UP : ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को झटका; परिसर के दोबारा सर्वेक्षण (ASI Survey) संबंधी मांग कोर्ट ने की खारिज
याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर का शिवलिंग मौजूद है। इसलिए वैज्ञानिक पद्धति से जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। फैसले के बाद हिंदू पक्ष ने कहा कि कोर्ट ने हमारी कोई दलील नहीं सुनी है। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
Oct 25, 2024, 20:44 IST
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ज्ञानवापी में 1991 के मूल वाद पर 33 वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद आज कोर्ट ने परिसर के पुनः वैज्ञानिक पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI survey) पर अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। 19 अक्टूबर को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।Read also:-उत्तर प्रदेश में सभी छात्रों को नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति, सरकार लाई नई व्यवस्था; लाभ पाने के लिए जानिए क्या है नया नियम?
1991 के ज्ञानवापी भगवान विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के मूल वाद के मुख्य वाद के एमिकस क्यूरी विजय शंकर रस्तोगी ने 7 फरवरी 2024 को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट जुगल शंभू की अदालत में याचिका दाखिल कर पूरे परिसर का पुनः सर्वेक्षण कराने की मांग की थी। इसमें मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर शिवलिंग होने का दावा करते हुए मुख्य गुंबद के 100 मीटर हिस्से को छोड़कर अन्य जगह खुदाई कर वैज्ञानिक तकनीक से जांच करने की मांग की गई थी।
इसके अलावा आयोग की कार्रवाई के दौरान वजूखाना में मिले कथित शिवलिंग की भी जांच की मांग की गई थी। जिस पर लगातार बहस के बाद शुक्रवार को कोर्ट ने पूरे मामले को खारिज कर दिया। इस मामले में कोर्ट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जो 2021 में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन के दौरान एएसआई सर्वे को लेकर सर्वे के दौरान दिया गया था।
उस समय मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यहां खुदाई नहीं होनी चाहिए और मशीनों की मदद से जांच होनी चाहिए और इमारत को कमजोर बताते हुए खुदाई न करने को कहा था। उसके आधार पर मुस्लिम पक्ष ने यहां अपनी बात रखी थी जिस पर कोर्ट ने आज इस याचिका को खारिज कर दिया है।
इस मामले में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी और उनके बेटे सुनील रस्तोगी का कहना है कि पहले 27 पेज का आदेश पढ़ा जाएगा। उसके बाद हर तथ्य और हर बिंदु की जांच करने के बाद जिला जज या हाईकोर्ट जाएंगे। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता इखलाक अहमद का कहना है कि हम इसे हार-जीत के तौर पर नहीं देख रहे हैं। यह कानूनी प्रक्रिया है। कोर्ट ने अपना आदेश सुना दिया है। अगर हिंदू पक्ष आगे बढ़ता है तो हम उनका अनुसरण करेंगे।
आपको बता दें कि पूरा मामला वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट युगुल शंभू की कोर्ट में चल रहा था। पिछली सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपनी बात रखी थी और मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात रखने के लिए समय मांगा था। जिस पर दोनों पक्षों की ओर से बहस हुई थी। दोनों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 19 अक्टूबर को ही अगली सुनवाई की तारीख 25 अक्टूबर तय कर दी थी।
वाद मित्र अमित विजय शंकर रस्तोगी ने पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से दोबारा सर्वेक्षण कराने के लिए याचिका दाखिल की थी। हिंदू पक्ष के वकीलों का जवाब और जिला पूरा होने के बाद अब फैसले का इंतजार था। वाद मित्र अमित ने दावा किया है कि पिछला एएसआई सर्वेक्षण अधूरा था। बिना खुदाई के सर्वेक्षण में सही रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकती। इसलिए ज्ञानवापी में एएसआई से खुदाई कराना जरूरी है।
विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि इस मामले के श्रृंगार गौरी नियमवित दर्शन प्रकरण को जोड़ने वाले मामले को लेकर जिस तरह से ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई की गई है। उसकी रिपोर्ट में कई जगह अभी भी अछूती हैं। जिसमें सेंट्रल डैम के नीचे शिवलिंग मिला था और जिस जगह वुजू किया गया था। उन जगहों की जांच नहीं की गई है। इसके अलावा वहां कोई खुदाई भी नहीं हुई है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि अंदर क्या है।
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स पूरे मामले में अंजुमन इंतजामिया ने विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए खुदाई करने से साफ मना कर दिया था और पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि बिना ढांचे को नुकसान पहुंचाए खुदाई और सर्वे के बिना कार्रवाई की जाएगी। जब यह आदेश पुराना है तो बार-बार खुदाई के लिए कहना उचित नहीं है।

हाईकोर्ट में दी जाएगी चुनौती
वहीं, फैसले के बाद इस मामले से जुड़े वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि कोर्ट ने हमारी कोई दलील नहीं सुनी है। उन्होंने कहा कि अपना फैसला सुनाते हुए वाराणसी कोर्ट ने 18 अप्रैल 2021 के फैसले को भी नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हिंदू पक्ष हाईकोर्ट जाएगा।
वहीं, फैसले के बाद इस मामले से जुड़े वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि कोर्ट ने हमारी कोई दलील नहीं सुनी है। उन्होंने कहा कि अपना फैसला सुनाते हुए वाराणसी कोर्ट ने 18 अप्रैल 2021 के फैसले को भी नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हिंदू पक्ष हाईकोर्ट जाएगा।
