UP : संभल में 42 साल से बंद मिला एक और मंदिर, प्रशासन ने खुलवाकर कराई सफाई; जानिए पिछले चार दिन में और क्या-क्या मिला?
उत्तर प्रदेश के संभल में अतिक्रमण के खिलाफ चल रही कार्रवाई के दौरान एक और मंदिर मिला है। यह भी पता चला है कि जिस जगह यह मंदिर था, वहां पहले सैनी समुदाय के लोग रहते थे। बाद में जब मुस्लिम आबादी बढ़ी तो हिंदुओं को यहां से पलायन करना पड़ा।
Dec 17, 2024, 17:53 IST
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उत्तर प्रदेश के संभल में लगातार अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। इस अभियान के दौरान प्रशासन को सरायतरीन इलाके में एक और बंद मंदिर मिला है।68 तीर्थ स्थलों और 19 कुओं वाले उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहर संभल में प्रशासन की टीम ने एक और मंदिर खोज निकाला है। यह मंदिर हयातनगर थाना क्षेत्र के खग्गू सराय इलाके में है। प्रशासन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और मंदिर का ताला खुलवाया। प्रशासन की टीम ने मंदिर की अच्छे से सफाई कराई है। इस मंदिर के अंदर हनुमान जी और राधा कृष्ण के दिव्य दरबार हैं। माना जाता है कि यह मंदिर काफी समय से बंद था। READ ALSO:-मशहूर सिंगर और रैपर बादशाह के काफिले ने किया ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन, रॉन्ग साइड दौड़ाईं गाड़ियां, पुलिस ने काटा इतने हजार रुपये का चालान
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस जगह पर पहले सैनी समुदाय के लोग रहा करते थे। इनकी आबादी करीब दो से ढाई सौ थी। हालांकि बाद में जब यहां मुस्लिम आबादी बस गई और ये लोग हड्डियों से काम करने लगे तो इसकी बदबू से परेशान होकर सैनी समुदाय के लोग अपनी जमीन बेचकर यहां से चले गए। स्थानीय लोगों के मुताबिक कुछ समय पहले तक इस मंदिर में होली, दिवाली और अन्य त्योहारों पर पूजा-अर्चना का आयोजन होता था।
#WATCH | Uttar Pradesh: Police security deployed outside the temple in Sambhal that was reopened on 14th December. The temple premises was cleaned and arrangements for electricity were made. CCTV cameras have also been installed here.
— ANI (@ANI) December 15, 2024
Patron of Nagar Hindu Sabha, Vishnu Sharan… pic.twitter.com/adpdOZT8wX
इस मंदिर के निर्माण के लिए बुद्ध सेन सैनी ने जमीन दी थी। उनके पास ही मंदिर की चाबी रहती थी। इस इलाके में सैनी समाज के करीब 200 घर थे, जो धीरे-धीरे यहां से पलायन कर गए। दावा ये भी किया गया है कि इस मंदिर को सिर्फ त्योहारों के दिनों में ही खोला जाता था। पूजा-अर्चना के बाद फिर बंद कर दिया जाता था। कल्लू राम के अनुसार उन्होंने किसी भय से मंदिर को बंद नहीं किया था। सिर्फ देखभाल की कमी के चलते इसे बंद किया गया था। पुलिस के अनुसार अब मंदिर की सफाई करवाई जा रही है।
One more temple freed from hands of islamists in #Sambhal 🙌🙌
— 🇮🇳 Shashi 🇮🇳🚩 (@naturalphoton) December 17, 2024
Jai Ho Yogi Maharaj ji ki 🙏🏻
pic.twitter.com/wDrvh6A72k
श्रीमद्भागवत में है संभल की
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश का संभल शहर एक ऐतिहासिक और पौराणिक शहर है। श्रीमद्भागवत के 12वें अध्याय के दूसरे अध्याय में इस नगर का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस महान ग्रंथ में संभल को भगवान नारायण के 24वें अवतार कल्कि का प्राकट्य स्थल कहा गया है। इस नगर के बारे में कहा गया है कि 68 तीर्थों वाले इस नगर में 19 कुएं, 36 गांव और 52 सराय (यात्रियों के ठहरने के स्थान) होंगे। आज भी संभल के विभिन्न इलाकों की पहचान सराय के रूप में होती है।
अतिक्रमण हटाने के दौरान मिले थे मंदिर और कुएं
हाल ही में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए हंगामे के बाद जब जिला प्रशासन ने यहां अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो एक-एक कर मंदिर और कुएं मिलने लगे हैं। दो दिन पहले ही यहां कार्तिकेय महादेव मंदिर मिला था। इसी परिसर में अमृत कुआं मिला था। अब एक और मंदिर मिला है। अब तक यहां दो मंदिर और तीन कुएं मिल चुके हैं। धर्मगुरुओं के मुताबिक इस स्थान पर अभी 65 से ज्यादा मंदिर और 16 कुएं मिलने बाकी हैं। प्रशासन ने पौराणिक मान्यताओं के आधार पर इन धार्मिक स्थलों और कुओं की तलाश भी शुरू कर दी है। इसी तरह प्रशासन संभल की उन 52 सरायों को भी चिन्हित करने में जुटा है, जिनकी चर्चा हो चुकी है।
हाल ही में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए हंगामे के बाद जब जिला प्रशासन ने यहां अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो एक-एक कर मंदिर और कुएं मिलने लगे हैं। दो दिन पहले ही यहां कार्तिकेय महादेव मंदिर मिला था। इसी परिसर में अमृत कुआं मिला था। अब एक और मंदिर मिला है। अब तक यहां दो मंदिर और तीन कुएं मिल चुके हैं। धर्मगुरुओं के मुताबिक इस स्थान पर अभी 65 से ज्यादा मंदिर और 16 कुएं मिलने बाकी हैं। प्रशासन ने पौराणिक मान्यताओं के आधार पर इन धार्मिक स्थलों और कुओं की तलाश भी शुरू कर दी है। इसी तरह प्रशासन संभल की उन 52 सरायों को भी चिन्हित करने में जुटा है, जिनकी चर्चा हो चुकी है।
मुस्लिम आबादी के चलते हिंदुओं ने किया था पलायन
दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि हयातनगर थाना क्षेत्र में मिला यह राधा कृष्ण मंदिर 1982 में बना था। हालांकि, धर्मगुरुओं का कहना है कि मंदिर पहले से ही था और 1982 में इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। यहां रहने वाले ऋषिपाल सिंह के मुताबिक मंदिर की चाबियां उनके पास ही रहती थीं। समय-समय पर यहां पूजा-अर्चना भी होती थी, लेकिन असुरक्षा की भावना के चलते उन्होंने यह स्थान छोड़ दिया। सैनी समाज के बुद्ध सेन सैनी ने बताया कि मुस्लिम आबादी के चलते उन्हें अपना मकान और जमीन बेचकर यहां से जाना पड़ा। हालांकि, अब भी समय-समय पर वे यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं।
दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि हयातनगर थाना क्षेत्र में मिला यह राधा कृष्ण मंदिर 1982 में बना था। हालांकि, धर्मगुरुओं का कहना है कि मंदिर पहले से ही था और 1982 में इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। यहां रहने वाले ऋषिपाल सिंह के मुताबिक मंदिर की चाबियां उनके पास ही रहती थीं। समय-समय पर यहां पूजा-अर्चना भी होती थी, लेकिन असुरक्षा की भावना के चलते उन्होंने यह स्थान छोड़ दिया। सैनी समाज के बुद्ध सेन सैनी ने बताया कि मुस्लिम आबादी के चलते उन्हें अपना मकान और जमीन बेचकर यहां से जाना पड़ा। हालांकि, अब भी समय-समय पर वे यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं।
अभियान के दौरान मिला था 46 साल पुराना मंदिर
इससे पहले संभल के मोहल्ला खग्गू सराय में भी एक मंदिर मिला था। यह मंदिर 46 साल से बंद था। जब प्रशासन ने इसके द्वार खोले तो यहां कई मूर्तियां मिलीं। साफ-सफाई के बाद यहां पूजा-अर्चना की गई। भस्म शंकर मंदिर के पास एक कुआं भी मिला। दावा किया गया कि यह कुआं करीब 400-500 साल पहले बना था।
इससे पहले संभल के मोहल्ला खग्गू सराय में भी एक मंदिर मिला था। यह मंदिर 46 साल से बंद था। जब प्रशासन ने इसके द्वार खोले तो यहां कई मूर्तियां मिलीं। साफ-सफाई के बाद यहां पूजा-अर्चना की गई। भस्म शंकर मंदिर के पास एक कुआं भी मिला। दावा किया गया कि यह कुआं करीब 400-500 साल पहले बना था।
