उत्तर प्रदेश के 46,000 से ज्यादा शिक्षकों को मिल सकती है पुरानी पेंशन की सौगात, 22 अप्रैल को अहम बैठक

 विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग पर बन सकता है बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार कर रही समीक्षा
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TEACHER
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हजारों बेसिक शिक्षकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। प्रदेश के 46,189 विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों को जल्द ही पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ मिलने की प्रबल संभावना है। इस बहुप्रतीक्षित मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने के लिए आगामी 22 अप्रैल को राज्य सरकार के स्तर पर एक उच्च-स्तरीय और महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है, जिसमें शिक्षा, वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग के प्रमुख सचिव एक साथ मंथन करेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में इन शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग पर कोई ठोस और निर्णायक फैसला लिया जा सकता है।READ ALSO:-बिजनौर: सिरफिरे आशिक ने दिनदहाड़े प्रेमिका को मारी गोली, इलाज के दौरान मौत — थाने में किया आत्मसमर्पण

 

क्या है पूरा मामला?
यह पूरा प्रकरण विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया और पेंशन व्यवस्था से जुड़ा है। इस भर्ती के लिए विज्ञापन जनवरी 2004 में जारी किया गया था, जिसमें फरवरी 2004 में कुछ संशोधन किए गए थे। भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित अभ्यर्थियों के लिए छह माह का विशेष प्रशिक्षण अनिवार्य था। हालांकि, विभागीय व्यवस्थाओं में अपेक्षित गति न होने के कारण यह प्रशिक्षण एक साथ न होकर तीन चरणों में आयोजित किया गया। इस कारण से प्रशिक्षण पूरा होने और इन शिक्षकों की औपचारिक नियुक्ति होने में विलंब हुआ और यह प्रक्रिया दिसंबर 2005 तक पूरी हो सकी।

 

नई पेंशन व्यवस्था बनी बाधा
इस बीच, राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2005 से राज्य में पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर नई पेंशन व्यवस्था (नेशनल पेंशन सिस्टम - NPS) लागू कर दी। चूंकि विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के इन शिक्षकों की नियुक्ति प्रशिक्षण पूरा होने के बाद दिसंबर 2005 के उपरांत हुई, इसलिए उन्हें सरकार के नियमों के अनुसार नई पेंशन योजना के दायरे में रखा गया। शिक्षकों का तब से ही यह तर्क रहा है कि उनकी भर्ती का विज्ञापन पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होने से पहले निकला था और प्रशिक्षण में हुई देरी पूरी तरह से विभागीय अव्यवस्था का परिणाम थी, जिसके चलते उन्हें पुरानी पेंशन के लाभ से वंचित होना पड़ा।

 

कानूनी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट का नया रुख
इस पेंशन विवाद को लेकर शिक्षक पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक गए। सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभ में इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करने के बजाय यह निर्णय राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ दिया था कि वह मामले की मेरिट के आधार पर फैसला ले। सरकार ने उस समय नियुक्ति तिथि को ही आधार मानकर इन शिक्षकों को नई पेंशन योजना में ही बनाए रखने का निर्णय लिया था।

 

हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए एक बेहद महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि किसी पद के लिए भर्ती का विज्ञापन पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होने की तारीख से पहले जारी हुआ हो, तो संबंधित कर्मचारी पुरानी पेंशन का हकदार होगा, भले ही उसकी नियुक्ति नई पेंशन व्यवस्था लागू होने के बाद हुई हो। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद केंद्र सरकार और उसके बाद राज्य सरकार ने भी इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

 

22 अप्रैल की बैठक पर टिकी निगाहें
सुप्रीम कोर्ट के इस ताज़ा और स्पष्ट आदेश और उसके बाद जारी हुए सरकारी निर्देशों के आलोक में, विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों ने एक बार फिर मजबूती के साथ यह मांग उठाई है कि उनकी भर्ती का विज्ञापन जनवरी 2004 में निकला था, जो कि 1 अप्रैल 2005 से काफी पहले की तारीख है, इसलिए उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश ही अब इस मामले में सर्वोपरि है।
दूसरी ओर, सरकारी महकमे के कुछ अधिकारियों का आंतरिक तौर पर यह तर्क है कि यह मामला पहले सुप्रीम कोर्ट में तय हो चुका था, इसलिए अब उसमें बदलाव करना शायद उचित न हो। हालांकि, शिक्षकों का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए आदेश से विज्ञापन तिथि को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है और सरकार ने भी उस आदेश को स्वीकार कर लिया है।

 OMEGA

अब सरकार इस पूरे मामले की कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं से फिर से गहन समीक्षा करने जा रही है। इसी उद्देश्य से आगामी 22 अप्रैल को शिक्षा, वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग के प्रमुख सचिवों की एक संयुक्त और महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में इन 46,189 शिक्षकों की वर्षों पुरानी और लगातार उठाई जा रही पुरानी पेंशन की मांग पर कोई निर्णायक मुहर लग सकती है, जिससे हजारों शिक्षक परिवारों को बड़ी आर्थिक सुरक्षा और राहत मिलने की संभावना है। सभी की निगाहें अब 22 अप्रैल को होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक पर टिकी हैं।
SONU

 

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