है कि कई आवेदक सहायक संभागीय कार्यालय में फर्जी प्रमाण पत्र जमा कर देते थे, लेकिन अब इस पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है। 

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हर महीने 60 हजार से ज्यादा लाइसेंस जारी होते हैं 
50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। अगर पूरे प्रदेश में हर महीने इस आयु वर्ग को जारी होने वाले ड्राइविंग लाइसेंस की संख्या की बात करें तो यह 60 हजार के करीब है। हर दिन 3 हजार रिन्यू ड्राइविंग लाइसेंस जारी होते हैं। लखनऊ में रिन्यू ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 201 लोगों का स्लॉट है। लखनऊ के एआरटीओ (Administration) प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में डॉक्टरों का पैनल बनाया जा रहा है। अभी तक सीएमओ की ओर से चार डॉक्टरों की तैनाती की गई है। बाकी डॉक्टर भी जल्द ही तैनात कर दिए जाएंगे। 

 

ऑनलाइन व्यवस्था को फुलप्रूफ बनाने की दिशा में यह कदम अहम है। डॉक्टरों को सारथी पोर्टल का लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा। डॉक्टरों की पूरी सूची जारी होने के बाद इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा।

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