लंबे समय तक यौन संबंध बनाने से इनकार करना बन सकता है तलाक का आधार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया ऐसा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि लंबे समय तक सेक्स से इनकार करना तलाक का आधार हो सकता है। यह फैसला जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की बेंच ने दिया है।
Nov 10, 2024, 10:13 IST
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि लंबे समय तक सेक्स करने से इनकार करने के आधार पर भी तलाक लिया जा सकता है। यह फैसला जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की बेंच ने दिया है। कोर्ट ने यह फैसला एक पति की ओर से दायर तलाक की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है, जिसमें उसने पत्नी के सेक्स करने से इनकार करने पर तलाक की मांग की थी। READ ALSO:-बिजनौर : 6 साल की बच्ची से शौचालय में बेरहमी से गैंगरेप, दूसरे समुदाय के तीन किशोरों पर आरोप; भेजा गया सुधर गृह, हिंदू संगठनों ने जताया विरोध
कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। पति ने मिर्जापुर फैमिली कोर्ट के चीफ जस्टिस के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मिर्जापुर फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता पति पेशे से डॉक्टर है। उसकी शादी जून 1999 में हुई थी। पत्नी भारतीय रेलवे की रिटायर्ड कर्मचारी है। दोनों के दो बच्चे हैं, जिसमें से एक बच्चा पिता के पास और दूसरा बच्चा मां के पास रहता है।
9 साल पहले पति ने दाखिल की थी तलाक की याचिका 9 साल पहले पति ने मिर्जापुर फैमिली कोर्ट में क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक की याचिका दाखिल की थी। पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने धार्मिक गुरु के बहकावे में आकर सेक्स करने से इनकार कर दिया। पत्नी ने पति के आरोपों को नकारते हुए कहा कि दो बच्चों का जन्म साबित करता है कि हमारे बीच अच्छे संबंध थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लंबे समय तक सेक्स करने से इनकार करने के आधार पर भी तलाक मांगा जा सकता है।
सेक्स से इनकार तलाक का आधार हो सकता है
जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि पक्षकार किस तरह की शारीरिक अंतरंगता बनाए रख सकते हैं, यह न्यायिक निर्धारण का विषय नहीं है। वैवाहिक संबंध में रह रहे दोनों पक्षों के बीच संबंधों की सही प्रकृति के बारे में कोई नियम बनाना कोर्ट का काम नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि सेक्स से इनकार तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन यह लंबे समय तक लगातार बना रहना चाहिए।
जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि पक्षकार किस तरह की शारीरिक अंतरंगता बनाए रख सकते हैं, यह न्यायिक निर्धारण का विषय नहीं है। वैवाहिक संबंध में रह रहे दोनों पक्षों के बीच संबंधों की सही प्रकृति के बारे में कोई नियम बनाना कोर्ट का काम नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि सेक्स से इनकार तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन यह लंबे समय तक लगातार बना रहना चाहिए।
