UP में बिजली निजीकरण का विरोध: लखनऊ में हजारों कर्मचारियों का शक्ति प्रदर्शन, पुलिस से नोकझोंक, जाम से जनता हलकान
पूर्वांचल-दक्षिणांचल के 42 जिलों में निजीकरण की आहट से आक्रोश, संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा - पीछे नहीं हटेंगे, ऊर्जा मंत्री-अध्यक्ष के खिलाफ लगे मुर्दाबाद के नारे।
Apr 9, 2025, 18:42 IST
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लखनऊ, 9 अप्रैल: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के 42 जिलों में बिजली व्यवस्था के निजीकरण की दिशा में उठाए जा रहे कदमों के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का गुस्सा बुधवार को राजधानी लखनऊ की सड़कों पर फूट पड़ा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश भर से जुटे हजारों कर्मचारियों ने न सिर्फ जनसभा कर अपनी ताकत दिखाई, बल्कि शक्ति भवन कूच के दौरान पुलिस से तीखी नोकझोंक भी हुई। इस प्रदर्शन के चलते हजरतगंज जैसे व्यस्त इलाके में घंटों जाम लगा रहा, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।READ ALSO:-बिजनौर: रेडक्रॉस सोसायटी की बैठक में डीएम ने दिए निर्देश, दूरदराज गांवों में लगेंगे स्वास्थ्य शिविर
जनसभा में हुंकार, रैली में टकराव
संघर्ष समिति द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बुधवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल कार्यालय पर एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के नेतृत्व में हुई इस जनसभा में भाग लेने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से, विशेषकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल के उन जिलों से बड़ी संख्या में नियमित और संविदा कर्मचारी पहुंचे, जहां निजीकरण की तलवार लटक रही है। कर्मचारियों ने एक स्वर में निजीकरण के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए प्रबंधन और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की।
जनसभा के बाद हजारों उत्साहित कर्मचारी फील्ड हॉस्टल से UPPCL मुख्यालय शक्ति भवन की ओर रैली के रूप में बढ़ने लगे। हालांकि, मौके पर भारी संख्या में तैनात पुलिस बल ने मजबूत बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान कर्मचारियों ने बैरिकेडिंग पार करने का प्रयास किया, जिस पर उनकी पुलिस कर्मियों के साथ तीखी नोकझोंक और धक्का-मुक्की हुई। रैली और जनसभा के कारण हजरतगंज का पूरा क्षेत्र जाम की चपेट में आ गया।
"निजीकरण बर्दाश्त नहीं, मरते दम तक लड़ेंगे"
समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने स्पष्ट कहा, "प्रबंधन हठधर्मिता पर अड़ा है और निजीकरण थोपना चाहता है, जबकि बिजली कर्मी इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। आज की जनसभा और रैली एक चेतावनी है। यदि प्रबंधन नहीं मानता है, तो भविष्य में अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।" उन्होंने बताया कि इस लड़ाई में उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों को देशभर के बिजली संगठनों का समर्थन प्राप्त है और आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी भी लखनऊ पहुंचे हैं।
संगठन के एक अन्य पदाधिकारी अमिताभ सिन्हा ने कहा, "हमारा आंदोलन 125 दिनों से शांतिपूर्वक चल रहा है, लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। निजीकरण करके पावर कॉरपोरेशन प्रदेश को फिर से लालटेन युग में धकेलना चाहता है, जिससे लाखों उपभोक्ता प्रभावित होंगे और हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।" माया शंकर तिवारी ने कहा, "हमने पहले भी निजीकरण के प्रयासों को विफल किया है और प्रबंधन को झुकने पर मजबूर किया है। इस बार भी हम सफल होंगे और निजीकरण नहीं होने देंगे।"
ऊर्जा मंत्री और चेयरमैन के खिलाफ नारेबाजी
प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों का गुस्सा सीधे तौर पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल के खिलाफ देखने को मिला। संयोजक शैलेंद्र दुबे के निर्देशानुसार, कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाए, लेकिन साथ ही ऊर्जा मंत्री और अध्यक्ष के खिलाफ जमकर "मुर्दाबाद" के नारे लगाए गए।
यह प्रदर्शन बिजली कर्मचारियों के बढ़ते आक्रोश और निजीकरण के मुद्दे पर प्रबंधन व सरकार के साथ बढ़ते टकराव का स्पष्ट संकेत है। कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि वे अपने हितों और सार्वजनिक क्षेत्र को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
आगे क्या? बड़ा आंदोलन संभव
शैलेंद्र दुबे ने साफ कहा कि अगर प्रबंधन निजीकरण के फैसले से पीछे नहीं हटता, तो जल्द ही प्रदेशव्यापी हड़ताल और बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है और जल्द ही इसकी घोषणा की जा सकती है।
