दोस्ती की अनोखी दास्तान: साथ जीने-मरने की कसम खाकर घर से भागीं दो सहेलियां, जुदा करने पर दे रहीं जान देने की धमकी
हरदोई: अलग-अलग समुदाय की बालिग युवतियों ने साथ रहने की ठानी, दिल्ली से पकड़कर लाई पुलिस के सामने भी दोहराई अपनी जिद, कानूनी पेचीदगियों में उलझा मामला
Apr 30, 2025, 21:15 IST
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उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के शाहाबाद नगर में इन दिनों दो युवतियों की गहरी दोस्ती और उनके 'साथ जीने-साथ मरने' के प्रण की खूब चर्चा हो रही है। अलग-अलग मोहल्लों में रहने वाली इन सहेलियों ने जब साथ रहने का फैसला किया और इसके लिए घर छोड़ दिया, तो दोनों के परिवारों के साथ-साथ पूरा इलाका हैरान रह गया। यह मामला अब पुलिस और समाज के लिए एक जटिल चुनौती बन गया है।READ ALSO:-मेरठ में 'WhatsApp वाला मौत का सौदा': ऑनलाइन हथियारों के काले बाजार का पर्दाफाश, सैकड़ों पिस्टल बेच चुके 2 तस्कर धरे गए
शाहाबाद की एक तंबाकू फैक्ट्री में साथ काम करते हुए इन दोनों युवतियों की दोस्ती परवान चढ़ी। धीरे-धीरे यह दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि उन्होंने भविष्य में हमेशा साथ रहने का निश्चय कर लिया। अपने इस इरादे को हकीकत बनाने के लिए, एक रोज दोनों चुपचाप घर से निकल गईं और ट्रेन पकड़कर दिल्ली पहुंच गईं।
दिल्ली पहुंचकर, उनमें से एक युवती अपनी विवाहित बहन के घर जा पहुंची। वहां उन्होंने बहन को बताया कि वे अब हमेशा साथ रहेंगी और कभी अलग नहीं होंगी। यह सुनकर बहन सकते में आ गई। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उसने तत्काल दोनों युवतियों के परिजनों को दिल्ली में उनके होने और साथ रहने की जिद के बारे में सूचित किया। सूचना मिलते ही परिजन दिल्ली पहुंचे और दोनों युवतियों को समझा-बुझाकर वापस शाहाबाद ले आए।
घर वापसी के बाद भी युवतियों की जिद कायम रही। मामला थाने पहुंचा, जहां पुलिस के सामने भी उन्होंने एक ही बात दोहराई - कि वे साथ रहेंगी और अगर किसी ने उन्हें अलग करने की कोशिश की तो वे अपनी जान दे देंगी। उनके इस अटल निश्चय और आत्महत्या की धमकी ने परिजनों और पुलिस, दोनों को चिंता में डाल दिया।
शाहाबाद कोतवाल बृजेश राय ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि दोनों युवतियां बालिग हैं। उनके बयानों और आचरण को देखते हुए शांति भंग होने की आशंका थी, इसलिए दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत उनका चालान किया गया है। कोतवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि युवतियां बालिग हैं, अगर वे भविष्य में साथ रहना चाहती हैं तो उन्हें देश के कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा।
परिजनों ने बताया कि उनकी बेटियां पिछले लगभग दो वर्षों से साथ रहने की बात कह रही हैं। इस मामले का एक और पहलू यह है कि दोनों युवतियां अलग-अलग समुदायों से आती हैं - एक हिंदू है और दूसरी अल्पसंख्यक समुदाय से। यही कारण है कि यह मामला सिर्फ दो व्यक्तियों की मर्जी तक सीमित न रहकर सामाजिक रूप से भी काफी संवेदनशील बन गया है। परिवार के लोग सामाजिक मर्यादाओं और रीति-रिवाजों का हवाला देकर युवतियों को समझाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल दोनों अपनी जिद पर अड़ी हुई हैं और किसी की भी बात मानने को तैयार नहीं हैं। इस अनोखी दोस्ती और साथ रहने की चाह ने क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है।
