पर्यटकों को UP में मिलेगी विश्वस्तरीय मार्गीय सुविधाएं, ढाबों से लेकर होटल, पार्किंग, शौचालय और ईवी चार्जिंग तक की सुविधाएं; 100 करोड़ का बजट प्रावधान

राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर हर 50 किमी पर बनेंगे हाईटेक 'वे साइड एमिनिटीज', ठहरने, खान-पान, EV चार्जिंग सहित मिलेंगी ढेरों सहूलियतें; निजी निवेश पर 30% तक अनुदा
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Tourists will get world-class road facilities in UP
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पर्यटकों की यात्रा को सुगम और आरामदायक बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और प्रमुख पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों पर अत्याधुनिक मार्गीय सुविधाओं (वे साइड एमिनिटीज) का जाल बिछाया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का विशाल प्रविधान किया गया है।READ ALSO:-बिजनौर: शेरकोट का युवक रहस्यमय ढंग से लापता, पांच दिन बाद भी पुलिस खाली हाथ, परिवार परेशान

 

पर्यटन विभाग ने इन 'वे साइड एमिनिटीज' की स्थापना के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें पर्यटकों की हर जरूरत का ध्यान रखा गया है। इन सुविधा केंद्रों पर खान-पान, सुरक्षित पार्किंग, स्वच्छ शौचालय और ठहरने की व्यवस्था के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग पॉइंट जैसी आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।

 

सुविधाओं के व्यापक मानक निर्धारित:
कार्ययोजना के तहत स्थापित होने वाली प्रत्येक इकाई के लिए सुविधाओं के व्यापक मानक तय किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:

 

  • न्यूनतम 25 लोगों के बैठने की क्षमता वाला वातानुकूलित रेस्टोरेंट।
  • कम से कम छह कमरों का आरामदायक होटल, जहां पर्यटक अल्प प्रवास कर सकें।
  • सम्मेलन या छोटे आयोजनों के लिए कन्वेंशन सेंटर।
  • पर्यटकों को जानकारी और सहायता प्रदान करने हेतु पर्यटक सूचना केंद्र।
  • बच्चों के मनोरंजन के लिए सुरक्षित खेल का मैदान।
  • वाहनों के लिए पर्याप्त और सुरक्षित पार्किंग स्थल।
  • पुरुषों, महिलाओं और दिव्यांगों के लिए न्यूनतम पांच-पांच स्वच्छ और आधुनिक शौचालय।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ईवी चार्जिंग स्टेशन।
  • आरओ सिस्टम से शुद्ध पेयजल की उपलब्धता।
  • खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप माडयूलर किचन और फ्रीजर।
  • ऊर्जा दक्षता के लिए सोलर लाइट का उपयोग।
  • प्राथमिक उपचार के लिए फर्स्ट-एड बाक्स।
  • स्थानीय शिल्पकला और उत्पादों के लिए सोवेनियर शाप/विलेज हाट/एमएसएमई क्राफ्ट शाप।
  • वाहन चालकों के लिए आवश्यक वाहन रिपेयर की सुविधा।
  • नकद निकासी के लिए एटीएम।

 

विकास के चार मॉडल, निजी निवेशकों को प्रोत्साहन:
इन मार्गीय सुविधाओं के त्वरित और प्रभावी विकास के लिए विभाग ने चार अलग-अलग मॉडल तैयार किए हैं, जिनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया गया है:

 

  1. सरकारी सहभागिता मॉडल: इस मॉडल में पर्यटन विभाग संबंधित स्थानीय निकाय के साथ मिलकर इकाई की स्थापना करेगा। भूमि का स्वामित्व स्थानीय निकाय के पास रहेगा, जबकि परियोजना की कुल लागत का 75% पर्यटन विभाग और शेष 25% स्थानीय निकाय वहन करेगा। निर्माण पूरा होने के बाद, संचालन के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत एक योग्य संस्था का चयन किया जाएगा।
  2. भू-संयोजन मॉडल: इस मॉडल के तहत, पर्यटन विभाग इकाई की स्थापना के लिए संबंधित स्थानीय निकाय और अन्य सरकारी विभागों से अनापत्ति लेकर उपलब्ध भूमि का उपयोग करेगा। इकाई के निर्माण का संपूर्ण खर्च पर्यटन विभाग द्वारा वहन किया जाएगा।
  3. पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित इकाई मॉडल: इस मॉडल में पर्यटन विभाग स्वयं भूमि अधिगृहीत करेगा और अपने संसाधनों से इकाई का निर्माण कराएगा।
  4. निजी निवेश मॉडल: इस मॉडल के तहत निजी निवेशकों को मार्गीय सुविधाओं की स्थापना या पहले से संचालित ढाबों और होटलों के उच्चीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। पात्र निवेशकों को उनके कुल निवेश (ऋण और स्वयं के निवेश) के सापेक्ष 30% तक का एकमुश्त पूंजीगत अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस अनुदान का लाभ उठाने के लिए निवेशक को पर्यटन विभाग से उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।

 

हर 50 किलोमीटर पर मिलेगी सुविधा:
यह सुनिश्चित करने के लिए कि पर्यटकों को पूरे प्रदेश में यात्रा के दौरान परेशानी का सामना न करना पड़े, इन मार्गीय सुविधा इकाइयों का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और अन्य प्रमुख मार्गों पर आवश्यकतानुसार किया जाएगा। यह भी अनिवार्य किया गया है कि किन्हीं भी दो सुविधा इकाइयों के बीच न्यूनतम 50 किलोमीटर की दूरी हो।

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जिलास्तरीय समिति करेगी निगरानी:
वे-साइड एमिनिटीज की स्थापना प्रक्रिया में तेजी लाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक जिलास्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में संबंधित स्थानीय निकाय, लोक निर्माण विभाग, पर्यटन विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और भूमि उपलब्ध कराने वाले विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति इकाई की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि के चयन और पूरी परियोजना की निगरानी का महत्वपूर्ण कार्य करेगी।

 

प्रदेश सरकार का मानना है कि इन आधुनिक मार्गीय सुविधाओं के विकास से न केवल पर्यटकों की यात्रा का अनुभव बेहतर होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे और प्रदेश में पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी।
SONU

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